पति अगर अपनी बालिग पत्नी को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता है तो उसे दुष्कर्म के अपराध के लिए अभियोजन से छूट मिलनी चाहिए या नहीं इस पर सूचीबद्ध याचिकाओं पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि वह निश्चित रूप से मामलों को सूचीबद्ध करने पर विचार करेंगे।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह इस जटिल कानूनी सवाल पर सुनवाई के लिए याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा कि क्या पति को दुष्कर्म के अपराध के लिए अभियोजन से छूट मिलनी चाहिए, अगर वह अपनी पत्नी, जो नाबालिग नहीं है, को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता है।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने बताया कि याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है। पीठ ने कहा कि वह आंशिक रूप से सुने गए मामले पर विचार कर रही है और सुनवाई करने के बाद अगले दो दिनों में इस बात का आकलन करेगी कि उसके पास काम का कितना बोझ है।
मामले को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगी अदालत
सीजेआई ने कहा, ‘आज और कल सुनवाई से हमें यह विचार मिलेगा। हम निश्चित रूप से (वैवाहिक दुष्कर्म के मामलों) को सूचीबद्ध करने पर विचार करेंगे। पीठ में जस्टिस जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्र भी शामिल थे।’
भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद खंड के तहत किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं था, अगर पत्नी नाबालिग न हो। भारतीय दंड संहिता को अब निरस्त कर दिया गया है और इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता लागू की गई है।
नए कानून में भी प्रावधान
नए कानून के तहत भी धारा 63 (दुष्कर्म) के अपवाद में कहा गया है कि किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं है, अगर पत्नी 18 वर्ष से कम उम्र की न हो। इससे पहले शीर्ष अदालत ने 16 जुलाई को कानूनी प्रश्न पर सुनवाई के लिए याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी। सीजेआई ने संकेत दिया था कि इन मामलों पर 18 जुलाई को सुनवाई हो सकती है।