बागमती एक्सप्रेस हादसे की जांच तेज
हादसे के वक्त बागमती एक्सप्रेस की स्पीड 75 किलोमीटर प्रति घंटे के करीब बताई गई है। इंडियन रेलवे लोको रनिंगमैन ऑर्गनाइजेशन (IRLRO) के वर्किंग प्रेजिडेंट संजय पांधी ने हादसे में रिले चैटरिंग और कनेक्टिंग रोड के फेल होने की आशंका है। रिले चैटरिंग का मतलब समझाते हुए पांधी ने बताया कि जैसे की कई बार कोई लाइट बंद करने के बाद भी जलती हुई सी महसूस होती है। यही तकनीकी गड़बड़ी यहां भी हुई लगती है। जिसमें बागमती एक्सप्रेस को ग्रीन सिग्नल तो मेन लाइन का ही दिया गया था, लेकिन वह चली गई लूप लाइन में।
कैसे हुआ तमिलनाडु में हादसा
मगर ऐसे में सिग्नल अपने आप ही रेड हो जाना चाहिए था, जो की नहीं हुआ। यह जांच का विषय है। इसके पीछे कनेक्टिंग रोड का फेल होना भी हो सकता है। जिसमें उसकी वजह से सिग्नल तो मेन लाइन का ग्रीन हो गया, लेकिन असल में लाइन लूप से मेन लाइन में स्विच ही नहीं हुई। हालांकि, इसका अंतिम खुलासा तो सीआरएस जांच के बाद ही हो सकेगा। सूत्रों का यह भी कहना है कि जिस लाइन पर हादसा हुआ। वहां कुछ देर पहले 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए कॉशन था। बाद में उसे दो ट्रेनों के क्रॉस होने के बाद बढ़ाया जाना था।
अब तक की जांच में क्या है अपडेट
बागमती एक्सप्रेस से पहले वहां से गुजरी पहली ट्रेन सामान्य तरीके से निकल गई थी। रेलवे सूत्रों ने लाइन चेंज करने वाले पाइंट पर ही बागमती एक्सप्रेस के इंजन का पटरी से उतरने की आशंका भी जाहिर की है। जिससे वह आगे खड़ी मालगाड़ी से टकरा गया हो। क्योंकि, कुछ डिब्बे मेन लाइन पर भी मिले हैं। रेलवे का कहना है कि 16 और 17 अक्टूबर को सीआरएस जांच में लोगों से भी जानकारी ली जाएगी। हादसे वाली जगह पर रविवार सुबह दोनों तरफ की लाइनों को दुरुस्त कर खोल दिया गया।
क्या कोई साजिश रची गई?
मामले में किसी साजिश से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। शुरुआती जांच में लाइन चेंज करने वाले पाइंट पर कुछ नट-बोल्ट खुले और गायब मिलने की बात भी कही जा रही है। जिससे लगता है कि क्या जानबूझकर ट्रेन को पलटाने की साजिश रची गई थी? मामले की जांच एनआईए भी कर रही है, लेकिन एनआईए का कहना है कि उनकी टीम रूटीन जांच में लगी है। इसके लिए उन्होंने अभी तक कोई केस दर्ज नहीं किया है। इसकी तफ्तीश जीआरपी और आरपीएफ ही कर रही हैं।