विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की जो 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद पहली मुलाकात है। दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के बाद रिश्तों को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। जयशंकर ने इस मुलाकात को भारत-चीन रिश्तों के लिए अहम बताया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की। यह मुलाकात 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों नेताओं की पहली भेंट थी। दोनों देश अब पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के बाद सर्द पड़े रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश में हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मुलाकात को भारत-चीन रिश्तों के लिए अहम बताया है। वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए बीजिंग पहुंचे हैं।
जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, “आज सुबह बीजिंग में राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाएं दीं। मैंने उन्हें हमारे द्विपक्षीय रिश्तों में हाल की प्रगति के बारे में बताया। इस दिशा में हमारे नेताओं के मार्गदर्शन को मैं बहुत महत्व देता हूं।”
यह मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकि अक्टूबर 2024 में दोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग जैसे आखिरी दो विवादित बिंदुओं पर सैन्य वापसी का समझौता किया था।
Called on President Xi Jinping this morning in Beijing along with my fellow SCO Foreign Ministers.
Conveyed the greetings of President Droupadi Murmu & Prime Minister @narendramodi.
Apprised President Xi of the recent development of our bilateral ties. Value the guidance of… pic.twitter.com/tNfmEzpJGl
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 15, 2025
दोनों देशों के बीच रिश्ते को फिर से सुधारने की कवायद
इस समझौते के बाद भारत और चीन ने आपसी बातचीत के रास्ते फिर से खोलने का फैसला किया है। दोनों देशों के बीच गलवान संघर्ष के बाद बातचीत ठप पड़ गया था। जयशंकर ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात में भी इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने की दिशा में और कदम उठाने चाहिए।
जयशंकर ने कहा, “पिछले नौ महीनों में हमने अपने रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में अच्छी प्रगति की है। अब हमें सीमा से जुड़े अन्य पहलुओं, खासकर तनाव कम करने पर ध्यान देना होगा।” उन्होंने चीन से यह भी अपील की कि वह व्यापार में रुकावटें न डाले और महत्वपूर्ण खनिजों पर निर्यात प्रतिबंधों से बचे।
चीन के साथ रिश्तों की नई इबारत लिखेगा भारत?
जयशंकर ने यह भी कहा कि मतभेदों को विवाद का रूप नहीं लेने देना चाहिए और न ही प्रतिस्पर्धा को टकराव में बदलने देना चाहिए। उनकी यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के जून में किंगदाओ दौरे के बाद हो रही है। ये मुलाकातें इस बात का संकेत हैं कि दोनों देश रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश में हैं।
इन कोशिशों का मकसद यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल के अंत में एससीओ नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा कर सकें।
लेकिन रिश्तों को पूरी तरह सामान्य करने में अभी कुछ रुकावटें हैं। दलाई लामा के उत्तराधिकार का मुद्दा और हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन का पाकिस्तान को समर्थन, दोनों देशों के बीच तनाव के बड़े कारण बने हुए हैं।