विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पारंपरिक चिकित्सा और आयुष प्रणालियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को एकीकृत करने के भारत के प्रयासों की सराहना की है। डब्ल्यूएचओ ने ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी लॉन्च करने के लिए भारत को पहला देश बताया है। केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि यह डब्ल्यूएचओ के पहले रोडमैप का परिणाम है।
पीटीआई, नई दिल्ली। पारंपरिक चिकित्सा और आयुष ‘नवाचारों’ में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को एकीकृत करने के भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि ‘ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी’ लांच करने वाला भारत पहला देश बन गया है।
वैश्विक स्वास्थ्य सेवा नवाचार के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में डब्ल्यूएचओ ने ‘पारंपरिक चिकित्सा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग का मापन’ शीर्षक से एक तकनीकी संक्षिप्त विवरण जारी किया है। इसमें पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों, विशेष रूप से आयुष प्रणालियों के साथ एआई को एकीकृत करने में भारत के अग्रणी प्रयासों की सराहना की गई है। कें
डब्ल्यूएचओ का पहला रोडमैप विकसित हुआ
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि यह विवरण इस विषय पर भारत के प्रस्ताव के बाद जारी किया गया है जिसके परिणामस्वरूप पारंपरिक चिकित्सा में एआई के अनुप्रयोग हेतु डब्ल्यूएचओ का पहला रोडमैप विकसित हुआ है। अपनी आयुष प्रणालियों की क्षमताओं को उन्नत और व्यापक बनाने के लिए एआई की क्षमता का लाभ उठाने के भारत के प्रयास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जो देश को डिजिटल स्वास्थ्य नवाचार और पारंपरिक चिकित्सा के एकीकरण में एक वैश्विक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करना चाहते हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2023 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक भागीदारी (जीपीएआई) शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर कहा था, ‘हमने सभी के लिए एआई की भावना से प्रेरित होकर सरकारी नीतियां और कार्यक्रम विकसित किए हैं। हमारा प्रयास सामाजिक विकास और समावेशी विकास के लिए एआई की क्षमताओं का पूरा लाभ उठाना है।’
भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिबद्धता की तारीफ
जाधव ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के तकनीकी विवरण में उल्लिखित भारत की एआई-आधारित पहल, अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा, ‘एआई को आयुष प्रणालियों के साथ एकीकृत करके और सही पोर्टल, नमस्ते पोर्टल तथा आयुष रिसर्च पोर्टल जैसे अग्रणी डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से भारत न केवल अपने सदियों पुराने चिकित्सा ज्ञान की रक्षा कर रहा है, बल्कि व्यक्तिगत, साक्ष्य-आधारित और विश्व स्तर पर सुलभ स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।’
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, ‘डब्ल्यूएचओ के दस्तावेज में भारत की ओर से किए गए कई अग्रणी एआई-संचालित नवाचारों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें प्रकृति-आधारित मशीन लर्निंग माडल का उपयोग करके पूर्वानुमानित निदान से लेकर आयुर्वेद ज्ञान और आधुनिक जीनोमिक्स को एक साथ लाने वाली अभूतपूर्व आयुर्जेनोमिक्स परियोजना शामिल है।’
व्यापक डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म है
कहा कि ‘इस डिजिटल परिवर्तन का मूल आधार आयुष ग्रिड है। यह 2018 में शुरू किया गया एक व्यापक डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म है जो कई नागरिक-केंद्रित पहलों जैसे कि एसएएचआई पोर्टल, नमस्ते पोर्टल और आयुष अनुसंधान पोर्टल की नींव का काम करता है। ये एआई-सक्षम प्लेटफॉर्म न केवल भारत की पारंपरिक ज्ञान चिकित्सा प्रणालियों को संरक्षित और मान्य कर रहे हैं, बल्कि साक्ष्य-आधारित, डिजिटल स्वास्थ्य सेवा ढांचों के भीतर उनके वैश्विक एकीकरण को भी आगे बढ़ा रहे हैं।’
बहरहाल, डब्ल्यूएचओ का यह दस्तावेज आयुर्वेद, यूनानी, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी में एआई-संचालित अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करता है, जिसमें निदान सहायता प्रणालियां भी शामिल हैं जो नाड़ी मापन, जीभ परीक्षण और प्रकृति मूल्यांकन जैसी पारंपरिक विधियों को मशीनों के अनुप्रयोग और गहन तांत्रिका नेटवर्क के साथ एकीकृत करती हैं। ये प्रयास निदान सटीकता को बढ़ा रहे हैं।