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Why Fiis Not Investing In India,10% प्रॉफिट = 4% रिटर्न, क्‍यों ‘घर’ आने को तैयार नहीं ‘परदेसी’? एक्‍सपर्ट ने समझाया पूरा गणित – foreign investors selling spree continues to impact indian stock market how 10% profit shrinks to 4%

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Feb 16, 2025


नई दिल्‍ली: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट जारी है। बीते शुक्रवार को लगातार आठवें सत्र में सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट देखी गई। साना सिक्योरिटीज के संस्थापक रजत शर्मा ने बताया कि कैसे करेंसी में उतार-चढ़ाव और टैक्स एफआईआई के रिटर्न को कम करते हैं जिससे भारतीय बाजार कम आकर्षक हो जाते हैं। इस गिरावट के बीच बाजार के जानकारों ने एफआईआई के रुख पर चिंता जताई है।भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट का मुख्य कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली है। शुक्रवार को सेंसेक्स 199.76 अंक लुढ़ककर 75,939.21 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 102.15 अंक गिरकर 22,929.25 पर पहुंच गया। पिछले आठ कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स 2,644.6 अंक (3.36%) और निफ्टी 810 अंक (3.41%) टूट चुका है।

रजत शर्मा ने बताया कि कैसे करेंसी में उतार-चढ़ाव और टैक्स, खासकर लॉन्‍ग-टर्म कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स (एलटीसीजी)एफआईआई के रिटर्न को कम करते हैं। उन्होंने एक उदाहरण के जरिये समझाया कि कैसे 10% का मुनाफा करेंसी कन्‍वर्जन और एलटीसीजी के बाद सिर्फ 4% के रिटर्न में बदल जाता है।

भारत में FII क्‍यों निवेश नहीं कर रहे?

शर्मा ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म ‘एक्‍स’ लिखा, ‘भारत में एफआईआई निवेश क्यों नहीं कर रहे हैं? मान लीजिए आप 1 अमेरिकी डॉलर को 84 रुपये प्रति डॉलर की दर से रुपये में बदलकर निवेश करते हैं और 10% का मुनाफा कमाते हैं। आपका निवेश बढ़कर 92.4 रुपये हो जाता है। आप बेचते हैं और उसे वापस लेते हैं। आप LTCG = 1.05 रुपये का भुगतान करते हैं। आपको = 91.35 रुपये मिलते हैं। आप 88 रुपये प्रति डॉलर की दर से वापस डॉलर में बदलते हैं। आपको = 1.04 अमेरिकी डॉलर मिलते हैं। मतलब, 10% मुनाफा = 4% रिटर्न!’

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘निवेशकों के मन में जोखिम से बचने की भावना हावी है। कारण है कि कंपनियों की कमाई उम्मीद से काफी कम रही है, खासकर मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में।’ उन्होंने कहा कि बाहरी फैक्‍टर जैसे टैरिफ, रुपये में गिरावट और कमजोर कमाई के रुझान बाजार की धारणा को कमजोर रख रहे हैं। उनके मुताबिक, ‘जब तक टैरिफ पर स्पष्टता और कॉर्पोरेट आय में सुधार नहीं होता तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।’

FII ने की ताबड़तोड़ ब‍िकवाली

एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, गुरुवार को एफआईआई ने 2,789.91 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। विश्लेषकों का मानना है कि भारत के व्यापारिक संबंधों को लेकर चल रही अनिश्चितता, जिसमें हाल ही में अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए घोषित बातचीत भी शामिल है, विदेशी निवेशकों के सतर्क रुख का कारण हो सकती है।

इस बीच भारत और अमेरिका ने 2030 तक अपने द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर करने का संकल्प लिया है। इस प्रतिबद्धता के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बाजार पहुंच में सुधार और शुल्क कम करने के लिए 2025 तक एक बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करने की योजना की घोषणा की।

शुक्रवार को सेंसेक्‍स में सबसे ज्यादा गिरावट वाले शेयरों में अडानी पोर्ट्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, सन फार्मा, इंडसइंड बैंक, एनटीपीसी और टाटा स्टील शामिल थे। दूसरी ओर नेस्ले, आईसीआईसीआई बैंक, टीएस, इन्‍फोसिस और एचसीएल टेक बढ़त वाले शेयरों में शामिल थे।

(डिस्क्लेमर: इस विश्लेषण में दिए गए सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, एनबीटी के नहीं। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी निवेश का निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श कर लें क्योंकि शेयर बाजार की परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं।)

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