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राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले के बेगूं थाना क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल के शिक्षक शंभू लाल धाकड़ को नाबालिग छात्र-छात्राओं के यौन शोषण के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है.
शिक्षक पर दलित और आदिवासी समुदाय से आने वाले 23 बच्चों के यौन शोषण का आरोप है, जिनमें पांच छात्राएं और 18 छात्र हैं.
पुलिस के मुताबिक़, शिक्षक के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है. उन पर पॉक्सो, बीएनएस, जेजे एक्ट, आईटी एक्ट और एससी-एसटी एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं. पुलिस का दावा है कि पूछताछ में अभियुक्त ने ज़ुर्म क़ुबूल कर लिया है.
बेगूं थानाध्यक्ष शिवलाल मीणा ने बीबीसी हिंदी को बताया, “अब तक पांच छात्राएं और अठारह छात्र सामने आए हैं. बच्चों का मेडिकल स्थानीय पीएचसी में चित्तौड़गढ़ की मेडिकल टीम ने करवाया है. बच्चों और उनके अभिभावकों के बयान भी दर्ज किए गए हैं.”
इस मामले से जुड़े कुछ वीडियो भी सामने आए हैं. इनमें अभियुक्त शिक्षक को बच्चों का यौन शोषण करते और उनसे ही उसका वीडियो बनवाते हुए देखा जा सकता है.
घटना के सामने होने के बाद से गांव में आक्रोश है. ग्रामीण अभियुक्त के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 19 जुलाई को अभियुक्त शिक्षक को सेवा से बर्ख़ास्त करने के आदेश जारी किए हैं. उन्होंने विभागीय जांच में उसे दोषी पाए जाने की बात कही और कठोर कार्रवाई का भरोसा दिलाया है.
मामले के बारे में पता कैसे चला?
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यौन शोषण का आरोप लगाने वाले 23 बच्चों में से एक ने इस मामले की जानकारी सार्वजनिक कर दी.
उस बच्चे के पिता ने ही बेगूं से चित्तौड़गढ़ पहुंचकर 17 जुलाई की शाम ज़िला कलेक्टर को घटना के वीडियो दिखाते हुए लिखित शिकायत दी थी.
कलेक्टर के निर्देश पर 17 जुलाई की देर रात अभियुक्त शिक्षक को उनके घर से बेगूं पुलिस ने हिरासत में लिया था.
शिकायत करने वाले बच्चे के पिता संजय (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से कहा, “मेरे बेटे ने अपने पड़ोस में रहने वाले स्कूल के ही एक स्टूडेंट को घटना के बारे में बताया कि उसके साथ शंभू लाल धाकड़ सर ऐसा करते हैं. तब मालूम हुआ कि दूसरे स्टूडेंट का भी अभियुक्त ने यौन शोषण किया था.”
पड़ोसी छात्र के पिता ने अगले दिन सुबह संजय से मुलाक़ात की और इस मामले पर विस्तार से चर्चा करते हुए शिक्षक के ख़िलाफ़ कार्रवाई का मन बनाया.
हालांकि, बच्चों के पास अपनी बात को साबित करने के लिए शिक्षक के ख़िलाफ़ सबूत नहीं थे.
संजय आगे कहते हैं, “इसके कुछ ही दिन बाद एक छात्र ने शिक्षक के फोन से यौन शोषण के वीडियो ले लिए. जिसके बाद हमारे पास शिक्षक के ख़िलाफ़ सबूत आ गया और हम 17 जुलाई को शिकायत करने के लिए सीधा कलेक्टर के पास पहुंचे.”
संजय के बेटे ने उन्हें बताया था कि स्कूल की छुट्टी के बाद अभियुक्त शिक्षक कुछ छात्रों को रोक लेते थे और उनका यौन शोषण करते थे.
बच्चों ने क्या बताया कि अभियुक्त शिक्षक कितने समय से उनका यौन शोषण कर रहे थे. बीबीसी के इस सवाल पर संजय ने कहा, “यह सब दो तीन साल से चल रहा था लेकिन मामले के बारे में अब पता चला है.”
घटना के विरोध में 18 जुलाई की सुबह स्कूल में तालाबंदी कर विरोध प्रदर्शन भी किया गया था. जिसके बाद शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी स्कूल पहुंचे थे.
यौन शोषण का आरोप लगाने वाले एक अन्य छात्र के पिता प्रेमदान (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से कहा, “यौन शोषण सहने वाले अभी तक सामने आए सभी बच्चे एससी-एसटी समाज के हैं. पुलिस जांच के बाद इन बच्चों की संख्या और ज़्यादा बढ़ेगी.”
वह आगे कहते हैं, “अभियुक्त के यौन शोषण से परेशान होकर कई बच्चों ने स्कूल ही छोड़ दिया है. पुलिस जांच स्कूल छोड़ने वाले बच्चों तक पहुंचेगी तो और भी कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे.”
पुलिस ने गंभीर धाराओं में दर्ज किया मामला
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बेगूं पुलिस थाना अधिकारी शिव लाल मीणा ने 17 जुलाई की देर रात ही स्कूल से क़रीब पांच किलोमीटर दूर शिक्षक के गांव से उनको हिरासत में लिया.
पुलिस का दावा है कि पूछताछ में अभियुक्त शंभू लाल धाकड़ ने अपना जुर्म क़ुबूल कर लिया.
18 जुलाई की सुबह स्थानीय एसडीएम और पुलिस थाना प्रभारी स्कूल पहुंचे. वहां बच्चों और उनके अभिभावकों से भी पूछताछ के बाद शिकायत के आधार पर पुलिस ने गंभीर धाराओं में अभियुक्त के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है.
एफ़एसएल टीम बुलाकर साक्ष्य जुटाए गए हैं और बच्चों का मेडिकल भी करवाया गया है. बच्चों की काउंसलिंग भी करवाई जा रही है.
पुलिस ने पॉक्सो एक्ट, भारतीय न्याय संहिता, जुवेनाइल एक्ट और एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर अभियुक्त को गिरफ़्तार किया है.
इस मामले में रावतभाटा डिप्टी एसपी कमल प्रसाद मीणा जांच अधिकारी हैं. वह मामले से जुड़े साक्ष्य जुटा रहे हैं.
बेगूं पुलिस थानाध्यक्ष शिव लाल मीणा ने बीबीसी से कहा, “अभियुक्त के ख़िलाफ़ दर्ज हुई एफ़आईआर में पॉक्सो एक्ट की धारा 3, 4, 5, 6, 7 और 8 जोड़ी गई हैं. भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 और 65 लगाई गई है, यह रेप से जुड़ी धाराएं हैं.”
उन्होंने आगे बताया, “आईटी एक्ट की धारा 67 और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (जेजे एक्ट) की धारा 75 भी लगाई गई है.”
इसके साथ ही एफ़आईआर में एससी-एसटी एक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं.
आरोप हैं कि स्टूडेंट का यौन शोषण करते हुए अभियुक्त शिक्षक छात्रों से ही वीडियो भी बनवाता था. कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर भी सामने आए हैं.
अभियुक्त के फोन से कितने वीडियो बरामद हुए हैं? बीबीसी के इस सवाल पर थानाध्यक्ष शिव लाल मीणा कहते हैं, “अभियुक्त ने अपने फोन से वीडियो डिलीट कर दिए थे. लेकिन, पुलिस को स्थानीय ग्रामीणों ने कई वीडियो उपलब्ध कराए हैं.”
चित्तौड़गढ़ के एक पुलिस अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, “इस मामले में जैसे-जैसे पुलिस जांच आगे बढ़ेगी तो और भी कई स्टूडेंट्स के नाम सामने आएंगे.”
‘अभियुक्त पर हो कड़ी कार्रवाई’
यह मामला सामने आने के बाद से ही स्थानीय ग्रामीणों में भारी नाराज़गी है. ग्रामीण अभियुक्त शिक्षक के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
कई स्थानीय ग्रामीणों ने बीबीसी से पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर आरोप लगाते हुए कहा है, “स्कूल के शिक्षक शंभू लाल धाकड़ कई साल से बच्चों का यौन शोषण कर रहे थे. लेकिन, सबूत नहीं होने और शिक्षक के रसूख और उनकी राजनीतिक पहुंच के कारण मामला दबा रहा.”
पुलिस के एक अधिकारी ने बीबीसी से कहा, “बच्चों ने पूछताछ में बताया है कि मार्च महीने से ही बच्चों का यौन शोषण किया जा रहा था. अभी जांच जारी है और जांच के बाद ही स्पष्ट रूप से बताया जा सकता है कि शिक्षक इन 23 के अलावा भी कितने अन्य बच्चों से और कब से यौन शोषण कर रहा था.”
संजय ने अपने बच्चे के साथ हुए यौन शोषण के ख़िलाफ़ आवाज उठाते हुए कलेक्टर से शिकायत की. अब वह चाहते हैं कि उनके मासूम बच्चों के साथ ऐसा करने वाले ‘शिक्षक पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए’, तभी न्याय होगा.
स्थानीय ग्रामीण कश्यप (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से कहा, “अभियुक्त शिक्षक पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. मेरे बच्चे भी इसी स्कूल में पढ़ते हैं. मुझे नहीं पता कि उनके साथ कभी ऐसा हुआ है या नहीं, लेकिन उन्होंने मुझे कभी नहीं बताया. वीडियो सामने नहीं आता तो शिक्षक का बच्चों के साथ गंदी हरकतों के बारे में पता नहीं चलता.”
विभागीय जांच में दोषी क़रार
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इस मामले का पता चलने के बाद 18 जुलाई को शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर अभियुक्त शिक्षक शंभू लाल धाकड़ को निलंबित किया था. मामले की विभागीय जांच के लिए चार सदस्यों की कमेटी गठित की गई थी.
19 जुलाई को जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपी और जांच में अभियुक्त शिक्षक को बच्चों से यौन शोषण का दोषी माना गया है.
विभागीय जांच रिपोर्ट में कहा गया है, “स्कूल के समय और छुट्टी के बाद बच्चों से स्कूल के कमरों और खेल मैदान में ले जाकर छेड़छाड़, अश्लील हरकतें, अनैतिक और अप्राकृतिक दुष्कृत्य करते हुए वीडियो बनाया जाता था.”
रिपोर्ट के मुताबिक़, “किसी को बताने पर बच्चों को स्कूल से निकालने, उन्हें परीक्षा में फेल कर भविष्य ख़राब करने की धमकी दी जाती थी.”
विभागीय जांच के आधार पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अभियुक्त को सरकारी नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया है. मंत्री ने इस मामले पर कहा, “शिक्षक शंभू लाल धाकड़ ने मर्यादा की सारी हदें पार कर दी हैं, ऐसे शिक्षक समाज पर कलंक हैं.”
स्कूल में अभियुक्त शिक्षक चार अप्रैल 2016 से नियुक्त थे और 30 नवंबर 2026 को रिटायर होने वाले थे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित