राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान जेपी नड्डा ने यूपीए सरकार के कार्यकाल को अमावस और मोदी सरकार के कार्यकाल को पूर्णमासी बताया। उन्होंने यूपीए सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया और कहा कि पाकिस्तान भारत पर बम बरसाता रहा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नड्डा ने आतंकी घटनाओं के आंकड़ों की तुलना करते हुए कहा कि मोदी सरकार में आतंकी घटनाओं में कमी आई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष इतिहास के सहारे विपक्ष को आईना दिखाने के ऑपरेशन में गंभीरता से जुटा दिखाई दिया। राज्य सभा में सदन के नेता व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने 2004 से 2014 तक के संप्रग कार्यकाल को अमावस और 2014 के बाद से मोदी कार्यकाल को पूर्णमासी की संज्ञा देते हुए तब हुई आतंकी घटनाएं, तत्कालीन सरकार के रुख और वर्तमान सरकार के रुख की चर्चा की।
उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार तुष्टिकरण की मिठाई खिलाती रही और पाकिस्तान भारत पर बम बरसाता रहा। जेपी नड्डा ने कहा कि संवेदनशील और असंवेदनशील सरकार के अंतर को समझने के लिए सिर्फ पहलगाम की घटना को देखना अन्याय है। इसे दो चरणों में देखना होगा। पहला 2004 से 2014 और दूसरा 2014 से 2025 तक की सरकार का कार्यकाल, क्योंकि अमावस दिखाने के बाद ही पूर्णमासी समझ में आती है।
यूपीए सरकार पर नड्डा ने बोला हमला
उन्होंने 2005 में श्रमजीवी एक्सप्रेस में बम विस्फोट, दिल्ली में बम ब्लास्ट, 2006 में वाराणसी में बम धमाके, मुंबई में बम ब्लास्ट आदि घटनाओं की याद दिलाते हुए आरोप लगाया कि इन घटनाओं के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया था। मुंबई की घटना के बाद ज्वाइंट एंटी टेरेरिज्म मैकेनिज्म जरूर बना, लेकिन उसके बाद भी पाकिस्तान के साथ ट्रेड चलता रहा, बातचीत चलती रही और आतंकी हमले भी होते रहे।
नड्डा ने कहा कि 2007 में गोरखपुर, लखनऊ और अयोध्या में आतंकी हमले हुए। उसी के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने गुड्स कैरियर के लिए अटारी और वाघा बॉर्डर को खोल दिया। आईएनडीआईए सहयोगी समाजवादी पार्टी का नाम लिए बिना जेपी नड्डा ने याद दिलाया कि रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले में शहाबुद्दीन नाम के आतंकी का हाथ था। उसे छुड़ाने के लिए उत्तर प्रदेश की पूर्व सरकार ने आदेश दिया था, तब हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप कर ऐसा करने से रोका था।
नेता सदन ने कुछ आंकड़े भी सदन में रखे। 2004-2014 और 2014-2025 तक के कार्यकाल की तुलना करते हुए दावा किया आतंकी घटनाएं 7217 से घटकर 2150 रह गईं। नागरिकों की मृत्यु का आंकड़ा 1770 से घटकर 357 पर आ गया। सुरक्षा बलों बलिदान होने की संख्या 1060 से कम होकर 542 पर आ गई, वहीं आतंकियों के मारे जाने का आंकड़ा 23 प्रतिशत बढ़ गया।