{“_id”:”6787c1dac5647be317030004″,”slug”:”who-is-engineer-baba-abhay-singh-s-know-about-his-journey-from-iit-bombay-to-spiritual-heights-2025-01-15″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Mahakumbh: एयरोस्पेस में बीटेक…लाखों की नौकरी, लेकिन नहीं लगा मन, अभय सिंह ने बताया कैसे बन गए इंजीनियर बाबा”,”category”:{“title”:”India News”,”title_hn”:”देश”,”slug”:”india-news”}}
अभय सिंह उर्फ इंजीनियर बाबा। – फोटो : ani
विस्तार
वैदिक सनातन धर्म के सर्वाधिक प्रतिष्ठित कुंभ पर्व का प्रयागराज में आगाज हो चुका है। कुंभ न सिर्फ लोगों के समागम और आस्था बल्कि ज्ञान और उपासना का भी केंद्र है। इसमें केवल अगाध जलराशि का ही संगम नहीं होता, बल्कि बहुविध विचारों का संगम भी होता है। इस कुंभ में तमाम साधु संत पहुंचे हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो अपने अलग अंदाज के लिए चर्चाओं में हैं। ऐसे ही एक बाबा अभय सिंह भी हैं, जो इंजीनियर बाबा के नाम से खूब चर्चाओं में हैं।
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कौन हैं ‘इंजीनियर बाबा’?
इंजीनियर बाबा के नाम से इंटरनेट पर वायरल हो रहे अभय सिंह का दावा है कि वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT-B) के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने वहां से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। अभय सिंह मूल रूप से हरियाणा से आते हैं। उन्होंने अपने अनोखे अंदाज से महाकुंभ में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।जूना अखाड़े से जुड़े अभय सिंह चित्र और आरेखों की मदद से जटिल आध्यातिमक अवधारणाओं को सरल तरीके से श्रद्धालुओं को समझाते हैं।
बाबा अभय सिंह ने आईआईटी से ‘भक्ति’ की राह पर आने के अपने सफर के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि उनका जन्म हरियाणा के झज्जर में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं की, इसके बाद वे जेई की तैयारी करने लगे। इसके बाद वे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के लिए मुंबई आईआईटी गए। जहां उनके जीवन ने अलग-अलग मोड़ लिए। उन्होंने बताया कि आईआईटी से जब में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कर रहा था तो मुझे लगता था कि यही सब कुछ है। बाद में जब मैं अध्यात्म की ओर अग्रसर हुआ तो अब मुझे लगता है कि असली साइंस यही है।
जीवन के बारे में बताई अहम बात
अभय सिंह का कहना है कि इंजीनियरिंग के दौरान उनका खासा झुकाव ह्नयुमिनिटी की ओर था। इस बाबत उन्होंने दर्शन से जुड़े अलग-अलग ग्रंथों और दार्शिनिकों को पढ़ा। इस दौरान उनकी डिजाइनिंग में भी रुचि बढ़ी। जिसके चलते उन्होंने दो सालों तक डिजाइनिंग भी सीखी। बाद में उन्होंने काफी समय तक फोटोग्राफी करने वाली एक कंपनी में भी काम किया, लेकिन कुछ समय बाद वहां से भी उनका मन उचाट हो गया। इस दौरान वे डिप्रेशन में चले गए। जिससे निकलने के लिए वे कनाडा में काम करने भी गए। जहां उन्होंने नौकरी भी की। जहां उनकी सैलरी तीन लाख प्रति महीने थी. उसके बाद सैलरी में इजाफा भी हुआ। हालांकि वहां भी उनका मन नहीं लगा। बाद में कोरोना के दौरान वे भारत आ गए। इसके बाद उन्होंने दर्शन से जुड़े विषयों का अध्ययन शुरू किया और अपने जीवन का सार समझने की कोशिश शुरू की। अब उनका कहना है कि उन्होंने अपना जीवन भगवान को समर्पित कर दिया है। भक्ति में उनको वो सुकून मिल रहा है जो वे खोज रहे थे।
अध्यात्म’ केवल एक व्यक्तिगत खोज नहीं
बाबा अभय सिंह कहते हैं कि ‘अध्यात्म’ केवल एक व्यक्तिगत या अलग-थलग खोज नहीं है। यह वह सार है जो भारत के संपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ताने-बाने को बांधता है।