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28 जनवरी 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस के बीच तीखी बहस हुई.
इस मामले में यूक्रेनी विश्लेषक ज़ेलेंस्की का पक्ष लेते देखे जा रहे हैं. कई लोग उन्हें मज़बूत नेता बता रहे हैं.
वहीं विपक्षी नेता चेतावनी दे रहे हैं कि इसके “परिणाम बेहद बुरे” हो सकते हैं. उनका कहना है कि अमेरिका और यूक्रेन के बीच दूरी का फायदा रूसी राष्ट्रपति ले सकते हैं.
शुक्रवार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफ़िस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की मुलाक़ात हुई. ये मुलाक़ात जल्द तीखी बहस में तब्दील हो गई थी.
यूक्रेनी विश्लेषक, ब्लॉगर्स ने क्या कहा?
यूक्रेनी ब्लॉगर सर्गेई इवानोव कहते हैं, “आख़िरकार यूक्रेन को आज सब्जेक्टिविटी हासिल हो गई. ये हमारे लिए आसान नहीं होगा, लेकिन ये कभी आसान था भी नहीं.”
वो कहते हैं, “हम किसी को हमारे चेहरे पर थूकने नहीं दे सकते. भले ही कोई भी ऐसा करने की कोशिश करे.”
उन्होंने राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की की तारीफ की और कहा, “यूक्रेन के साथ चलना आसान नहीं है. यूरोप में यूक्रेन के पास सबसे मज़बूत सेना है. सबसे ताकतवर और सबसे रचनात्मक लोग और एक राष्ट्रपति जो हिम्मतवाला है.”
वो कहते हैं, “अब ट्रंप और जोकर वेंस खुद उन्हें निजी तौर पर जान चुके हैं. या तो आप यूक्रेन का सम्मान करें और जो क़ीमत हमने चुकाई है उसका सम्मान करें. या फिर हम तथ्यों को आपके सामने लाएंगे. आप हमें झुका नहीं सकते.”
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा कि राष्ट्रपति को अब घर लौट आना चाहिए. उन्होंने लिखा, “वक्त है यूरोप से बात करने का. अमेरिका में अब कोई नहीं जिससे बात की जा सकती है.”
लवीव के गवर्नर मेक्सिम कोज़ित्स्की ने कहा, “वॉशिंगटन में जो होता है मैं उस पर नज़र रखता हूं. इंग्लैंड में एक थे रिचर्ड, शेर के जिगर वाला. और हमारे पास वोलोदिमीर हैं, शेर के जिगर वाला.”
ब्लॉगर और सेना में शिरकत कर चुके ओलेक्ज़ेंडर अरोनेत्स ने कहा, “कोई चाहे जो कुछ भी कहे, हमारे राष्ट्रपति लोहे की तरह मज़बूत हिम्मतवाले हैं, वो देश के हितों की रक्षा करना जानते हैं.”
ज़ेलेंस्की के समर्थन में पोस्ट करने वाले ब्लॉगर मिख़ाइलो श्नाइडर ने कहा, “आज एक ऐतिहासिक दिन है, जो दिखाता है कि यूक्रेन के पूरे इतिहास में ज़ेलेंस्की अकेले राष्ट्रपति हैं जो स्टील की तरह मज़बूत चरित्र वाले हैं और जिन्होंने धरती के सबसे ताकतवर व्यक्ति के सामने भी अपना सिर न झुकाने की ताकत दिखाई.”
पत्रकार इवान याकोनिवा ने कहा कि उन्हें पता था कि ट्रंप “बहुत धमकाने वाले, रूखे और ज़ोर आज़माइश करने वाले हो सकते हैं.”
वो कहते हैं, “ये दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हमें याद रखना होगा कि उनसे शब्द, वो अच्छे हो या बुरे, मायने नहीं रखते. जो वात अहम है वो ये कि वो क्या करते हैं (या क्या नहीं करते). यही नतीजा होगा. लेकिन ये ब्ला-ब्ला-ब्ला मायने नहीं रखता. इसके एक दिन बाद वो ये भी कह सकते हैं कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा.”
‘जो हुआ उसका नतीजा बुरा हो सकता है’
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यूक्रेनी संसद में विपक्षी सासंद ओलेक्सी होन्चारेन्को ने कहा, “अनिवार्य रूप से हमने जो देखा वो ट्रंप के साथ हमारे संबंधों का ख़त्म होना है.”
उन्होंने कहा, “ये बिल्कुल बचकाना है कि आप कैमरों के सामने अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ जिरह करना शुरू कर दें. आप ये कर सकते है और शायद ये करना भी चाहिए, लेकिन कैमरे के सामने नहीं. जो कुछ हुआ उसका बेहद बुरा असर पड़ सकता है.”
“स्टारलिंक सैटलाइट का काम बंद होने से लेकर, वो ख़ुफ़िया जानकारी जो अमेरिका हमें देता है. ये कोई खेल नहीं है. हमारे हज़ारों लोग लड़ रहे हैं, मर रहे हैं. हमारे मुख्य सहयोगी के साथ इस तरह से चर्चा करने के लिए नहीं.”
होन्चारेन्को कहते हैं, “ज़रा सोचिए, जो कुछ आज हुआ उससे कौन खुश हुआ होगा?”
वो कहते हैं, “मुझे लगता है वो पुतिन हैं, सोचिए आप यूक्रेन के ख़िलाफ़ तीन साल से युद्ध लड़ रहे है और पूरा विश्व हमारे साथ आया. और अब, यूक्रेन के मुख्य सहयोगी ने उसके साथ रिश्ते तोड़ लिए हैं. आपको क्या लगता है: इससे किसकी जीत होती है? यूक्रेन? हमारी सेना? हमारे लोग?”
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यूक्रेन के सबसे जानेमाने अंग्रेज़ी भाषा के अख़बार कीएव इंडिपेंडेंट ने एक संपादकीय छापा है जिसमें उसने कहा है कि अमेरिका, यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस के साथ हाथ मिला रहा है.
अख़बार लिखता है, “ये वक्त है कि सीधे-सीधे कहा जाए कि अमेरिका के नेतृत्व ने युद्ध में अपना पक्ष बदल लिया है. इस कोशिश में वो अपने दूसरे सहयोगियों पर भी दबाव बना रहे हैं. लेकिन जो बात सबसे ज़रूरी है वो ये कि, वो अमेरिका के हितों को धोखा दे रहे हैं, उसे और कमज़ोर बना रहे हैं.”
जाने-माने पत्रकार से राजनेता बने मुस्तफ़ा नयेम कहते हैं कि ट्रंप प्रशासन यूक्रेन को “पर्दे के पीछे के सौदों और ख़ुफ़िया तरीके से हाथ मिलाने की अपनी आरामदायक दुनिया में एक बाधा के रूप में देखता है.”
वो कहते हैं, “वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की अपनी ज़मीन पर बने रहे” और अपने विरोधियों की तुलना में उन्होंने ऐसा “सम्मान” के साथ किया है.
पत्रकार डेनिस काज़ान्स्की कहते हैं कि ज़ेलेंस्की को उस वक्त एक बेहद मुश्किल स्थिति में डाल दिया गया जब उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने उन पर कृतघ्न होने का आरोप लगाया.
वो कहते हैं, “अगर उस वक्त उन्होंने अपना मुंह बंद रखा होता और सिर हिलाते रहते तो ये बेहद अपमानजनक लगता. उन्होंने जवाब देना शुरू किया और उन पर अमेरिका का अपमान करने का आरोप लगाया गया.
सैन्य मामलों के जानकार मायकोला बेलेस्कोव कहते हैं कि उन्हें नहीं पता अब इस बिगड़े रिशतों को कैसे सुधारा जाए.
वो कहते हैं, “मौजूदा स्थिति में अमेरिका का समर्थन और आपसी हित वाले रिश्ते हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. लेकिन हम ये कैसे करें जब वो हमारी बात नहीं सुनते और हमारे हितों को नज़रअंदाज़ करते हैं. ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं पता.”
“उन लोगों के प्रति मेरी सहानुभूति है जो अभी के दौर में अमेरिका-यूक्रेन रिश्तों के लिए ज़िम्मेदार हैं. लेकिन कल का दिन हमारे संबंधों के लिहाज़ से अब तक का सबसे काला दिन था.”
आम नागरिकों ने क्या कहा?
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बीबीसी ने इस मुद्दे पर कई यूक्रेनी नागरिकों से भी बात की.
एक यूक्रेनी नागरिक ने कहा, “जब आप ज़ेलेंस्की का चेहरा देखते हैं तो आप समझ जाते हैं बातचीत सभ्य नहीं थी, चर्चा बेहद रूखी थी. वो लोग यूक्रेन के लोगों का सम्मान नहीं करते.”
एक अन्य यूक्रेनी नागरिक से कहा, “शायद ये बहुत अच्छी कूटनीतिक चर्चा नहीं थी, लेकिन ये ईमानदार चर्चा थी. हमने उन्हें बताने की कोशिश की कि यहां क्या चल रहा है. लेकिन किसी कारण से राष्ट्रपति को कुछ ग़लत आइडिया है.”
एक अन्य यूक्रेनी नागरिक ने कहा, “लगता है कि वो रूस का समर्थन कर रहे हैं, वो यूक्रेन और युद्ध को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं. उनका सोचना है कि वो समझौता कर सकते हैं, डील कर सकते हैं और युद्ध के बारे में भूल सकते हैं. लेकिन हम नहीं भूल सकते.”
एक यूक्रेनी महिला ने कहा, “ट्रंप ने ज़ेलेंस्की से कहा कि वो विश्व युद्ध तृतीय का जोखिम ले रहे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है.”
वो कहती हैं, “लेकिन ऐसा लगता है कि हमें इस खेल में सौदेबाज़ी के लिए हमारा इस्तेमाल किया जा रहा है.”
एक और यूक्रेनी नागरिक ने कहा, “ट्रंप शायद ऐसे इंसान हैं जो अपने सिवा किसी की बात नहीं सुनते, और वो शायद किसी की बात सुनना भी नहीं चाहते.”
एक अन्य यूक्रेनी नागरिक मानते हैं कि इस मुद्दे को अधिक कूटनीतिक तरीके से किया जाना चाहिए था.
वो कहते हैं, “एक इंसान तौर पर मैं ज़ेलेंस्की को समझ सकता हूं क्योंकि ट्रंप और वेंस के साथ बातचीत का जो लहज़ा था उससे ये इशारा मिल रहा था कि ये इस तरह ख़त्म हो सकता है. ये अधिक कूटनीतिक तरीके से हो सकता था लेकिन हमारे पास जो है सो है और हमें यूरोप के साथ और क़रीबी से काम करना चाहिए.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित
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