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लॉर्ड्स टेस्ट का दूसरा दिन भले ही रफ़्तार के लिहाज़ से धीमा रहा हो, लेकिन यह क्रिकेट के उन सभी रंगों से भरपूर था जो इस खेल को बेमिसाल बनाते हैं.
यह सिर्फ़ स्कोर की बात नहीं थी, यह मैदान पर चल रही एक जटिल मानसिक लड़ाई थी, जिसमें धैर्य, तकनीक और मनोबल की परीक्षा हुई.
जसप्रीत बुमराह की सधी हुई गेंदबाज़ी, जो रूट की शालीन लेकिन निर्णायक शतकीय पारी और इंग्लैंड के लोअर ऑर्डर बल्लेबाज़ों की जुझारू बल्लेबाज़ी ने मिलकर इस दिन को बेहद ख़ास बना दिया.
दूसरे दिन का खेल ख़त्म होने तक भारत 145/3 तक पहुंचा, लेकिन इंग्लैंड की पहली पारी के 387 रनों के मुक़ाबले भारत अब भी 242 रन पीछे है.
तीसरे दिन की सुबह ऋषभ पंत की आक्रामकता और राहुल की ठहरावपूर्ण समझदारी का संतुलन यह तय करेगा कि भारत इंग्लैंड की चुनौती का किस हद तक जवाब दे पाएगा और यह टेस्ट किस दिशा में मुड़ेगा.
एक स्पेल ने बदला मैच का रुख़
लॉर्ड्स की ऐतिहासिक प्रतिष्ठा हर क्रिकेटर को अपनी ओर खींचती है. एजबेस्टन टेस्ट में जसप्रीत बुमराह को आराम देने का टीम मैनेजमेंट का फ़ैसला दूरदर्शिता भरा साबित हुआ.
बुमराह जानते थे कि लॉर्ड्स के ऑनर्स बोर्ड पर नाम दर्ज कराना केवल आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि यह संयम, निरंतरता और विशिष्ट कौशल की कसौटी होती है.
इस टेस्ट में उन्होंने इन सभी गुणों का दुर्लभ संतुलन दिखाया- एक ऐसी गेंदबाज़ी जो तकनीक और मानसिक दृढ़ता का प्रतीक बनी.
दूसरे दिन इंग्लैंड ने 4 विकेट पर 251 रन के स्कोर से आगे खेलना शुरू किया. सुबह के सत्र में बुमराह की गेंदों ने पूरे खेल का रुख़ ही बदल दिया. उन्होंने जो रूट (104), बेन स्टोक्स (44), और क्रिस वोक्स (0) को आउट कर इंग्लैंड को 251/4 से 271/7 पर समेट दिया.
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‘अपने बेटे को इसके बारे में बताना अच्छा लगेगा’
उनकी गेंदबाज़ी की शुरुआत धीमी, लगभग सधे हुए अंदाज़ में थी, जहां वह अपनी लाइन और लेंथ को टटोल रहे थे. लेकिन जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ा, उनकी लय में विस्फोटक रूप से तेज़ी आती गई.
बेन स्टोक्स का उड़ा हुआ ऑफ स्टंप, जो रूट की बिखरती गिल्लियां और वोक्स-हार्टली को डाली गईं सटीक यॉर्करों से बैटिंग तकनीक का फ़ेल हो जाना, इन सभी ने एक ही कहानी बयां की: बुमराह न सिर्फ़ एक आक्रामक गेंदबाज़ हैं, बल्कि वह रिदम कंट्रोलर भी हैं. वह बल्लेबाज़ों को अपने इशारों पर नचाते हैं और खेल की गति को नियंत्रित करते हैं.
उन्होंने गेंद को एक तरफ़ स्विंग कराया, दूसरी तरफ़ सीम का इस्तेमाल किया और बल्लेबाज़ों को कोई भी निर्णय लेने का ज़रा भी मौका नहीं दिया. उन्होंने चार बल्लेबाज़ों को बोल्ड किया, वह भी ऐसे अंदाज़ में, जैसे मानो सब कुछ पहले से ही रचा गया हो.
जब उन्हें अपना पांचवां विकेट मिला, तो उन्होंने कोई आक्रामक या उग्र जश्न नहीं मनाया.
उन्होंने कहा, “मैंने वहाँ जश्न नहीं मनाया क्योंकि मैं थक गया था.”
बुमराह ने दिन का खेल ख़त्म होने के बाद मीडिया से बातचीत में मुस्कुराते हुए कहा, “अब मैं 21-22 साल का नहीं हूँ जो उछल-कूद करूं. मैं बस अपनी मार्किंग पर वापस जाकर अगली गेंद फेंकना चाहता था.”
अब वह भारत के बाहर सबसे ज़्यादा ‘टेस्ट फ़ाइफ़र’ (एक पारी में पांच विकेट) लेने वाले भारतीय गेंदबाज़ बन चुके हैं. उन्होंने कपिल देव जैसे महान दिग्गज को पीछे छोड़ दिया है. यह उपलब्धि उनकी विरासत में एक और शानदार अध्याय जोड़ती है.
मैच के बाद बुमराह ने अपने प्रदर्शन पर कहा, “लॉर्ड्स में पांच विकेट लेना सिर्फ़ एक आंकड़ा भर नहीं है. यह मेरे लिए भरोसे की जीत है, उस यकीन की पुष्टि है जो मैंने खु़द पर किया.”
“ऑनर्स बोर्ड पर होना अच्छा लगता है. अपने बेटे को इसके बारे में बताना अच्छा लगेगा.”
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जो रूट: एक दिन में राहुल द्रविड़ के दो रिकॉर्ड तोड़े
जब जो रूट ने दिन की पहली ही गेंद पर चौका जड़कर अपना 37वां टेस्ट शतक पूरा किया, तो यह केवल एक शतक नहीं था बल्कि राहुल द्रविड़ और स्टीव स्मिथ जैसे दिग्गजों को पीछे छोड़ने वाला पल था.
इस शानदार पारी के साथ, रूट अब टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक शतक बनाने वाले बल्लेबाज़ों की शीर्ष पांच सूची में शामिल हो गए हैं.
लेकिन दिन का सबसे यादगार और भावनात्मक पल तब आया जब रूट ने स्लिप में करुण नायर का एक हाथ से अविश्वसनीय कैच लपका. यह कोई सामान्य कैच नहीं था. यह उनका 211वां कैच था.
इस हैरतअंगेज़ कैच के साथ, रूट ने ग़ैर-विकेटकीपरों में सर्वाधिक कैच लेने का राहुल द्रविड़ (210 कैच) का लंबे समय से चला आ रहा रिकॉर्ड तोड़ दिया. द्रविड़ का रिकॉर्ड अब इतिहास बन चुका है और रूट इस श्रेणी में एक नए शिखर पर हैं.
अपने शतक को लेकर रूट ने कहा कि यह ‘विशेष’ ज़रूर था, लेकिन ‘अधूरा’ महसूस हुआ.
यह उनके उस जुनून को दर्शाता है कि वह हर बार एक बड़ा स्कोर बनाना चाहते हैं और टीम के लिए हर संभव योगदान देना चाहते हैं. आज का दिन उनके लिए बल्ले और हाथों दोनों से रिकॉर्ड तोड़ने का दिन था, जिसने उनकी महानता को एक बार फिर साबित किया.
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स्मिथ और कार्स की रणनीति
जब इंग्लैंड का स्कोर 271/7 था, तब ऐसा लग रहा था कि उनकी पारी जल्द ही सिमट जाएगी, लेकिन जेमी स्मिथ और ब्राइडन कार्स ने भारत की इस धारणा को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया.
जेमी स्मिथ को पाँच रन के निजी स्कोर पर स्लिप में केएल राहुल ने जीवनदान दिया था. इस मौक़े का उन्होंने बख़ूबी फ़ायदा उठाया और संयम दिखाते हुए 52 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया. उनकी वापसी ने भारतीय ख़ेमे को हैरान कर दिया.
वहीं, अक्सर सीमित ओवरों के क्रिकेट में दिखने वाले ब्राइडन कार्स ने टेस्ट क्रिकेट में पहली बार अर्धशतक जड़कर सबको चौंका दिया. उनका बल्लेबाज़ी का अंदाज़ आक्रामक था; उन्होंने कभी बुमराह की गेंद को पॉइंट के ऊपर से खेला तो कभी आकाश दीप पर कवर के ऊपर से शानदार शॉट लगाए.
इंग्लैंड के आख़िरी तीन विकेटों ने मिलकर 116 रन जोड़े. यह वही महत्वपूर्ण अंतर है जो अब स्कोर बोर्ड पर भारत को भारी पड़ रहा है और उनके लिए लक्ष्य को और भी मुश्किल बना रहा है.
भारत की पारी: राहुल की स्थिरता और गिल की उलझन
जोफ़्रा आर्चर ने यशस्वी जायसवाल का स्वागत अपनी गति से किया. साढ़े चार साल बाद टेस्ट में लौटे आर्चर ने तीसरी गेंद पर जायसवाल को स्लिप में भेजकर आउट किया.
इस सिरीज़ की पहली चार पारियों में 585 रन बनाकर शानदार फ़ॉर्म में दिख रहे कप्तान शुभमन गिल इंग्लैंड के निशाने पर थे.
उन्होंने क्रिस वोक्स की गेंद पर रिव्यू लेकर एक बार तो ख़ुद को बचाया, लेकिन आख़िरकार 16 रन बनाकर बाउंसर की रणनीति में फंसकर चलते बने. गिल का जल्दी आउट होना भारत के लिए एक बड़ा झटका था.
हालांकि, केएल राहुल बिल्कुल अलग अंदाज़ में दिखे. उन्होंने 113 गेंदों में 53 रन बनाए, जिसमें उनका पूरा ध्यान ऑफ़ स्टंप के बाहर जाती गेंदों को छोड़ने पर था. उन्होंने मौक़े मिलने पर ही स्कोरिंग शॉट्स खेले.
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पंत का साथ और उम्मीद
ऋषभ पंत अपनी चोट के बावजूद क्रीज़ पर टिके रहे और फ़िलहाल राहुल के साथ एक बड़ी साझेदारी की उम्मीद बंधी हुई है. इन दोनों की मौजूदगी ही तीसरे दिन भारत की पारी की दिशा तय करेगी.
लॉर्ड्स टेस्ट के दूसरे दिन, मैदान पर गेंद को लेकर काफ़ी विवाद भी हुआ. भारतीय खिलाड़ी गेंद की स्थिति से बिल्कुल ख़ुश नहीं थे. दरअसल, दूसरी नई गेंद को सिर्फ़ 10.3 ओवर के बाद ही बदलना पड़ा था. लेकिन, खिलाड़ियों को दी गई नई गेंद भी उन्हें पुरानी और घिसी-पिटी लगी, जिससे उनकी निराशा बढ़ गई.
इस पर भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने अंपायरों के साथ लंबी और तीखी बहस की. उनके बार-बार के आग्रह के बाद, अंपायरों को आख़िरकार दूसरी बार गेंद बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा.
इंग्लैंड की टीम ने इस स्थिति का पूरा फायदा उठाया और इस दौरान कुछ अहम रन बटोरे, जिससे भारत पर दबाव और भी बढ़ गया.
लॉर्ड्स की पिच अब पेस और मूवमेंट दोनों दे रही है. जैसे-जैसे दिन बढ़ेगा, रिवर्स स्विंग और अनियमित उछाल भारतीय बल्लेबाज़ों के लिए संकट पैदा करेगी.
भारत को इस पारी में कम से कम 350 तक पहुंचने के लिए राहुल-पंत साझेदारी को 150 के पार ले जाना होगा. यह भी देखना होगा कि क्या निचला क्रम इंग्लैंड की तरह बल्लेबाज़ी कर सकेगा या एक बार फिर वही पुरानी कहानी दोहराई जाएगी.
(लेखक आईपीएल की लखनऊ सुपर जाएंट्स टीम से जुड़े हैं)
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.