CISF Battle Ready Training सीआईएसएफ को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए भारतीय सेना के साथ ट्रेनिंग शुरू हो गई है। इसका उद्देश्य जवानों को आधुनिक खतरों से निपटने में सक्षम बनाना है। जवानों को ड्रोन हमले आतंकी हमले और तोड़फोड़ जैसी घटनाओं से निपटने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। क्विक रिएक्शन टीम के जवानों को प्राथमिकता दी जा रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद भवन, हवाई अड्डों, परमाणु, सामरिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली सीआइएसएफ को भी युद्ध के लिए तैयार किया जा रहा है। सीआइएसएफ को “बैटल रेडी” करने के लिए भारतीय सेना के साथ ट्रेनिंग शुरू कर दी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों और बदलते सुरक्षा खतरों को देखते हुए सीआइएसएफ को असामान्य और आधुनिक खतरों से निपटने लायक बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
सीआइएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, उनके लिए “बैटल रेडी” का मतलब है कि उसके जवान देश के अहम और संवेदनशील ठिकानों जैसे हवाई अड्डे, परमाणु संयंत्र, सरकारी इमारतें और संसद में किसी भी आपात स्थिति में तेज और असरदार प्रतिक्रिया दे सकें।
क्लोज काम्बैट सहित कई तरह की ट्रेनिंग दी जा रही
इसमें ड्रोन हमला, आतंकी हमला, अंदरूनी खतरा और तोड़फोड़ जैसी घटनाओं से सटीक ढंग से निपटना शामिल है। सीआइएसएफ और सेना के बीच बेहतर तालमेल और राष्ट्रीय हित को देखते हुए बड़ी संख्या में जवानों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान सीआइएसएफ के जवानों को नाइट ऑपरेशन, जंगल वारफेयर, नजदीकी मुकाबला (क्लोज काम्बैट), सहनशक्ति बढ़ाने की ट्रेनिंग दी रही है।
जाहिर है कि ये शहरी सुरक्षा अनुभव को और मजबूत करते हुए सीआइएसएफ के जवानों को जटिल इलाकों और उच्च खतरे वाले क्षेत्रों में भी काम करने के लिए तैयार करेगी।
क्विक रिएक्शन टीम के जवानों को दी जाएगी ट्रेनिंग
प्रशिक्षण के लिए सबसे पहले सीआइएसएफ के क्विक रिएक्शन टीम (क्यूआरटी) के जवानों को चुना गया है, जो किसी भी आपात स्थिति में सबसे पहले प्रतिक्रिया देते हैं। जवानों की उम्र 35 साल से कम और एनएसजी मानकों के अनुसार बैटल फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट पास करना अनिवार्य है। सीआइएसएफ की तैयारी भविष्य में एडवांस युद्ध प्रशिक्षण को अन्य यूनिट्स तक भी विस्तार देने की है।