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सोमवार देर शाम जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफ़ा दे दिया. अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि वे स्वास्थ्य कारणों से त्यागपत्र दे रहे हैं.
लेकिन विपक्ष के कई नेताओं का कहना है कि इसके पीछे कुछ और कारण हो सकते हैं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेजे अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि वे तत्काल प्रभाव से अपना पद छोड़ रहे हैं.
उनके त्यागपत्र देने से पहले तक जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के उपसभापति के रूप में सामान्य तौर पर काम किया था.
सोमवार से संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है. विपक्ष ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बिहार में चुनाव आयोग के ‘गहन मतदाता पुनरीक्षण’ को लेकर बहस की मांग की थी.
इसे लेकर दोनों सदनों में हंगामा भी हुआ. लेकिन शायद ही किसी को अंदाज़ा होगा कि देर शाम तक एक नया राजनीतिक भूचाल आने वाला है.
सोमवार को राज्यसभा में जगदीप धनखड़ ने क्या-क्या किया
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सोमवार को जगदीप धनखड़ ने सदन में अपने दिन की शुरुआत राज्यसभा के उन पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि देकर की, जिनका निधन बजट सत्र और मानसून सत्र के बीच हो गया था.
इसके बाद उन्होंने राज्यसभा के नए सदस्यों को शपथ भी दिलाई.
इसके बाद जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की ओर से पेश 18 स्थगन प्रस्ताव को नामंज़ूर कर दिया. इन प्रस्तावों में पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर और बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा पर बहस की मांग की गई थी. लेकिन जगदीप धनखड़ ने इन सभी प्रस्तावों को ख़ारिज कर दिया.
इसके बाद विपक्ष ने हंगामा किया और सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.
लंच के बाद सदन की कार्यवाही जब शुरू हुई, तो विपक्ष की अगुआई में जस्टिस यशवंत वर्मा के ख़िलाफ़ महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया गया.
जगदीप धनखड़ ने सदन में इस बात का ज़िक्र किया और राज्यसभा के महासचिव को ये निर्देश दिया कि वे इस बारे में ज़रूर क़दम उठाएँ.
पीआईबी ने क्या बताया?
जस्टिस यशवंत वर्मा पर आरोप है कि नई दिल्ली स्थित उनके आधिकारिक निवास से भारी मात्रा में नकदी मिली थी. 14 मार्च को उनके निवास के एक स्टोर रूम में आग लगी थी, जहाँ पर कथित तौर पर उनके घर से बड़ी मात्रा में कैश मिला था. उस समय वे दिल्ली हाई कोर्ट में जज थे. फ़िलहाल वे इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज हैं.
राज्यसभा की तरह लोकसभा में भी जस्टिस वर्मा के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव पेश हुआ. लोकसभा में ये प्रस्ताव सत्ताधारी गठबंधन की ओर से लाया गया.
साथ ही उन्होंने सदन के बिजनेस एडवाइज़री कमेटी की बैठक की अध्यक्षता भी की.
दोपहर बाद 3:53 बजे प्रेस सूचना ब्यूरो यानी पीआईबी की ओर से एक विज्ञप्ति जारी हुई, जिसमें ये कहा गया था कि बुधवार को जगदीप धनखड़ एक दिन के लिए जयपुर दौरे पर जाएँगे.
विज्ञप्ति में कहा गया था, “भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ 23 जुलाई, 2025 को एक दिवसीय दौरे पर जयपुर, राजस्थान आएँगे.अपनी यात्रा के दौरान, उपराष्ट्रपति जयपुर के रामबाग़ पैलेस में कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (क्रेडाई), राजस्थान के नव निर्वाचित समिति सदस्यों के साथ बातचीत करेंगे.”
और फिर इस्तीफ़ा
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लेकिन फिर बाद में सबको चौंकाते हुए जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
राष्ट्रपति को भेजे अपने इस्तीफ़े में उन्होंने लिखा, “राष्ट्रपति जी, स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूँ.”
जगदीप धनखड़ ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद का आभार भी व्यक्त किया.
त्यागपत्र के बाद कांग्रेस के महासचिव और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि वे पाँच बजे तक उनके साथ ही थे.
सोमवार को एक्स पर अपने पोस्ट में जयराम रमेश ने आगे लिखा, “उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही अकल्पनीय भी है. आज शाम करीब 5 बजे तक मैं उनके साथ था, वहां कई अन्य सांसद भी साथ थे, और शाम 7:30 बजे मेरी उनसे फोन पर बातचीत भी हुई थी.”
10 जुलाई का बयान और एम्स में इलाज
इस्तीफ़े के बाद जगदीप धनखड़ का दस जुलाई का एक भाषण वायरल हो रहा है.
उसमें धनखड़ ने कहा था, “मैं सही समय पर, अगस्त 2027 में रिटायर होऊंगा बशर्ते भगवान की कृपा रहे.”
भले ही इस्तीफ़े के कारणों पर क़यासबाज़ी हो रही हो लेकिन धनखड़ ने अपने पत्र में स्वास्थ्य कारणों का ही हवाला दिया है.
राष्ट्रपति मुर्मु को पत्र में जगदीप धनखड़ ने लिखा, ‘स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं.’
इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया और प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद को भी उनके सहयोग और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया.
लेकिन इसके बाद वे संसद में सक्रिय रहे.