सोमवार रात पंजाब के जालंधर स्थित उनके गांव ब्यास पिंड में टहलते समय एक अज्ञात वाहन की चपेट में आकर फौजा सिंह का निधन हो गया। 89 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ना शुरू करने वाले फौजा सिंह ने अपने आत्मबल के दम पर खुद को वैश्विक आइकन में तब्दील कर लिया था। फौजा सिंह ने लंदन न्यूयार्क और हांगकांग जैसे प्रसिद्ध मैराथन में भाग लिया।
पीटीआई, नई दिल्ली। ‘कभी भी जीवन को फिर से शुरू करने में देर नहीं होती’, इस कहावत का सबसे जीवंत उदाहरण थे फौजा सिंह। 114 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह चुके इस महान शख्सियत की कहानी असाधारण जज्बे और अपार दुखों से लड़ने की प्रेरक मिसाल रही है।
सोमवार को सड़क हादसे में हो गया था निधन
सोमवार रात पंजाब के जालंधर स्थित उनके गांव ब्यास पिंड में टहलते समय एक अज्ञात वाहन की चपेट में आकर उनका निधन हो गया। 89 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ना शुरू करने वाले फौजा सिंह ने अपने आत्मबल के दम पर खुद को वैश्विक आइकन में तब्दील कर लिया था।
उनकी जीवनी ‘द दर्बन्ड टोरनाडो’ के लेखक खुशवंत सिंह ने बताया, ‘हम उन्हें हमेशा कहते थे कि भारत में इतनी उम्र में दौड़ना खतरनाक हो सकता है क्योंकि ड्राइविंग बहुत लापरवाह है और और दुर्भाग्य से वही हुआ।
लंदन, न्यूयार्क और हांगकांग जैसे प्रसिद्ध मैराथन में भाग लिया
फौजा सिंह ने लंदन, न्यूयार्क और हांगकांग जैसे प्रसिद्ध मैराथन में भाग लिया और 90 वर्ष की उम्र में भी तेज समय दर्ज किया। 2012 के लंदन ओलंपिक में मशाल वाहक बनने के साथ-साथ उन्हें दिवंगत रानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
खुशवंत ने याद किया, रानी से मिलने से पहले हमें उन्हें समझाना पड़ा कि उन्हें केवल हाथ मिलाना है, गले नहीं लगाना है।1990 के दशक में बेटे की मृत्यु और पत्नी-बेटी को खोने के गम में डूबे फौजा ¨सह ने ब्रिटेन के एस्सेक्स में दौड़ना शुरू किया। यह सिर्फ शौक नहीं बल्कि उनके दुख को हरने का जरिया बन गया।
फौजा सिंह के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं था
फौजा सिंह के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं था, इसलिए 100 साल की उम्र में टोरंटो में स्थापित की गईं रिकॉर्ड दौड़ें गिनीज बुक में नहीं शामिल हुईं। लेकिन उन्हें कभी परवाह नहीं रही क्योंकि उनके लिए दौड़ना आत्मा की मुक्ति थी। मैराथन से उन्हें जो भी पैसा मिला, उन्होंने दान कर दिया। गुरुद्वारों में भी जो पैसे मिलते, वे सीधे दान पात्र में डाल देते थे।
मैकडोनाल्ड्स का स्ट्राबेरी शेक बहुत पसंद था
उन्हें पिन्नी और मैकडोनाल्ड्स का स्ट्राबेरी शेक बहुत पसंद था, लेकिन दौड़ की तैयारी में वह पूरी तरह अनुशासित रहते थे। आखिरकार फौजा सिंह अपने नाम के अर्थ ‘सैनिक’ की तरह ही जीए, लड़ते रहे, मुस्कराते रहे और अपनी संगत पर भरोसा करते रहे ‘संगत संभाल लेगी।’
फौजा सिंह हिट-एंड-रन मामले में आरोपी गिरफ्तार
जालंधर-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक दुर्घटना में 114 वर्षीय मैराथन धावक फौजा सिंह की दुखद मृत्यु के एक दिन बाद, जालंधर ग्रामीण पुलिस की टीमों ने सोमवार दोपहर उस आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, जिसकी फॉर्च्यूनर ने उसे टक्कर मारी थी और फिर मौके से फरार हो गया था।
आरोपी की पहचान जालंधर के करतारपुर उप-तहसील के दासुपुर गाँव निवासी अमृतपाल (32) के रूप में हुई है। पुलिस टीमों ने उसे मंगलवार शाम उसके घर से गिरफ्तार किया।