इमेज कैप्शन, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफ़ओ ने पीएफ़ निकालने के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं (सांकेतिक तस्वीर)
अगर आप सैलरीड क्लास हैं, कई साल से नौकरी कर रहे हैं और घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो हाल ही में बदले कुछ नियमों से आपको फ़ायदा हो सकता है.
दरअसल, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफ़ओ ने नियमों में हुए कुछ बदलाव किया है जिससे अपना पहला घर ख़रीदने वालों की मुश्किल कुछ आसान हो सकती है.
प्रॉविडेंट फंड में कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फ़ीसदी हिस्सा जमा होता है. एम्पलॉयर यानी जिस कंपनी में कर्मचारी काम करता है, वह भी इतनी ही रकम इस खाते में जमा करती है.
ईपीएफ़ओ के नए नियमों के तहत ईपीएफ़ मेंबर जो अपना पहला घर खरीदने का इरादा रखते हैं, वे पीएफ़ अकाउंट से पहले के मुकाबले ज़्यादा पैसे निकाल सकेंगे.
ये रकम कर्मचारी के पीएफ़ खाते में कुल जमा रकम का 90 फ़ीसदी तक हो सकती है.
पहले ये रकम कर्मचारी के पीएफ़ खाते में 36 महीनों में जमा रकम के बराबर होती थी.
ये बदलाव ईपीएफ़ स्कीम 1952 के पैरा 68-BD के तहत किए गए हैं.
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इमेज कैप्शन, नए नियम के अनुसार मेंबर अपना ईपीएफ़ अकाउंट खोलने के तीन साल बाद ही पैसा निकाल सकते हैं.
नए नियम के अनुसार ईपीएफ़ओ मेंबर घर से जुड़ी ज़रूरतों मसलन कंसट्र्क्शन, घर ख़रीदने के लिए डाउनपेमेंट या होमलोन की ईएमआई चुकाने के लिए अपने पीएफ़ का 90 फ़ीसदी हिस्सा तक निकाल सकते हैं.
पहले, इस तरह से पैसे निकालने के लिए सदस्यों को पांच साल तक लगातार नौकरी करने की अनिवार्यता थी, लेकिन नए नियम के अनुसार मेंबर अपना ईपीएफ़ अकाउंट खोलने के तीन साल बाद ही पैसा निकाल सकते हैं.
हाँ, मगर एक शर्त है. मेंबर इस पीएफ़ एडवांस विड्रॉल विकल्प का इस्तेमाल अपने जीवनकाल में सिर्फ़ एक बार ही कर सकते हैं.
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ईपीएफ़ओ ने पीएफ़ खाते से पैसे निकालने के दो और नियमों में भी संशोधन किया है. अब इमरजेंसी नीड्स यानी ज़रूरत के समय मेंबर्स एक लाख रुपये तक का विद्ड्रॉल तुरंत कर सकते हैं.
ईपीएफ़ओ का दावा है कि बहुत जल्द मेंबर्स यूपीआई और एटीएम के ज़रिये भी अपने पीएफ़ खाते से इमरजेंसी फंड निकाल सकेंगे.
लेकिन ये सुविधा उन्हीं को मिलेगी जिनका यूएएन यानी यूनिवर्सल अकाउंट नंबर एक्टिव और केवाईसी से पूरी तरह से वेरिफाइड हो. साथ ही ईपीएफ़ओ सदस्य का बैंक खाता ईपीएफ़ओ से लिंक और आधार से जुड़ा होना चाहिए.
ऑटो सेटलमेंट लिमिट में भी बढ़ोतरी
दरअसल, कोविड 19 के समय में सरकार ने पीएफ़ के तहत ऑटो सेटलमेंट की सुविधा शुरू की थी, लेकिन अब इसे परमानेंट फीचर बनाया जा रहा है.
ऑटो सेटलमेंट यानी इस क्लेम के लिए मैन्युअल जाँच की ज़रूरत नहीं होती.
ईपीएफ़ओ ने अब ऑटो सेटलमेंट की लिमिट एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी है.
यानी अगर आप ईपीएफ़ओ से 5 लाख रुपये तक की रकम निकालना चाहते हैं तो यह ऑटोमैटिक तरीके से मंज़ूर हो जाएगी और 72 घंटों के भीतर रकम मेंबर के खाते में आ जाएगी.
ईपीएफ़ओ ने क्लेम प्रोसेस को सिंपल करने का दावा भी किया है. कहा गया है कि वेरिफ़िकेशन पैरामीटर्स को 27 से घटाकर 18 कर दिया गया है. दावा है 95 प्रतिशत क्लेम तीन-चार दिनों में ही सेटल हो जाते हैं.
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इमेज कैप्शन, ईपीएफ़ओ ने अब ऑटो सेटलमेंट की लिमिट एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी है.
इसके अलावा, ऑनलाइन क्लेम के लिए चेकबुक या बैंक पासबुक की वेरिफ़ाइड फोटो कॉपी अपलोड करने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है.
चूंकि बैंक खाताधारक का नाम ईपीएफ़ अकाउंट को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर यानी यूएएन से जोड़ने के दौरान पहले ही वेरिफ़ाई कर लिया जाता है, इसलिए अब चेक या पासबुक की वेरिफ़ाई कॉपी की ज़रूरत नहीं है.
साथ ही बैंक खाता सीडिंग प्रोसेस से अब बैंक अकाउंट के सत्यापन में एम्पलॉयर की भूमिका ख़त्म कर दी गई है. इस आसान प्रक्रिया से उन सदस्यों को भी लाभ होगा जो अपने मौजूदा बैंक अकाउंट की डिटेल अपडेट करना चाहते हैं.
वे अब अपना नया बैंक अकाउंट नंबर और आईएफ़एससी कोड दर्ज करके ऐसा कर सकते हैं, जिसकी पुष्टि आधार ओटीपी के माध्यम से की जाएगी.
पीएफ़ है क्या?
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इमेज कैप्शन, सरकार ने ईपीएफ़ओ का नया वर्ज़न बीते एक जून से ही लागू कर दिया है.
कोई भी कर्मचारी चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट सेक्टर में काम करता हो, उसका एक पीएफ़ अकाउंट होता है.
उसकी बेसिक सैलरी का 12 फ़ीसदी हिस्सा इस खाते में जमा होता है और उसकी कंपनी भी इतना ही यानी 12 फ़ीसदी का योगदान देती है.
लेकिन कंपनी या एम्प्लॉयर के अकाउंट में जमा होने वाले इस 12 फ़ीसदी राशि का 8.33% हिस्सा पेंशन फंड में और बाकी 3.67% हिस्सा पीएफ में जमा होता है.
सरकार ने पेंशन लायक सैलरी की अधिकतम सीमा पंद्रह हज़ार रुपये तय की है. यानी अगर आपकी बेसिक सैलरी 15 हज़ार रुपये या इससे कम है तभी आप कर्मचारी पेंशन स्कीम यानी ईपीएस के हक़दार होंगे.
कब-कब पीएफ़ से निकाले जा सकते हैं पैसे?
ईपीएफ़ से पैसे आप कुछ विशेष परिस्थितियों में निकाल सकते हैं. जैसे अपनी या परिवार में किसी की बीमारी, शादी, पढ़ाई, घर खरीदने, बनवाने, होम लोन चुकाने या फिर बेरोज़गारी की सूरत में और रिटायरमेंट से पहले.
अगर आपने पांच साल से कम नौकरी की है और पीएफ़ निकाला, तो टैक्स लग सकता है.
वहीं पांच साल से ज़्यादा सेवा पर कोई टैक्स नहीं लगता.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित