इस मानसून में भारत में सामान्य से नौ प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है लेकिन यह वर्षा पूरे देश में समान रूप से नहीं हुई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार कुछ राज्यों में भारी बारिश हुई है जबकि पूर्वोत्तर और दक्षिणी भागों में कम बारिश हुई है। झारखंड राजस्थान और लद्दाख में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। मानसून भारत की कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।
पीटीआई, नई दिल्ली। इस मानसून सीजन में भारत ने अब तक सामान्य से नौ प्रतिशत अधिक वर्षा प्राप्त की है, लेकिन यह वर्षा देशभर में समान रूप से वितरित नहीं हुई है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के अनुसार कुछ राज्यों जैसे झारखंड, राजस्थान और लद्दाख ने सामान्य से कहीं अधिक वर्षा हुई है, जबकि कई अन्य विशेष रूप से पूर्वोत्तर और दक्षिणी भागों में बड़ी कमी का सामना कर रहे हैं।
केवल 16 दिन में 331.9 मिमी वर्षा
एक जून से 16 जुलाई के बीच देश ने 331.9 मिमी वर्षा प्राप्त की, जो इस अवधि के लिए सामान्य 304.2 मिमी वर्षा से लगभग 9 प्रतिशत अधिक है। लेकिन यह औसत बड़े पैमाने पर स्थानिक भिन्नता को छुपाता है।
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झारखंड में कुल 595.8 मिमी वर्षा के साथ सामान्य से 71 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। जबकि यहां होने वाली सामान्य वर्षा 348.9 मिमी ही होती है। अब तक 271.9 मिमी वर्षा के साथ राजस्थान में भी भारी वृद्धि देखी गई। यहां सामान्य वर्षा 125.6 मिमी होती है जो मौजूदा बारिश से 116 प्रतिशत अधिक है।
इस साल मानसून में हो रही अधिक बरिश
आमतौर पर बहुत कम वर्षा वाले लद्दाख ने 8 मिमी की सामान्य वर्षा के मुकाबले 15.8 मिमी वर्षा प्राप्त की, जो सामान्य से 97 प्रतिशत अधिक है। इन तीनों को ”विशाल अधिकता” वर्षा प्राप्त करने वाले के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
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पांच अन्य राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों ने अधिक वर्षा दर्ज की, जिसका अर्थ है सामान्य से 20 से 59 प्रतिशत अधिक। इनमें हरियाणा, ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात और दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव शामिल हैं। उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश ने सामान्य 281.3 मिमी के मुकाबले 470.6 मिमी वर्षा प्राप्त की, जो सामान्य से 67 प्रतिशत अधिक है।
गुजरात में भी सामान्य से अधिक बारिश
गुजरात ने 388 मिमी वर्षा प्राप्त की, जो सामान्य से 64 प्रतिशत अधिक है। कई राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में सामान्य वर्षा देखी गई, जिसका अर्थ है कि वर्षा सामान्य सीमा के 19 प्रतिशत के भीतर या उससे नीचे थी। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड, गोवा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, सिक्किम और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं।
इन राज्यों में मानसूनी बारिश के बाद बाढ़ का कहर
इस मानसून में बाढ़ की स्थिति का सामना करने वाले राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, मणिपुर, त्रिपुरा, उत्तराखंड, कर्नाटक (विशेष रूप से शिवमोगा के कुछ हिस्से), बंगाल, गुजरात और हिमाचल प्रदेश हैं। हिमाचल सबसे अधिक प्रभावित राज्य है। राज्य में अब तक बाढ़ और भारी वर्षा के कारण 105 लोगों की जान जा चुकी है।
कृषि के लिए मानसून बेहद आवश्यक
मई में मौसम विभाग ने पूर्वानुमान लगाया था कि भारत को जून-सितंबर मानसून सीजन के दौरान 87 सेमी के दीर्घकालिक औसत वर्षा का 106 प्रतिशत प्राप्त होने की संभावना है। पंजाब, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु के कुछ अलग-अलग क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा रिकार्ड की जा सकती है।
मानसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, जो लगभग 42 प्रतिशत जनसंख्या की आजीविका का पोषक है और जीडीपी में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। यह पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक जलाशयों को फिर से भरने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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