सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्याओं पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए 15 गाइडलाइंस जारी की हैं। ये गाइडलाइंस सभी शिक्षण संस्थानों पर लागू होंगी, जब तक कि कोई कानून नहीं बन जाता।

ये गाइडलाइंस सभी सरकारी, सार्वजनिक, प्राइवेट विश्वविद्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों, प्रशिक्षण और कोचिंग संस्थानों और हॉस्टलों पर लागू होंगी, चाहे वे किसी भी बोर्ड/विश्वविद्यालय से संबद्ध हों। सुप्रीम कोर्ट ने NEET की तैयारी कर रही 17 वर्षीय छात्रा की संदिग्ध हालत में मौत के मामले में सुनवाई करते हुए ये गाइडलाइंस जारी की। साथ ही, छात्रा की मौत की CBI से जांच कराने का भी आदेश दिया है।
जब तक कानून नहीं, लागू रहेंगे ये दिशानिर्देश
- मेटल हेल्थ नीति बनेः सभी शिक्षण संस्थान यूनिफॉर्म मेटल हेल्थ पॉलिसी अपनाएंगे, इसे सूचना पट और वेबसाइट पर जारी करेंगे।
- प्रफेशनल नियुक्त करें: छात्रों वाले संस्थानों में मेटल हेल्थ प्रफेशनल जैसे ट्रेंड काउंसलर, सायकायट्रिस्ट को रखना होगा।
- स्टूडेंट काउंसलर अनुपातः छोटे बैचों में समर्पित काउंसलर नियुक्त हो, जिनसे एग्जाम में सहयोग मिल सके।
- सुरक्षा उपायः हॉस्टल की छतो, बालकनी और पंखो जैसी जगहों पर सुरक्षा उपकरण लगाने होंगे।
- बैच विभाजन नहीं: कोचिंग सहित सभी संस्थान प्रदर्शन के आधार पर छात्रों को अलग बैच में डालने से बचे।
- उत्पीड़न पर कठोर रुखः जाति, लिंग, धर्म, दिव्यांगता, यौन आधार पर उत्पीड़न की शिकायत का मेकेनिजम बने।
- इमरजेंसी में हेल्पः संस्थानो में अस्पताल, हेल्पलाइनो के नंबर स्पष्ट अक्षरों में प्रदर्शित किए जाएं।
- स्टाफ ट्रेनिंग: कर्मचारियों को साल में कम से कम दो बार ट्रेंड मेटल हेल्थ प्रफेशनल से ट्रेनिंग दी जाए।
- पैरंट्स में जागरूकताः माता-पिता के लिए जागरूकता सेशन करें, उन्हें बच्चों में अत्यधिक प्रेशर न डालने को कहें।