मशहूर सरकारी वकील उज्जवल निकम (Ujjwal Nikam) को राज्यसभा भेजने के लिए मनोनीत किया गया है। राज्यसभा सदस्य के तौर पर शपथ लेने से पहले उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की है। उन्होंने बताया कि साल 1993 बॉम्बे सीरियल ब्लास्ट के बाद जब एक्टर संजय दत्त को सजा सुनाई गई तो वो काफी डर चुके थे।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मशहूर सरकारी वकील उज्जवल निकम (Ujjwal Nikam) को राज्यसभा भेजने के लिए मनोनीत किया है। आतंकी अजमल कसाब को फांसी की सजा दिलवाने में उन्होने अहम भूमिका निभाई थी। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी की ओर से मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से चुनाव भी लड़ी था।
हालांकि, इस चुनाव में उन्हें महज 16 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।राज्यसभा सांसद की शपथ लेने से पहले उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ी कई अहम बातें बताई। एनडीटीवी से बातचीत करते हुए वरिष्ठ वकील ने साल 1993 मुंबई बम धमाके और 26/11 मुंबई आतंकी हमले का जिक्र किया।
अमित शाह के आग्रह पर मैंने लड़ा चुनाव: उज्जवल निकम
उन्होंने कहा कि मैं सियासत में नहीं आना चाहता था, लेकिन सीएम देवेंद्र फडणवीस और गृह मंत्री अमित शाह ने मुझे समझाया। फिर मैंने लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन दुर्भाग्य से मैं चुनाव हार गया। इसके बाद वापस मैंने वकालत शुरू कर दी। संजय दत्त को लेकर क्या बोले वरिष्ठ वकील? उन्होंने साल 1993 बम धमाकों और एक्टर संजय दत्त पर भी खुलकर बातचीत की।
उन्होंने बताया कि अगर अभिनेता संजय दत्त ने पुलिस को उस हथियारों से लदी गाड़ी के बारे में सूचना दे दी होती जिससे उन्होंने एके-47 बंदूक उठाई थी, तो 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों को टाला जा सकता था। इस धमाके में 267 लोगों की जान चली गई थी। वहीं, उन्होंने संजय दत्त को लेकर एक किस्सा भी सुनाया।
उन्होंने कहा कि जब संजय दत्त को सजा सुनाई गई तो वो घबरा गए थे। वो अपना सुध-बुध खो गए तो मुझे लगा कि इनको सदमा लग सकता है। वो आदेश को सह नहीं पा रहे थे। फिर मैंने उनको एक बात बोली। मैंने संजय को कहा ऐसे मत करो। तुम एक एक्टर हो। अगर तुम डरे हुए दिखे तो लोग तुमको दोषी समझेंगे। इसके बाद वो संभल गए।
‘काफी ड्रामा करता था कसाब’
वहीं, उज्ज्वल निकम ने दिए इंटरव्यू में आतंकी कसाब का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वो बड़ा ड्रामा करने वाला इंसान था। एक बार मैंने उसे खूब डांटा। उसकी बहन को लेकर कहा कि तू यहां आ गया। वहां तेरी बहन के साथ क्या हो रहा होगा। इस पर वो ड्रामा कर आंख पोंछा तो टीवी पर चलने लगा कि कसाब रो रहा है। हालांकि, जब मीडिया ने इसे मुद्दा बनाया तो मैंने कह दिया कि कसाब ने बिरयानी की मांग की। कोर्ट में यह बात उठा तो कसाब के मटन बिरयानी खिलाने की बात मैंने कह दी। हालांकि, कसाब ने कोर्ट में कुछ नहीं कहा।
वहीं, उज्जवल निकम ने गुलशन कुमार हत्याकांड का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि किस तरह संगीतकार नदीम सैफी ने भारत आने से बचने के लिए लंदन की अदालत में मुस्लिम कार्ड खेला था। उन्होंने बताया कि इस केस में मैंने सिर्फ असिस्ट किया था। हमारी न्यायपालिका कभी धर्म-जाति देखकर फैसला नहीं करती।
नदीम सैफी ने कहा था कि उसके खिलाफ लगे केस अगर वापस ले लिया जाता है तो वो आ जाएगा, लेकिन मैंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है।
पद्मश्री से किए जा चुके हैं सम्मानित
उज्जवल निकम लगभग तीन दशकों से वकालत कर रहे हैं। उन्होंने करीब 600 से अधिक केस लड़े हैं। भारत सरकार ने 2016 में उनके कानूनी योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।