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दुनिया का सबसे चुनौतीपूर्ण हवाई अड्डा, सिर्फ 50 पायलट्स के पास है यहां से विमान उड़ाने की ट्रेनिंग

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Sep 22, 2024


भारत के पड़ोस में दुनिया का सबसे चुनौती भरा एयरपोर्ट मौजूद है। यहां सिर्फ 50 पायलट ही विमान उड़ा सकते हैं। छोटी सी गलती बहुत भारी पड़ सकती है। भौगोलिक परिस्थितियां इस एयरपोर्ट को चुनौतीपूर्ण बनाती हैं। विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ही यहां पायलट विमान का परिचालन करने के योग्य होता है। दोपहर से पहले का समय फ्लाइट के लिहाज से उपयुक्त होता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण हवाईअड्डे के बारे में जानते हैं। भारत के पड़ोस में दुनिया का सबसे चुनौतीपूर्ण एयरपोर्ट है। खास बात यह है कि इस एयरपोर्ट पर सिर्फ दुनिया के 50 पायलट ही फ्लाइट ऑपरेट करने की योग्यता रखते हैं। यह एयरपोर्ट है भूटान का पारो।

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भूटान का पारो एयरपोर्ट ऊंची-ऊंची चोटियों से घिरा है। यहां छोटी सी चूक बड़ा हादसे का कारण बन सकता है। अगर पायलट को एयरपोर्ट के आसपास के क्षेत्र का ज्ञान नहीं है तो वह यहां फ्लाइट उतार नहीं सकता है। पारो एयरपोर्ट पर दो 18,000-फुट की चोटियों के बीच से एक छोटे रनवे पर जहाज को उतारना पड़ता है।

जंबो विमान नहीं उतर सकते

सीएनएन की रिपोर्ट की मुताबिक भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से पारो एयरपोर्ट पर जंबो जेट विमानों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। भूटान की सरकारी एयरलाइन ड्रूक एयर में पिछले 25 साल से काम कर रहे कैप्टन चिमी दोरजी ने सीएनएन को बताया कि पारो कठिन है, लेकिन खतरनाक नहीं है। यह पायलट के कौशल के लिए चुनौतीपूर्ण है, अगर यह खतरनाक होता तो मैं उड़ान नहीं भरता।”

विशेष प्रशिक्षण वाले पायलट ही उतार सकते विमान

भूटान का पारो सी श्रेणी का हवाई अड्डा है। इसका मतलब यह हुआ कि यहां विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पायलट ही विमान उड़ा सकते हैं। दोरजी का कहना है कि पायलटों के लिए हवाई अड्डे के आसपास के परिदृश्य को जानना महत्वपूर्ण है। इसमें एक इंच का भी अंतर होने पर आप किसी के घर की छत पर उतर सकते हैं।

पहाड़ बनाते हैं चुनौतीपूर्ण

पारो एयरपोर्ट का रनवे सिर्फ 7,431 फीट लंबा है। रनवे के दोनों तरफ दो ऊंचे पहाड़ हैं। इस वजह से पायलट को रनवे एकदम नजदीक आने पर उतरते वक्त ही दिखता है।

पायलट के लिए स्थानीय ज्ञान जरूरी

बिना स्थानीय ज्ञान और कौशल के यहां विमान उतारना खतरे से खाली नहीं है। भूटान की राजधानी थिम्पू समुद्र तल से 7,710 फीट की ऊंचाई पर है। मगर पारो 7,382 फीट की ऊंचाई पर है। उंचे स्थानों पर हवा पतली होने की वजह से विमान तेजी से उड़ता है।

दोपहर से पहले सबसे उपयुक्त समय

पारो एयरपोर्ट पर दोपहर से पहले विमानों की लैंडिंग सबसे उपयु्क्त मानी जाती है। दरअसल, दोपहर बाद हवाएं तेज हो जाती हैं। तापमान भी बढ़ता है। सुबह हवाएं शांत रहती हैं। मानसून में यहां विमान का परिचालन करना और चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

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