सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़े तीन मामलों की सुनवाई हुई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरंकुश नहीं है और दूसरों के सम्मान का भी ध्यान रखना चाहिए। कॉमेडियन समय रैना के मामले में कोर्ट ने सोशल मीडिया के लिए दिशा-निर्देश जारी करने को कहा। कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के मामले में कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग पर चिंता जताई।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले दो दिन सुप्रीम कोर्ट के काफी अहम रहे। ऐसा इसलिए क्यों कि गत दिनों में शीर्ष न्यायालय में करीब एक जैसे तीन मामलों की सुनवाई हुई। ये तीनों मामले अभिव्यक्ति की आजादी और सोशल मीडिया पर अपनी बात रखने से जुड़े हुए थे।
गौर करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों में करीब एक जैसी ही टिप्पणी की। कोर्ट ने साफ संदेश दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरंकुश नहीं, उसके किसी व्यक्ति के सम्मान के अधिकार का भी सम्मान करना चाहिए। वहीं, कोर्ट ने यह भी कहा कि इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने वालों पर कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। आइए आपको इससे जुड़े तीन मामले बताते हैं…
पहला मामला: कॉमेडियन समय रैना की टिप्पणी से जुड़ा हुआ
सुप्रीम कोर्ट ने आज कॉमेडियन समय रैना से जुड़े एक मामले की सुनवाई की। समय रैना अपने शो इंडियाज लेटेंट शो में की गई एक टिप्पणी को लेकर इन दिनों मुश्किल में हैं। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने समय रैना और उनके साथ अन्य कॉमेडियन को दो हफ्ते का समय दिया है और जवाब मांगा है।
आरोप है कि समय रैना ने अपने शो के दौरान कथित तौर पर विकलांग लोगों पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। बताया जा रहा है कि अदालत ने इन टिप्पणियों को गंभीरता से लिया है।
इसके साथ ही मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर, वेंकटरमणी से सोशल मीडिया के लिए एक दिशा निर्देश जारी करने को कहा, जो अभिव्यक्ति की आजादी और दूसरों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करे।
दूसरा मामला: स्वतंत्रता का दुरुपयोग
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने एक कार्टूनिस्ट की याचिका पर सुनवाई की। ये याचिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग से जुड़ी हुई थी। आरोप था कि कार्टूनिस्ट ने पीएम मोदी और आरएसएस कार्यकर्ताओं पर कथित रूप से आपत्तिजनक सामग्री सोशल मीडिया पर शेयर की थी।
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि लोग किसी को भी, कुछ भी कह देते हैं। हमें इस बारे में कुछ करना होगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को राहत देते हुए कहा कि आगे से वह अगर इस प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री शेयर करते हैं तो मध्य प्रदेश सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करने की पूरी छूट है।
इस मामले में पीठ ने कहा कि इस मामले को आप कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन निश्चित रूप से यह पूरा केस भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है।
तीसरा मामला: ‘कोई नहीं चाहता राज्य करे हस्ताक्षेप’
इससे एक दिन पहले सोमवार को वजाहत खान की याचिका पर न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई की। वजाहत खान ने एक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ नफरत भरे भाषण के मामले के शिकायत दर्ज कराई है। वहीं, वजाहत खान को भी उनके आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया है।
वजाहत खान ने कहा कि उनके खिलाफ देश के कई हिस्सों में शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। खान ने कहा कि पनोली के खिलाफ इनकी शिकायत दर्ज कराने के बदले में ये केस दर्ज कराए गए।
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट की न्यायमूर्ति नागरत्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे देश के नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी के मूल्य को समझना होगा। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नागरिक खुद अपना नियमन क्यों नहीं कर सके? नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूल्य समझना होगा। अगर नागरिक ऐसा नहीं करते हैं तो राज्य हस्तक्षेप करेगा और कौन चाहता है कि राज्य हस्तक्षेप करे।