भारत-बांग्लादेश सीमा पर मतदाता सूची में बड़े बदलाव, एसआईआर विवाद और कथित रिवर्स माइग्रेशन की चर्चाओं के बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने सोमवार को उत्तर 24 परगना जिले के हाकिमपुर सीमा क्षेत्र का दौरा किया। बढ़ते राजनीतिक तनाव और जिलों में असामान्य मतदाता वृद्धि की रिपोर्टों के बीच राज्यपाल का यह निरीक्षण बेहद अहम माना जा रहा है। उन्होंने सीमा की स्थिति का प्रत्यक्ष आकलन करते हुए अधिकारियों से विस्तृत जानकारी जुटाई।
राज्यपाल बोस ने अपने दौरे के दौरान स्थानीय प्रशासन, बीएसएफ, खुफिया एजेंसियों और सीमा सुरक्षा में तैनात अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने सीमा के हालात, लोगों की आवाजाही, सुरक्षा चुनौतियों और हाल के हफ्तों में देखे जा रहे बदलावों पर अधिकारियों से जानकारी ली। राज्यपाल ने कहा कि एसआईआर के बाद जिस तरह की खबरें सामने आ रही हैं, उन सभी की जमीनी सच्चाई का पता लगाना जरूरी है। इसी उद्देश्य से वह स्वयं सीमावर्ती क्षेत्रों का “रियलिटी चेक” कर रहे हैं।
एसआईआर पर बढ़ी बहस
एसआईआर (विशेष मतदाता पुनरीक्षण) के बाद सीमावर्ती जिलों में बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने और वोटर लिस्ट में बदलावों के चलते राजनीतिक बहस तेज हो गई थी। कई राजनीतिक दलों और स्थानीय संगठनों ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी अवैध प्रवासी दस्तावेजी सत्यापन से बचने के लिए खुद सीमा पार लौट रहे हैं। इन आरोपों ने हालात को और संवेदनशील बनाया है। कई पक्षों का दावा है कि सीमा के आसपास रोजमर्रा की आवाजाही में अचानक आए बदलाव रिवर्स माइग्रेशन का संकेत हैं।
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अधिकारियों की रिपोर्ट और राज्यपाल का रुख
दौरे के दौरान कुछ अधिकारियों ने राज्यपाल को बताया कि सीमा पर व्यवहार में कुछ बदलाव जरूर देखे गए हैं, लेकिन इसे रिवर्स माइग्रेशन कहना अभी जल्दबाजी होगी। अधिकारियों ने कहा कि मतदाता सूची की जांच और दस्तावेजों की कड़ाई के बाद कुछ लोग सीमा से दूर होते दिख रहे हैं। हालांकि राज्यपाल ने इस मुद्दे पर सीधे टिप्पणी करने से इनकार किया और कहा कि वह तथ्यों को पूरा इकट्ठा करने के बाद ही कोई बात कहेंगे। उनका कहना था कि किसी भी निर्णय तक पहुंचने से पहले जमीनी वास्तविकता को समझना जरूरी है।
अगले दो दिनों का गहन निरीक्षण
सूत्रों के अनुसार राज्यपाल मंगलवार को नदिया जिले के सीमावर्ती इलाकों का निरीक्षण करेंगे और बुधवार को मुर्शिदाबाद के संवेदनशील चौकियों का दौरा करेंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ निरीक्षण यात्रा नहीं, बल्कि एजेंसियों के बीच बेहतर संवाद और समन्वय मजबूत करने का प्रयास भी है। राज्यपाल का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब सीमा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में असमान वृद्धि, एसआईआर के बाद नामों में बड़े बदलाव और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप लगातार सुर्खियों में हैं।
विवादों के बीच दौरे का बढ़ता महत्व
राज्यपाल का यह क्रमिक दौरा राजनीतिक वातावरण में बढ़ती संवेदनशीलता के बीच एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। सीमावर्ती जिलों में मतदाताओं की संख्या में बदलाव को लेकर विपक्ष और विभिन्न संगठनों ने कई तरह के आरोप लगाए हैं। वहीं, प्रशासन का कहना है कि सभी बदलाव कानूनी प्रक्रिया के तहत हुए हैं। इन आरोपों, जनचर्चाओं और सुरक्षा चिंताओं के बीच राज्यपाल का प्रत्यक्ष निरीक्षण आने वाले दिनों में राज्य की राजनीतिक दिशा और सुरक्षा मूल्यांकन को प्रभावित कर सकता है।
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