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‘माफ करो और आगे बढ़ो’, बालाकोट एयर स्ट्राइक में शामिल पायलट से SC ने ऐसा क्यों कहा?

Byadmin

Jul 26, 2025


सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद में उलझे पायलट और उनकी पत्नी को माफ करके आगे बढ़ने की सलाह दी है। पायलट ने 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक में भाग लिया था जबकि पत्नी आइआइएम से स्नातक हैं। अदालत ने दंपती से कहा कि वे विवाद को सुलझा लें और बदले की जिंदगी न जिएं। पायलट ने पत्नी द्वारा दर्ज एफआइआर को रद्द करने के लिए याचिका दायर की है।

पीटीआई, नई दिल्ली। एक-दूसरे को माफ कर दो और आगे बढ़ो। सुप्रीम कोर्ट ने यह सलाह लड़ाकू विमान के एक पायलट और उनकी पत्नी को दी है, जो वैवाहिक विवाद में उलझे हुए हैं। पायलट ने 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक में भाग लिया था। दूसरी तरफ पत्नी आइआइएम से स्नातक हैं और एक आइटी फर्म में काम करती हैं।

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने दंपती से कहा कि वे आपसी विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लें। पीठ ने कहा-बदले की जिंदगी मत जियो। आप दोनों युवा हो और आपके आगे लंबी जिंदगी है। आपको एक अच्छा जीवन जीना चाहिए।

पीठ ने वायु सेना अधिकारी की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा, आप बस एक-दूसरे को माफ कर दो। एक-दूसरे को भूल जाओ और आगे बढ़ो। यह याचिका पायलट ने अपनी पत्नी द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराई गई एफआइआर को रद करने के लिए दायर की है।

पत्नी द्वारा मानसिक प्रताड़ना का शिकार हूं: याचिकाकर्ता

पायलट ने अपनी याचिका में कहा कि वह और उनके परिवार के सदस्य पत्नी और ससुराल पक्ष द्वारा लगातार मानसिक उत्पीड़न के शिकार हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा एफआइआर रद करने की याचिका खारिज किए जाने के बाद वायु सेना अधिकारी ने शीर्ष अदालत का रुख किया है।

याचिका की प्रकृति को देखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि यह दुश्मनी के मुकदमे जैसा है। अदालत ने दंपती को सौहार्दपूर्ण ढंग से विवाद सुलझाकर जीवन में आगे बढ़ने को कहा।

ससुरालवालों ने झूठी शिकायतें दर्ज करवाई: पायलट

याचिका में कहा गया है कि वायु सेना अधिकारी और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ पत्नी दिल्ली और हरियाणा की विभिन्न अदालतों में झूठी शिकायतें और मामले दर्ज कराती रही हैं।

जब उन्हें अदालतों से कोई राहत नहीं मिली, तो उन्होंने वायु सेना और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष बार-बार झूठी शिकायतें दर्ज कराईं। इस तरह की शिकायतें कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है और इस मामले में आपराधिक कार्यवाही जारी रखना न्याय के हित में नहीं होगा।

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