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बोर्ते की तैमूजिन (चंगेज़ ख़ान) से शादी को बहुत दिन नहीं गुज़रे थे कि उनका अपहरण हो गया.
पत्रकार एरिन ब्लेकमोर ने अपने एक लेख में लिखा है कि यह अपहरण मरकित क़बीले की एक औरत हुइलोन को बोरजीगन क़बीले के प्रमुख यसूगोई के हाथों उठाए जाने का बदला था.
हुइलोन बाद में तैमूजिन की मां बनीं. तैमूजिन ने बोर्ते को मुक्त करा लिया.
इसके बाद युद्ध हुआ जिसमें मरकित हारे और उनका इलाक़ा जीत लिया गया.
बोर्ते और तैमूजिन के मिलन को, इगोर दा राशेविल्ट्ज़ की किताब ‘दी सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ़ दी मंगोल्स’ में इस तरह बताया गया है, “जब लूटमार जारी थी, तैमूजिन घबराहट में भागते लोगों के बीच घूमते हुए पुकार रहे थे- बोर्ते! बोर्ते!”
“जब बोर्ते ने तैमूजिन की आवाज़ को पहचाना तो वह दौड़ती हुई उनकी तरफ आईं. हालांकि रात का समय था लेकिन चांदनी में बोर्ते ने तैमूजिन की लगाम और रस्सी को पहचान लिया और उसे थाम लिया. तैमूजिन ने उनकी तरफ़ देखा और बोर्ते को पहचाना.”
चंगेज़ ख़ान का जीवन को लेकर फ़लसफ़ा
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क़बीलों की जीत का यह सिलसिला जारी रहा और तेरहवीं सदी की शुरुआत में तैमूजिन चंगेज़ ख़ान कहलाए और मंगोल साम्राज्य के संस्थापक बने.
रिचर्ड ब्रेसलर ने अपनी किताब ‘दी थर्टीन्थ सेंचुरी: अ वर्ल्ड हिस्ट्री’ में लिखा है कि चंगेज़ ख़ान ने अपनी हैसियत जंगों के ज़रिए बनाई.
“वह किसी औपचारिक दर्शन से परिचित नहीं थे. उनके दृष्टिकोण का पता उनके इस कथन से मिलता है जो स्टुअर्ट लेग की किताब ‘दी हार्टलैंड’ के अनुसार इस तरह था: “इंसान की ख़ुशी दुश्मन को रौंदने, उसे जड़ से उखाड़ने, उसका सब कुछ छीन लेने में है.”
चंगेज़ ख़ान ने पूरे जीवन इसी फ़लसफ़े पर काम किया.
एरिन ब्लेकमोर लिखती हैं, “वह (चंगेज़ ख़ान) जीत पर जीत हासिल करते गए और इलाक़ों को अपने क़ब्ज़े में लेते रहे. उनकी कई शादियां हुईं और सैकड़ों दासियां भी थीं. लेकिन बोर्ते उनकी पहली, सबसे पसंदीदा और सबसे प्रभावशाली पत्नी रहीं, जो सिर्फ़ उनके दिल में ही नहीं, बल्कि राजकाज में भी अहम जगह रखती थीं.”
माइकल बिरान और होडोंग किम द्वारा संपादित ‘दी कैंब्रिज हिस्ट्री ऑफ़ दी मंगोल एम्पायर’ से पता चलता है कि मंगोल समाज में राजनीतिक, कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
“वह ख़ान परिवार को सलाह देतीं, राजदूतों का स्वागत करतीं या ख़ुद कूटनीतिक यात्रा पर जातीं और दूसरे क्षेत्रों के शासकों से संपर्क करती थीं. वह सरकारी बैठकों में शामिल होकर युद्ध की योजना बनाती थीं. साथ ही नीतिगत निर्णय और उत्तराधिकार के फ़ैसलों में शामिल होती थीं. हालांकि वह ख़ुद ख़ान के तौर पर नहीं चुनी जा सकती थीं लेकिन ख़ान की विधवा होने के नाते सरकारी अधिकार इस्तेमाल कर सकती थीं.”
“चंगेज़ ख़ान की मां हुइलोन साम्राज्य के शुरुआती दौर की बेहद प्रभावशाली महिला थीं. यसूगोई की मौत के बाद वह ग़रीबी में बच्चों की परवरिश करती रहीं और तैमूजिन को राजनीतिक समझदारी की बातें बताती रहीं. इन सबके बीच बोर्ते एक महत्वपूर्ण भूमिका में रहीं.”
बोर्ते के अपहरण और मुक्त होने की कहानी
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बोर्ते साल 1161 में ओलखोनुद क़बीले में पैदा हुई थीं जो तैमूजिन (चंगेज़ ख़ान का असली नाम) के बोर्जीगन क़बीले का सहयोगी था. उन दोनों की बचपन में ही मंगनी हो गई थी जबकि शादी उस समय हुई जब बोर्ते की उम्र 17 और चंगेज़ की उम्र 16 साल थी.
शादी के कुछ ही दिन बाद मरकित क़बीले ने इस जोड़े के कैंप पर धावा बोल दिया. तैमूजिन अपने कम उम्र के छह भाइयों और मां समेत भागने में कामयाब हो गए लेकिन बोर्ते पीछे छूट गईं.
मरकित क़बीले के लोग असल में बोर्ते के लिए ही आए थे.
कहानी कुछ इस तरह है कि तैमूजिन की मां हुइलोन मरकित क़बीले से संबंध रखती थी और उसे तैमूजिन के पिता ने अपहरण करके अपनी बीवी बना लिया था. मरकित वर्षों बाद तक इस बात को भुला नहीं पाए थे और अब वह बोर्ते को उठा कर हुइलोन का बदला लेना चाहते थे.
बोर्ते एक बैलगाड़ी में छिप गईं लेकिन मरकितों ने उन्हें खोज निकाला और घोड़े पर बिठाकर साथ ले गए. तैमूजिन ने अपनी दुल्हन को मुक्त करने की कोशिशें जारी रखीं.
ख़ानाबदोश मरकित क़बीला मध्य एशिया की हज़ारों मील में फैली चरागाहों में जहां-जहां जाता, तैमूजिन कुछ दूरी बनाकर उनके पीछे-पीछे होते थे. इस दौरान उन्होंने इधर-उधर से साथी भी इकट्ठा करना शुरू कर दिया.
उनका एक कथन मशहूर है कि मरकितों ने “मेरा ख़ेमा ही सूना नहीं किया बल्कि सीना चीर कर मेरा दिल भी निकाल ले गए हैं.”
आख़िरकार, जब मरकित क़बीले ने साइबेरिया की बेकाल झील के पास तंबू गाड़ा तो तैमूजिन ने अपने साथियों के साथ बेहद नाटकीय छापामार कार्रवाई में बोर्ते को दुश्मनों के क़ब्ज़े से छुड़वा लिया.
कुछ इतिहासकारों के अनुसार यह घटना चंगेज़ ख़ान के जीवन में सबसे अहम है क्योंकि इसने उन्हें उस रास्ते पर डाल दिया जिस पर चलते हुए वह विश्वविजेता बनने के लिए निकले.
बोर्ते और साम्राज्य की स्थापना
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‘दी कैंब्रिज हिस्ट्री’ में लिखा है कि बोर्ते की शादी साल 1178 में तैमूजिन से हुई. केटिया राइट अपने एक लेख में लिखती हैं कि बोर्ते कौनकीरात क़बीले के सरदार दाई सचीन की बेटी थीं.
इसी शादी से तैमूजिन के राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई.
इस रिश्ते ने उन्हें “एक सम्मानित परिवार की पहचान दिलाई और उन्हें अपने आसपास ऐसे दोस्तों की मंडली बनाने मौक़ा मिला जो सत्ता के सफ़र में उनके साथ रहा. यह शादी तैमूजिन के लिए परिवार बनाने का ज़रिया भी बनी जो मंगोल राजनीतिक गठबंधन के लिए बेहद अहम था.”
‘दी कैंब्रिज हिस्ट्री’ के अनुसार, “बोर्ते तैमूजिन को राजनीतिक सलाह दिया करती थीं. उनके नौ बच्चे हुए. उनके बेटे (जोची, चुग़ताई, ओगदे और तोली) साम्राज्य के अलग-अलग क्षेत्र के शासक बने और ओगदे चंगेज़ ख़ान के उत्तराधिकारी घोषित किए गए. बाद की बीवियों के बेटों को ऐसी हैसियत नहीं मिली.”
टिमोथी मे ने ‘दी मंगोल एम्पायर’ में लिखा है कि केवल बोर्ते के बेटे ही तैमूजिन (चंगेज़ ख़ान) के बाद ख़ान बनने के उम्मीदवार समझे गए.
‘दी कैंब्रिज हिस्ट्री’ से पता चलता है कि बोर्ते की बेटियों (कौजीन, चेचगीन, अलाइका, तोमीलोन और आल अलतान) की शादियां ऐसे क़बीलों में हुईं जिनसे मंगोल साम्राज्य को राजनीतिक और सैन्य शक्ति मिली जैसे एलकर्ज़, अवीरात, औगोत, कौनकीरात और ऐगूर.
इन रिश्तों ने आसपास की रियासतों को बिना युद्ध के साम्राज्य में शामिल कराने में मदद दी. उनके पतियों ने बाद में सैनिक अभियानों में भी हिस्सा लिया जैसे ख़्वारिज़्म पर हमला (1219) और उत्तरी चीन की जीत (1211- 1215, 1217-1223).
टिमोथी मे के अनुसार, बोर्ते ने कई अनाथ बच्चों को भी गोद लिया जिनमें कतकूनियान और बोदानियान शामिल थे. बोर्ते ने उन्हें अपने बच्चों की तरह पाला. इस काम ने उनकी साख और सामाजिक प्रतिष्ठा बहुत बुलंद कर दी.
बोर्ते राजनीति और युद्ध के मामलों में देती थीं सलाह
एन ब्रॉडब्रिज अपनी किताब ‘वीमेन ऐंड द मेकिंग ऑफ़ दी मंगोल एम्पायर’ में लिखती हैं कि बोर्ते का महत्व सबको मालूम होता होगा.
बोर्ते तेज़-तर्रार थीं. उन्होंने अपनी सास हुइलोन के साथ कुछ ज़िम्मेदारियां बांटीं जिनमें पूरे कैंप की अर्थव्यवस्था तक की चीजें शामिल थीं.
“बोर्ते बड़ी बीवी के तौर पर न केवल तैमूजिन के कैंप और मवेशियों की निगरानी करती थीं बल्कि अपने व्यक्तिगत संसाधनों, नौकरों, दासियों, बीवियों और शाही सुरक्षा कर्मियों पर भी नज़र रखती थीं. यह संख्या हज़ार से भी ज़्यादा हो सकती थी. मंगोल परंपरा के अनुसार वह अपने पति और मेहमानों की मेज़बानी के लिए ज़िम्मेदार थीं और उनके कैंप ही में कई महत्वपूर्ण समझौते और गठबंधन हुए.”
“वह तैमूजिन को ठोस सलाह देती थीं जिन्हें गंभीरता से लिया जाता और उनका परिवार राजनीति और युद्ध में चंगेज़ ख़ान का सक्रिय सहयोगी था.”
“मंगोल समाज में उनका ऊंचा स्थान था. उनके अनुसार चंगेज़ ख़ान उन्हें राजनीति और युद्ध के मामलों पर सलाह के लिए बुलाते थे.”
उन्होंने यह भरोसा समझदारी से निभाया. उदाहरण के लिए चंगेज़ ख़ान के क़रीबी दोस्त जामूका, जिन्होंने अपहरण के बाद बोर्ते को मुक्त करने में मदद दी थी, धीरे-धीरे राजनीतिक दुश्मन बनते गए तो बोर्ते ने तैमूजिन को दोस्ती तोड़ने की सलाह दी. 1204 में तैमूजिन ने जामूका को हरा दिया और उसकी हत्या करवा दी.
टिमोथी मे के अनुसार, इसके अलावा बोर्ते ने पूरे एशिया में फैले व्यापारिक रास्तों की व्यवस्था संभाली और उन रास्तों पर यात्रा करने वाले अधिकारियों और व्यापारियों की सलाहकार के तौर पर भी काम किया. ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार, इस हैसियत में वह काफ़ी असरदार थीं जिसके कई उदाहरणों के दस्तावेज़ मौजूद हैं.
एक और मौक़े पर ख़ान के क़रीबी साथी तैब तंगगरी ने तैमूजिन के भाई की बेइज़्ज़ती की. बोर्ते ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और अपने पति से ज़िद की कि उन्हें कड़ी सज़ा दी जाए.
ब्लेकमोर ने इतिहासकार डोना हामिल के हवाले से लिखा है कि इस मौक़े पर ख़ान ने बोर्ते की सलाह मानी, जनता में शांति बहाल की और अपने नेतृत्व को मज़बूत किया.
ब्लेकमोर के अनुसार, “बोर्ते दूत, सलाहकार और प्रशासक की भूमिका में दिखाई दीं. उन्होंने अपनी हैसियत से साम्राज्य में रानी की भूमिका को तय किया.”
“हालांकि बोर्ते के जीवन के कई पहलू इतिहास के पर्दे में छिपे हैं, लेकिन वह इस बात का उदाहरण हैं कि साम्राज्य के निर्माण और रोज़ाना के प्रशासन में महिलाओं ने कितनी अहम भूमिका निभाई.”
ब्रॉडब्रिज लिखती हैं, “चंगेज़ ख़ान को पत्नी के रूप में न सिर्फ़ ऐसी साथी मिली जिस पर वह भरोसा कर सकते थे, बल्कि पूरे साम्राज्य को भी ऐसी महिलाओं की ज़रूरत थी. अगर मंगोल साम्राज्य में ये महिलाएं न होतीं, तो शायद साम्राज्य भी न होता.”
“वह सारी उम्र चंगेज़ ख़ान की बड़ी बीवी रहीं. वह ज़्यादातर वक़्त अपने पति के साथ रहीं, हालांकि जब वह उनके साथ नहीं थीं, तब वह साम्राज्य के कुछ हिस्सों को ख़ुद संभाल रही थीं.”
ब्रॉडब्रिज ने उन्हें चंगेज़ ख़ान के जीवन की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में गिना है और उनसे जुड़ी कहानियां इसकी गवाह हैं.
जब चंगेज़ ख़ान जीत हासिल करने में लगे होते थे, बोर्ते मंगोलिया में रहकर साम्राज्य की व्यवस्था में मदद करती थीं. उनकी निजी ज़मीनें ख़िरलन नदी के किनारे स्थित थीं.
टिमोथी मे के अनुसार, बोर्ते की मौत 1230 में अपने पति चंगेज़ ख़ान के बाद हुई. अपनी ज़िंदगी के दौरान वह मंगोल राष्ट्र की बेहद सम्मानित शख़्सियत बन चुकी थीं.
“बोर्ते ने न केवल अपने पति की सलाहकार के रूप में काम किया, बल्कि अपनी बेटियों को भी इस बात की ट्रेनिंग दी कि वह राज्य के मामलों में प्रतिनिधि, दूत और सक्रिय भूमिका निभाने वाली बनें.”
एशियाई विषयों के लेखक मैक्स लू के अनुसार, “वर्तमान मंगोलिया में स्थित होलोन और चाहान झीलें धूप में एक-दूसरे का ख़ूबसूरत साथ देती हैं और मंगोलों के लिए पवित्र मानी जाती हैं. इसकी वजह यह है कि चंगेज़ ख़ान और महारानी बोर्ते की शादी यहीं हुई थी, जो उनके जीवन भर के रिश्ते का प्रतीक बन गई.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित