नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने दुश्मन संपत्तियों को बेचने के नियमों में बदलाव किया है। इन संपत्तियों में रहने वालों को अब खरीदने का पहला हक़ मिलेगा। ये संपत्तियां असल में उन लोगों की हैं जो 1965 और 1962 के युद्धों के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए थे। गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन में कहा है कि एक करोड़ से कम कीमत वाली ग्रामीण और 5 करोड़ से कम कीमत वाली शहरी संपत्तियों को पहले कब्जाधारी को खरीदने का ऑफर दिया जाएगा। अगर वे मना करते हैं तो संपत्ति को बेचा जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र का मतलब है जो शहरी स्थानीय निकाय या छावनी बोर्ड के अंतर्गत नहीं आता। शहरी क्षेत्र का मतलब नगर निगम या नगरपालिका की सीमा के भीतर का क्षेत्र है।दुश्मन संपत्ति का संरक्षक केंद्र सरकार की मंजूरी से इन संपत्तियों को बेच सकता है। 2020 में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक मंत्री समूह बनाया गया था। इस समूह को दुश्मन संपत्तियों की बिक्री पर नज़र रखनी थी। पहले देश भर में 9,406 ‘दुश्मन संपत्तियों’ की कीमत ₹1 लाख करोड़ आंकी गई थी। बाद में ऐसी लगभग 3,000 और संपत्तियों की पहचान की गई।
अधिसूचना में यह भी बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्र’ का अर्थ किसी भी राज्य के किसी भी क्षेत्र से है सिवाय उन क्षेत्रों को छोड़कर जो किसी शहरी स्थानीय निकाय या छावनी बोर्ड के अंतर्गत आते हैं जबकि ‘शहरी क्षेत्र’ का अर्थ नगर निगम या नगर पालिका की सीमा के भीतर किसी भी क्षेत्र से है, जैसा कि केंद्र सरकार जनसंख्या, उद्योगों की सांद्रता, क्षेत्र की उचित योजना की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तय कर सकती है।
अधिसूचना में यह भी बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्र’ का अर्थ किसी भी राज्य के किसी भी क्षेत्र से है सिवाय उन क्षेत्रों को छोड़कर जो किसी शहरी स्थानीय निकाय या छावनी बोर्ड के अंतर्गत आते हैं जबकि ‘शहरी क्षेत्र’ का अर्थ नगर निगम या नगर पालिका की सीमा के भीतर किसी भी क्षेत्र से है, जैसा कि केंद्र सरकार जनसंख्या, उद्योगों की सांद्रता, क्षेत्र की उचित योजना की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तय कर सकती है।
क्या होती है दुश्मन संपत्ति
दुश्मन संपत्ति उन लोगों की संपत्ति होती है जो युद्ध या तनाव के समय भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन जैसे देशों में चले गए थे। ये वे लोग थे जिन्हें भारत के लिए खतरा माना जाता था। इन संपत्तियों को भारत के लिए संभावित खतरा माना जाता था, क्योंकि इन्हें विदेशी ताकतों द्वारा गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता था।इन संपत्तियों का मूल्य अरबों रुपये में है। इन संपत्तियों का सही उपयोग करके देश के विकास में योगदान दिया जा सकता है। इन संपत्तियों के मालिकों के बारे में कई बार विवाद होता है और इन संपत्तियों को कैसे इस्तेमाल किया जाए, इस पर भी विवाद होता है। बता दें कि शत्रु संपत्ति अधिनियम 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1968 में लागू किया गया था।