तीन बायोगैस प्लांट हो रहे तैयार
एमसीडी केंद्रीय आवासन और शहरी विकास मंत्रालय की मदद से तीन बायोगैस प्लांट बना रही है, इनमें से नंगली का प्लांट तैयार हो चुका है। यह प्लांट करीब 2.72 एकड़ जमीन में बना है। इसकी क्षमता 200 मीट्रिक टन गोबर को प्रोसेस करने की है। प्लांट का काम दिसंबर 2018 में शुरू हुआ था और इसे जून 2022 तक तैयार होना था, लेकिन जिस जगह पर प्लांट बनाया जाना था वहां अतिक्रमण और वित्तीय संकट के कारण प्लांट का काम शुरू करने में देरी हुई।
656 रुपये/टन से खरीदा जाएगा गोबर
एमसीडी अधिकारियों ने बताया कि प्लांट चलाने वाली कंपनी डेयरी मालिकों से 656 रुपये प्रति टन की दर से गोबर खरीदेगी। कंपनी गोबर से तैयार होने वाली सीएनजी को आईजीएल कंपनी को सप्लाई करेगी। गैस बनाने के लिए बाद कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल पार्कों आदि को हराभरा बनाने में किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि अभी तक एमसीडी के पास गोबर को ठिकाने लगाने के लिए कोई प्लान नहीं था। डेयरी मालिक गोबर को नालियों में बहा देते थे या फिर गोबर बाकी कूड़े के साथ सीधे लैंडफिल साइटों पर पहुंचाया जा रहा था।
नाले में गोबर बहाना बंद
बायोगैस प्लांट शुरू होने के बाद गोबर को नालों में बहाना बंद हो जाएगा। इससे यमुना नदी को भी दूषित होने से बचाया जा सकेगा। प्लांट पर गोबर के लिए तीन डाइजेस्टर लगाए गए है। एक डाइजेस्टर 27 मीटर व्यास और 12 मीटर ऊंचा है। इसके अलावा बाकी दो डाइजेस्टर 18 मीटर व्यास और 12 मीटर ऊंचाई वाले हैं। बायोगैस प्लांट को 25 टन प्रतिदिन गोबर के साथ ट्रायल किया जा रहा है। अगले महीने इसे पूरी क्षमता के साथ शुरू करने की प्लानिंग है। इसके अलावा गोयला डेयरी और और घोगा डेयरी में भी इसी तरह का प्लांट तैयार किया जा रहा है।