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Who Is Dr Bharat Bajpayee,18 साल से नहीं ली छुट्टी, बेटे की शादी में भी किए दो पोस्टमार्टम, लिम्का रिकॉर्ड बुक में दो बार नाम दर्ज करा चुके डॉ भरत वाजपेयी कौन? – dr bharat bajpayee struggle story 15000 post-mortems in 18 years not a single day off

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Feb 22, 2025


इंदौर: गोविंद वल्लभ पंत जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम विभाग में तैनात मेडिकल ऑफिसर डॉ. भरत बाजपेयी (64) अपने समर्पण और कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। उनके केबिन के बाहर लिखी पंक्तियां ‘यहां मृत्यु जीवितों की मदद के लिए आती है। और क्या आप परिणामों के डर से सत्य नहीं बोलेंगे?’ जो दिखाता है कि वे अपने काम को कैसे देखते हैं।

18 वर्षों में 15,000 से अधिक पोस्टमार्टम, बिना छुट्टी किए काम

डॉ. बाजपेयी बीते 18 वर्षों में 15,000 से अधिक पोस्टमार्टम कर चुके हैं। खास बात यह है कि उन्होंने इस दौरान एक भी दिन स्वेच्छा से अवकाश नहीं लिया। केवल 2019 में ब्रेन स्ट्रोक के कारण उन्हें एक महीने की मेडिकल लीव लेनी पड़ी थी, लेकिन उन्होंने एक महीने के अदंर स्वस्थ होकर फिर से कार्यभार संभाल लिया। उनके इस समर्पण के चलते उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है।

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दो बार नाम दर्ज

2006 में जब एमवाय अस्पताल में शवों की संख्या बढ़ने लगी, तब धार रोड स्थित गोविंद वल्लभ पंत जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम सुविधा शुरू की गई और इसकी जिम्मेदारी डॉ. भरत बाजपेयी को सौंपी गई। तब से लेकर अब तक उन्होंने बिना किसी स्वैच्छिक अवकाश के कार्य किया। इस समर्पण के कारण उन्हें 2011 में लगातार 5 साल तक बिना छुट्टी लिए काम करने पर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान मिला। इसके बाद 8 वर्षों तक लगातार काम करने पर उन्हें दोबारा इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया गया।

बेटे की शादी के दिन भी किए दो पोस्टमार्टम

कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल पेश करते हुए डॉ. बाजपेयी ने अपने बेटे की शादी के दिन भी दो शवों का पोस्टमार्टम किया। वे कहते हैं, एक बार मैंने कोई कार्यभार स्वीकार कर लिया, तो उसे पूरा करना मेरी नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है।

बच्चों के पोस्टमार्टम में कांप जाती है आत्मा

डॉ. बाजपेयी के लिए सबसे कठिन समय तब होता है, जब उन्हें नवजात या छोटे बच्चों का पोस्टमार्टम करना पड़ता है। वे कहते हैं, जब किसी मासूम की मौत होती है, जिसने अभी दुनिया भी नहीं देखी थी, तो उसे देखना बेहद कठिन होता है। हालांकि, न्याय दिलाने के लिए कठोरता से पोस्टमार्टम करना आवश्यक होता है, लेकिन अंदर से आत्मा हिल जाती है।

हर दिन तीन पोस्टमार्टम करते हैं डॉ. बाजपेयी

डॉ. बाजपेयी औसतन हर दिन तीन शवों का पोस्टमार्टम करते हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं, बल्कि न्याय की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके योगदान को देखते हुए चिकित्सा जगत में उन्हें एक प्रेरणास्रोत माना जाता है।

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