रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने सेंट पीटर्सबर्ग में 12 सितंबर को मुलाक़ात की है.
पुतिन आम तौर पर अपने समकक्षों से मिलते हैं लेकिन अजित डोभाल से उन्होंने मुलाक़ात की और बात भी की. हालांकि अजित डोभाल से पुतिन पिछले साल भी मॉस्को में मिले थे.
ये मुलाक़ात ऐसे वक़्त में हो रही है, जब बीते दो महीनों में पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों देशों का दौरा किया था.
ऐसे में डोभाल और पुतिन की मुलाक़ात पर सबकी नज़रें थीं.
रूस की न्यूज़ एजेंसी ‘स्पूतनिक’ के सोशल मीडिया हैंडल्स से इस मुलाक़ात का वीडियो जारी करते हुए लिखा गया- डोभाल ने यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ पीएम मोदी की मुलाक़ात के बारे में पुतिन को जानकारी दी.
डोभाल ने पुतिन को बताया क्या
डोभाल वीडियो में कह रहे हैं, ”प्रधानमंत्री मोदी ने जैसा कि आपको फ़ोन पर हुई बातचीत में बताया कि वो आपको यूक्रेन दौरे और ज़ेलेंस्की से मुलाक़ात के बारे में बताना चाहते हैं. पीएम मोदी चाहते थे कि मैं ख़ास तौर पर यहां आऊं और आपको उस बातचीत के बारे में मिलकर बताऊं.”
डोभाल ने कहा, ”बातचीत बंद दरवाज़ों के भीतर हुई. सिर्फ़ दोनों नेता थे. उनके साथ दो लोग थे. मैं भी वहां पीएम के साथ था. उस बातचीत का साक्षी मैं भी रहा.”
आरटी के मुताबिक़, व्लादिमीर पुतिन ने 22 अक्तूबर को कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अलग द्विपक्षीय बैठक का प्रस्ताव रखा है.
भारत में रूस के दूतावास की ओर से बताया गया है कि इस बातचीत में भारत-रूस की सफल साझेदारी पर बात हुई.
साथ ही द्विपक्षीय रिश्तों में सुरक्षा से जुड़े मुद्दे की अहमियत पर पुतिन ने ज़ोर दिया. इस क्षेत्र में बातचीत करने के लिए पुतिन ने भारत को शुक्रिया कहा.
यूक्रेन से लौटने के बाद पीएम मोदी और पुतिन की फ़ोन पर बातचीत हुई थी.
तब पीएम मोदी ने भी यूक्रेन दौरे के बारे में पुतिन को बताया था. मगर डोभाल और पुतिन की मुलाक़ात पर रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता से सवाल भी पूछे गए.
रूस ने क्या कहा?
डोभाल से मुलाक़ात के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव से पत्रकारों ने सवाल पूछे.
प्रवक्ता से ये पूछा गया कि क्या डोभाल ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की का कोई संदेश भी दिया. इस पर पुतिन के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा कोई संदेश नहीं दिया गया है.
रूस की न्यूज़ एजेंसी तास के मुताबिक़, पेस्कोव ने कहा कि डोभाल ने यूक्रेन में जारी जंग के समाधान के बारे में भारत के रुख़ को बताया.
पेस्कोव ने कहा, ”यूक्रेन में संघर्ष ख़त्म करने के लिए मोदी के नज़रिए को डोभाल ने बताया. हालांकि हम यहां एक स्पष्ट शांति योजना के बारे में बात नहीं कर रहे हैं.”
पीएम मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन गए थे. राजनयिक रिश्ते स्थापित होने के बाद यूक्रेन में ये किसी भारतीय पीएम का पहला दौरा था.
पीएम मोदी ने इस दौरे में शांति के ज़रिए समाधान तलाशने की बात की थी.
इस मुलाक़ात में ज़ेलेंस्की ने दिल्ली में शांति सम्मेलन करवाने की बात की थी मगर शर्त ये रखी थी कि भारत इस दिशा में हुई पहली बैठक के बयान पर हस्ताक्षर करे.
पुतिन और डोभाल की बैठक के मायने
पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विश्लेषक डॉ क़मर चीमा ने अमेरिका की डेलावेयर यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के अमेरिकी प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान से मोदी सरकार में अजित डोभाल की हस्ती के बारे में कहा था, “इंडिया में डिप्लोमैसी के तीन लेवल हैं. एक तो प्रधानमंत्री मोदी ख़ुद ही डिप्लोमैसी करते हैं. मोदी जब ट्रैवेल करते हैं तो डिप्लोमैसी उनके दिमाग़ में होती है. दूसरे लेवल की डिप्लोमैसी के सेंटर जयशंकर हैं और तीसरे नंबर पर अजित डोभाल हैं.”
अजित डोभाल की रूस में हुई बैठक कई मायनों में अहम मानी जा रही है.
यूरोप के कई देशों की ओर से रूस-यूक्रेन संकट में भारत से शांति समझौता करवाने की मांगें तेज़ हुई हैं.
अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने के लिए भारत के पास कोई तय शांति प्रस्ताव नहीं है. मगर सीधी बातचीत ना होने के कारण भारत संदेशवाहक की भूमिका निभाने और संघर्ष कम करवाने के लिए तैयार है.
पीएम मोदी और ज़ेलेंस्की इस महीने के आख़िर में न्यूयॉर्क में होंगे. अधिकारियों का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच मुलाक़ात हो सकती है.
रूस-यूक्रेन संकट को ख़त्म करवाने में भारत की ओर नज़रें होने के कई कारण हैं. भारत रूस का पुराना साथी रहा है.
यूक्रेन पर युद्ध शुरू किए जाने के बाद रूस पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगाए थे. मगर भारत ने इस प्रतिबंध की परवाह ना करते हुए रूस से व्यापारिक रिश्ते जारी रखे थे. भारत ने युद्ध के दौरान रिकॉर्ड स्तर पर रूस से तेल ख़रीदा.
जुलाई महीने में जब पीएम मोदी रूस गए थे तो पुतिन से गले मिले थे. इस तस्वीर पर ज़ेलेंस्की समेत कई पश्चिमी देशों ने आपत्ति जताई थी.
हालांकि पीएम मोदी जब यूक्रेन दौरे पर गए तो ज़ेलेंस्की से भी गले मिले और उनके कंधे पर हाथ रखे हुए नज़र आए. कई जानकारों ने इसे भारत के संतुलन बनाए रखने की नीति के तौर पर देखा.
हालांकि एक पत्रकार के इस बारे में सवाल पूछने पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था, ”दुनिया के जिस हिस्से में हम रहते हैं, वहां लोग मिलने पर एक-दूसरे को गले लगाते हैं. ये आपकी संस्कृति का हिस्सा नहीं होगा पर मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है. मैंने आज देखा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को भी गले लगाया.”
हालांकि थिंक टैंक रैंड कॉर्पोरेशन में इंडो पैसिफिक के विश्लेषक डेरेक जे ग्रॉसमैन ने पीएम मोदी के जे़लेंस्की को गले लगने वाली तस्वीर को साझा कर लिखा था- ये बहुत बुरा है कि मोदी सबको गले लगाते हैं और इस कारण इसका कोई मतलब नहीं रह जाता है.
यूक्रेन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र समेत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब-जब रूस के ख़िलाफ़ कोई प्रस्ताव या बात होती तो भारत ने उससे दूरी बनाए रखी.
लेकिन भारत यूक्रेन को मानवीय मदद भिजवाता रहा है.
भारत के विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़, 2021-22 वित्तीय वर्ष में भारत-यूक्रेन के बीच 3.3 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था.
वहीं रूस और भारत के बीच क़रीब 50 अरब डॉलर से ज़्यादा का व्यापार हुआ. दोनों देशों के बीच आने वाले समय में कारोबार 100 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है.
पुतिन ख़ुद भी पीएम मोदी की खुलकर तारीफ़ करते रहे हैं.
यूक्रेन के मामले में पुतिन का भरोसा किस पर
पुतिन ने पांच सितंबर को कहा था- रूस यूक्रेन के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार है लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें हैं.
पुतिन ने कहा था, ”हम लोग यूक्रेन सरकार के प्रतिनिधियों से संभावित शांति वार्ता के सभी मानदंडों तक पहुंच चुके हैं. इन सभी मानदंडों की हर चीज़ पर सहमति बन चुकी है.”
पुतिन ने कहा था, ”हम उनके उन दोस्तों और सहयोगियों का सम्मान करते हैं, जो इस संघर्ष को ख़त्म करने के लिए वाक़ई गंभीर हैं. मुख्य रूप से ये देश हैं भारत,चीन और ब्राजील.”
पुतिन ने कहा था, ”मैं इस मुद्दे पर लगातार अपने दोस्तों के संपर्क में हूँ. मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इन देशों के नेता इस जटिल प्रक्रिया की सभी बारीकियों को समझने में मदद करते हुए गंभीरता से प्रयास करते हैं. रूस का इन देशों के साथ भरोसे का रिश्ता है.”
पीएम मोदी कई मौक़ों पर कह चुके हैं- ये युद्ध का समय नहीं है.
2022 में ताशकंद में भी पीएम मोदी ने पुतिन के सामने भी यही बात कही थी.
हालांकि पीएम मोदी के जैसे रिश्ते पुतिन के साथ नज़र आते हैं, वैसे ज़ेलेंस्की के साथ नहीं दिखे हैं.
बीते महीने जब पीएम मोदी यूक्रेन का दौरा ख़त्म कर भारत के लिए निकले ही थे, तब ज़ेलेंस्की ने प्रेस वार्ता में भारत के प्रति बेरुख़ी भरे बयान दिए थे.
ज़ेलेंस्की ने कहा था, ”मैंने पीएम मोदी से कहा कि हम भारत में वैश्विक शांति सम्मेलन रख सकते हैं. ये एक बड़ा देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र है. लेकिन हम ऐसे देश में शांति सम्मेलन नहीं रख सकते जो पहले शांति सम्मेलन में जारी हुए साझा बयान में शामिल नहीं हुआ.”
स्विटज़रलैंड में यूक्रेन में शांति को लेकर सम्मेलन हुआ था.
भारत की तरफ़ से इस सम्मेलन में विदेश मंत्रालय के सेक्रेटरी (पश्चिम) पवन कपूर शामिल हुए थे. इस सम्मेलन के बाद जारी हुए साझा बयान से भारत ने दूरी बनाई थी.
पुतिन के बारे में ज़ेलेंस्की ने कहा था, ”वो हमारे लिए हत्यारा हैं. लेकिन मोदी के रूस दौरे के दौरान जब बच्चों के अस्पताल पर हमला किया तो क्या पुतिन ने आपके लिए कुछ अच्छा किया? ये बहुत अहम पल था. पुतिन भारत का सम्मान नहीं करते.”
चीन-भारत के संदर्भ में पूछे सवालों के जवाब में ज़ेलेंस्की ने कहा था, ”अगर पुतिन की हरकतों को जायज़ ठहराया जा सकता है तो मुझे यक़ीन है कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी इसके अंजाम सीमा नियमों के उल्लंघन के तौर पर देखने को मिलेंगे.”
बीते सालों में चीन और रूस की नज़दीकियां ज़्यादा बढ़ी हैं. रूस एक ऐसा देश है, जिसकी भारत से भी दोस्ती है और चीन से भी. वहीं गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत चीन के बीच दूरियां बढ़ी हैं.
चीनी विदेश मंत्री से डोभाल की मुलाक़ात
डोभाल का रूस दौरा चीन की दृष्टि से भी अहम रह सकता है.
डोभाल ने रूस दौरे में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाक़ात की है. इस दौरान एलएसी पर मिलिट्री डिसइंग्जमेंट के बारे में भी बात हुई.
इस मुलाक़ात के दौरान मुख्य तौर पर चार साल के सैन्य गतिरोध के प्रस्ताव पर बात हुई.
कुछ दिन पहले ही वियतनाम में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और वांग यी की मुलाक़ात हुई थी.
द हिंदू के मुताबिक़, भारत चीन ने इस बात की पुष्टि नहीं की है लेकिन वांग और डोभाल की मुलाक़ात में कज़ान में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच मुलाक़ात की संभावनाओं के बारे में बात की गई.
इस मुलाक़ात के बारे में जारी विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक़, भारत चीन इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय रिश्ते न सिर्फ़ दोनों देशों बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए अहम हैं. डोभाल ने सीमा पर शांति और सम्मान की बात कही.
12 सितंबर को जेनेवा में जयशंकर ने एक कार्यक्रम में कहा था, ”भारत चीन की सेना के बीच 75 फ़ीसदी मिलिट्री डिसइंग्जमेंट का काम पूरा हो चुका है. गतिरोध के प्वॉइंट से सेनाएं पीछे लौट आती हैं तो शांति बनी रहती है, तब भारत-चीन रिश्तों को सामान्य करने की दूसरी संभावनाओं को भी देख सकते हैं.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित