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बढ़ती उम्र को नहीं रोक सकती दवाएं, एंटी-एजिंग दवांओं पर प्रतिबंध लगाने मांग

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Jul 6, 2025


अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की असामयिक मृत्यु के बाद कास्मेटिक प्रक्रियाओं के प्रभावों को लेकर विशेषज्ञों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार एंटी-एजिंग दवाएं गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं और इन पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। वहीं केरल राज्य आइएमए के अनुसंधान प्रकोष्ठ के संयोजक राजीव जयदेवन ने कहा कि एंटी-एजिंग कोई वैज्ञानिक शब्द नहीं है।

 आइएएनएस, नई दिल्ली। अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की असामयिक मृत्यु के बाद कास्मेटिक प्रक्रियाओं के प्रभावों को लेकर विशेषज्ञों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार, एंटी-एजिंग दवाएं गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं और इन पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है।

एंटी-एजिंग वैज्ञानिक शब्द नहीं

बताया गया है कि शेफाली ने लगभग आठ वर्षों तक त्वचा को गोरा करने वाले और एंटी एजिंग उपचार, विशेष रूप से ग्लूटाथियोन और विटामिन सी का उपयोग किया, लेकिन यह सब सक्रिय चिकित्सा पर्यवेक्षण के बिना हुआ।

केरल राज्य आइएमए के अनुसंधान प्रकोष्ठ के संयोजक राजीव जयदेवन ने कहा कि एंटी-एजिंग कोई वैज्ञानिक शब्द नहीं है। ऐसे उत्पाद प्राकृतिक उम्र बढ़ने को उलट या रोक नहीं सकते। हालांकि, कुछ दवाओं से त्वचा को गोरा करना संभव है, लेकिन यह एंटी-एजिंग जैसा नहीं है।

प्रतिबंध लगाने की मांग

पूर्व एम्स निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि एंटी-एजिंग दवाएं तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। कई उत्पाद बिना किसी उचित वैज्ञानिक अध्ययन के प्रभावी होने का दावा करते हैं, और इनमें से कुछ के हानिकारक साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं, खासकर यदि इन्हें लंबे समय तक लिया जाए।

गंभीर दुष्प्रभावों के घेरे में लोग

विशेषज्ञों ने आस्ट्रेलिया और फिलीपींस से प्राप्त रिपोर्टों का भी उल्लेख किया, जिनमें ऐसे उत्पादों के गंभीर दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया है। गुलेरिया ने कहा कि ऐसी दवाओं को विनियमित करने की आवश्यकता है। यदि उनकी सुरक्षा या उपयोगिता के बारे में कोई उचित सबूत नहीं है और वे हानिकारक पाई जाती हैं, तो उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। यह बात अन्य दवाओं पर भी लागू होती है, जैसे मांसपेशियों को मजबूत करने वाली दवाएं, जिनका अक्सर दुरुपयोग किया जाता है।

कॉस्मेटिक दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहा भारत

10 शीर्ष देशों में शामिल है भारत सौंदर्य, कास्मेटिक प्रक्रियाओं के लिए आइएसएपीएस ग्लोबल सर्वे के अनुसार5 शीर्ष देशों में शामिल है केमिकल पील्स, लिपोसक्शन और स्किन टाइटनिंग जैसी प्रक्रियाओं के लिए भी भारत दुनिया भर में 10.2 लाख थी 2023 में भारत में होने वाली कास्मेटिक प्रक्रियाओं की संख्या12.9 लाख हो गई कास्मेटिक प्रक्रियाओं की संख्या 2024 में (25 प्रतिशत की वृद्धि)

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