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अगर आप किसी ऐसी जगह रहते हैं, जहां से आपको कामकाज के लिए दो या उससे अधिक राज्यों में आना-जाना पड़ता है, या फिर आप किसी ट्रांसफ़रेबल जॉब में हैं, जहां हर दो-तीन साल में आपको नए राज्य का रुख़ करना पड़ सकता है, तो आपकी कार के लिए बीएच (BH) सिरीज़ वाली नंबर प्लेट काफ़ी फ़ायदेमंद साबित हो सकती है.
पर क्या है ये बीएच सिरीज़ वाली नंबर प्लेट? किसे मिल सकती है? इसके लिए क्या करना होगा और क्या इसके कुछ नुक़सान भी हैं.?
जानते हैं इन्हीं सभी सवालों के जवाब.
क्या है बीएच सिरीज़ नंबर प्लेट?
बीएच सिरीज़ नंबर प्लेट की शुरुआत भारत सरकार ने अगस्त, 2021 में की थी.
ये नंबर प्लेट सिर्फ़ नई प्राइवेट गाड़ियों को दी जाती है, कमर्शियल वाहनों को ऐसी नंबर प्लेट नहीं मिलती.
इसे पहचानना बहुत आसान है. बिल्कुल सामान्य से नज़र आने वाली इस नंंबर प्लेट में अंग्रेज़ी में बीएच लिखा होता है, जिसका मतलब है भारत.
सामान्य नंबर प्लेट की तुलना में बस यहां नंबर डालने का तरीक़ा थोड़ा अलग होता है.
इस सिरीज़ की नंबर प्लेट में बीएच के बाद गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा जाता है और वाहन की कैटेगरी क्या है, इसकी जानकारी भी होती है.
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इसके फ़ॉर्मेट की बात करें तो इसमें ईयर ऑफ़ रजिस्ट्रेशन (YY), फिर BH (भारत सिरीज़), फिर 4 डिजिट का रजिस्ट्रेशन नंबर और फिर वाहन की कैटेगरी बताने वाले दो अक्षर जो कि A से लेकर Z तक हो सकते हैं.
मसलन अगर किसी कार का नंबर 22BH 9999AA है तो इसका मतलब है ये वाहन 2022 में भारत सिरीज़ में रजिस्टर्ड हुआ है. अगले चार अंक रजिस्ट्रेशन नंबर और फिर वाहन की कैटेगरी होते हैं.
तो आप पूछेंगे कि नॉर्मल नंबर प्लेट में सिर्फ़ बीएच ही तो नहीं होता, इसमें राज्य के नाम यानी स्टेट रजिस्ट्रेशन के अक्षर होते हैं, तो इसमें ख़ास क्या है.
इसके कुछ ख़ास फ़ायदे हैं, जैसे – ये नंबर प्लेट पूरे देश में मान्य है और एक से दूसरे राज्य जाने पर वाहन को फिर से रजिस्टर कराने की ज़रूरत नहीं पड़ती. इसके अलावा एक और झंझट से आप बच सकते हैं.
बीएच नंबर प्लेट के फ़ायदे
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दरअसल, स्टेट रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ अगर आप अपनी जगह बदलते हैं तो आपको नए राज्य में जाने के 12 महीने के भीतर वाहन के रजिस्ट्रेशन को बदलना होता है. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप सड़क नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं. इससे आपका कार इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
बीमा कंपनी सड़क नियमों का पालन न करने के कारण कार इंश्योरेंस क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है. जबकि, बीएच नंबर के साथ आपको ये दिक़्क़त नहीं होती, क्योंकि आपको एक से दूसरी जगह जाने पर वाहन के रजिस्ट्रेशन को चेंज नहीं करना होता है.
ऐसे में कार इंश्योरेंस कवरेज या क्लेम वैलिडिटी को लेकर चिंता नहीं करनी होती है.
एक और बात ये कि साधारण नंबर प्लेट की नई कार ख़रीदने पर आम तौर पर 15 साल का रोड टैक्स चुकाना होता है, जो वाहन की लंबाई, इंजन की क्षमता और उसके प्रकार पर निर्भर करता है.
जबकि बीएच सिरीज़ नंबर प्लेट लेने पर आने वाले दो साल का ही रोड टैक्स जमा कराना होता है.
इसके बाद हर दो साल में रोड टैक्स फिर से जमा कराना होता है.
बीएच सिरीज़ की नंबर प्लेट वाली गाड़ियों पर रोड टैक्स, वाहन की कुल क़ीमत से जीएसटी हटाकर कैलकुलेट किया जाता है.
बीएच सिरीज़ नंबर प्लेट वाली गाड़ी का एक फ़ायदा ये भी है कि आप किसी और राज्य के व्यक्ति को वाहन आसानी से बेच सकते हैं, क्योंकि गाड़ी का रजिस्ट्रेशन पूरे भारत में वैध होता है.
किसे मिल सकती है ये नंबर प्लेट?
पीआईबी की साल 2023 की प्रेस रिलीज़ बताती है कि देश के 26 राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में भारत सिरीज़ नंबर प्लेट रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध है.
तो यहां से संबंध रखने वाले वे सभी लोग, जो राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं, रक्षा कर्मी, बैंक कर्मचारी या प्रशासनिक सेवा कर्मचारी तो वे बीएच सिरीज़ नंबर प्लेट के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
रही बात प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की, तो वे भी इसके लिए योग्य हैं, बशर्ते उनकी कंपनी के ऑफ़िस कम से कम चार राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में रजिस्टर्ड हों.
अब अगर आप इस मानदंड में फ़िट बैठते हैं तो ये भी जानना चाहेंगे कि बीएच सिरीज़ नंबर प्लेट के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे होता है?
रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
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बीएच सिरीज़ नंबर प्लेट के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया बहुत आसान है.
इसके लिए आपको अपने राज्य के आरटीओ दफ़्तर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. आप घर बैठे ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं
इसके लिए आप मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज़ के VAHAN पोर्टल पर ख़ुद से लॉगिन कर सकते हैं या किसी ऑथोराइज़्ड ऑटोमोबाइल डीलर की मदद ले सकते हैं.
इसके लिए प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को फ़ॉर्म 60 भरना होता है. उन्हें वर्क सर्टिफिकेट के साथ एम्प्लॉयमेंट आईडी भी दिखानी होती है, फिर ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स सबमिट करने होते हैं.
इसके बाद अथॉरिटीज़ गाड़ी की पात्रता की जांच करते हैं. बीएच नंबर के लिए आरटीओ से अप्रूवल मिलने के बाद ज़रूरी मोटर व्हीकल टैक्स भरना होता है.
फिर VAHAN पोर्टल आपकी कार के लिए बीएच सिरीज़ रजिस्ट्रेशन जेनरेट करता है.
रही बात ये कि बीएच सिरीज़ लेने में क्या कोई घाटा है? तो ज़्यादातर ऑटो एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीएच सिरीज़ नंबर प्लेट के फ़ायदों की तुलना में नुक़सान न के बराबर हैं.
क्या कोई नुक़सान भी है?
अगर गाड़ी लोन पर ली हुई है, तो बैंक की एनओसी की ज़रूरत पड़ सकती है. कई बैंकों की नीति अभी तक बीएच सिरीज़ रजिस्ट्रेशन को लेकर स्पष्ट नहीं है.
वहीं अगर भविष्य में कोई शख़्स बीएच नंबर हटाकर सामान्य स्टेट की नंबर प्लेट लेना चाहता है, तो प्रक्रिया थोड़ी लंबी और जटिल हो सकती है.
साथ ही टैक्स की दरें थोड़ी अधिक लग सकती हैं.
जैसे – 8% टैक्स उन गाड़ियों के लिए जिनकी क़ीमत दस लाख रुपये तक है. 10% टैक्स उन गाड़ियों के लिए जिनकी क़ीमत दस से बीस लाख रुपये के बीच है. 12% टैक्स बीस लाख रुपये से अधिक क़ीमत वाली गाड़ियों पर.
ये दरें पेट्रोल कारों के लिए हैं, डीज़ल पर 2% अतिरिक्त और इलेक्ट्रिक पर 2% कम टैक्स लगता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित