इस सप्ताह अमेरिका ने कई देशों के लिए शुल्क घोषणा की है पर भारत के साथ शुल्क की तस्वीर अभी स्पष्ट नहीं है। वाणिज्य मंत्रालय का दल व्यापार समझौते पर गतिरोध दूर करने के लिए फिर अमेरिका जा रहा है। जानकारों के अनुसार दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की उम्मीद है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका ने इस सप्ताह 20 से अधिक देशों के लिए शुल्क की घोषणा कर दी है, लेकिन भारत के साथ शुल्क की तस्वीर का साफ होना अभी बाकी है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का एक प्रतिनिधिमंडल फिर से अगले सप्ताह अंतरिम व्यापार समझौते पर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए अमेरिका के दौरे पर जा रहा है।
इसे देखते हुए जानकार यह कह रहे हैं कि अभी दोनों देशों के बीच अंतरिम व्यापार समझौते की पूरी उम्मीद है। वैसे भी अब ट्रंप प्रशासन ने आगामी एक अगस्त से पारस्परिक शुल्क को लागू करने का फैसला किया है। इसलिए अभी गतिरोध को दूर करने एवं अंतिम नतीजे पर पहुंचने कि लिए 20 दिनों का समय बाकी है।
एक अगस्त से लग सकता है टैरिफ
अंतरिम व्यापार समझौते के अलावा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) को लेकर भी वार्ता चल रही है जिसका पहला चरण अगले सितंबर-अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा। इससे पहले अंतरिम व्यापार समझौते को पूरा करना जरूरी है, अन्यथा एक अगस्त से अमेरिका भारत पर पारस्परिक शुल्क लगा सकता है जो पूर्व की घोषणा के मुताबिक 26 प्रतिशत हो सकता है जबकि फिलहाल भारत पर 10 प्रतिशत का शुल्क लग रहा है।
सूत्रों के मुताबिक भारत अमेरिकी कृषि पदार्थ में गैर जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सोयाबीन और मक्के के लिए शुल्क में बड़ी राहत दे सकता है। भारत अमेरिका के समक्ष शुल्क में राहत को लेकर अपने प्रस्ताव पहले रख चुका है, लेकिन अमेरिका सोयाबीन और मक्के को भी भारतीय बाजार में बेचना चाहता है। अमेरिका में जीएम और गैर जीएम दोनों ही प्रकार के सोयाबीन और मक्के की खेती की जाती है।
गैर जीएम सोया और मक्के की इजाजत मिलेगी
- भारत सिर्फ गैर जीएम सोया और मक्के की इजाजत दे सकता है। गैर कृषि पदार्थ और डेयरी को छोड़ अन्य वस्तुओं पर शुल्क में राहत देने पर भारत को कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है।
- हालांकि वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल कई बार यह दोहरा चुके हैं कि किसी भी व्यापार समझौते में भारतीय किसान और छोटे उद्यमियों का हित हमारी प्राथमिकता है। भारत अमेरिका में 90 अरब डॉलर का निर्यात करता है और अंतरिम व्यापार समझौते से टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स व ज्वैलरी, इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे रोजगारपरक सेक्टर में भारत का निर्यात अमेरिकी बाजार में काफी अधिक बढ़ जाएगा।
- अमेरिका भारत में अभी 40 अरब डॉलर का निर्यात करता है। अमेरिका ब्रिक्स समूह की तरफ से डी-डॉलराइजेशन (डॉलर की वैकल्पिक करेंसी) के प्रयास को लेकर नाराज है और इसलिए राष्ट्रपति ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर अलग से 10 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान किया है। भारत भी ब्रिक्स समूह का हिस्सा है। इसलिए भारत अमेरिका के समक्ष यह भी स्पष्ट करना चाहता है कि भारत डॉलर को कमजोर करने का कोई प्रयास नहीं कर रहा है।
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