जुलाई महीने में थोक महंगाई दर (-) 0.58 प्रतिशत पर पहुंच गई। जून महीने में यह (-) 0.13 प्रतिशत थी। सरकार की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों में इसकी पुष्टि हुई। जुलाई महीने में थोक महंगाई दर दो साल के निचले स्तर -0.58% पर रही। सरकार ने बताया है कि मुद्रास्फीति की नकारात्मक दर खाद्य पदार्थों, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, मूल धातुओं के विनिर्माण आदि की कीमतों में कमी के कारण है।
क्या है थोक मूल्य सूचकांक?
जून में, थोक मुद्रास्फीति 20 महीने के निचले स्तर -0.13% पर आ गई। मई में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) 14 महीने के निचले स्तर 0.39% पर आ गया। थोक मूल्य सूचकांक या WPI उन वस्तुओं की कीमतों में बदलाव को मापता है जिन्हें थोक व्यापारी कंपनियों को बेचते हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) उपभोक्ताओं की ओर से खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर नजर रखता है। वहीं, WPI खुदरा कीमतों से पहले फैक्टरी गेट कीमतों पर नजर रखता है।
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लगातार दूसरे महीने में महंगाई का आंकड़ा नकारात्मक क्षेत्र में
थोक मूल्य मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) जुलाई में लगातार दूसरे महीने नकारात्मक क्षेत्र में रही और यह -0.58 प्रतिशत रही। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में गिरावट दिखी।हालांकि विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में इजाफा देखा गया।
जून में थोक मुद्रासफीति की दर (-) 0.13% रही
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में (-) 0.13 प्रतिशत रही। पिछले साल जुलाई में यह 2.10 प्रतिशत थी। उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “जुलाई 2025 में मुद्रास्फीति की नकारात्मक दर मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, मूल धातुओं के निर्माण आदि की कीमतों में कमी के कारण है।”
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सब्जियों की कीमतों में गिरावट के कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी
थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं में जुलाई में 6.29 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। जून में इसमें 3.75 प्रतिशत की गिराव आई थी। इस दौरान सब्जियों के दाम में भारी गिरावट देखी गई। जुलाई में सब्जियों में अपस्फीति 28.96 प्रतिशत रही, जबकि जून में यह 22.65 प्रतिशत थी।
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विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में 2.05% का इजाफा
विनिर्मित उत्पादों के मामले में मुद्रास्फीति जुलाई में 2.05 प्रतिशत रही। इससे पिछले महीने यह 1.97 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली में जुलाई में 2.43 प्रतिशत की नकारात्मक मुद्रास्फीति या अपस्फीति देखी गई, जबकि जून में यह 2.65 प्रतिशत थी।