सुप्रीम कोर्ट ने IIT खड़गपुर और शारदा यूनिवर्सिटी में छात्र आत्महत्याओं पर चिंता जताई है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने संस्थानों से जवाब मांगा है और पुलिस को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पूछा कि छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? कोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर सवाल उठाए और पुलिस को जानकारी न देने पर नाराजगी जताई।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार के देश के दो प्रमुख शैक्षणिक संस्थान IIT खड़गपुर और शारदा यूनिवर्सिटी में हुई छात्र आत्महत्याओं के मामले पर गंभीर चिंता जताई है।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने इम मामलों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए संस्थानों से जवाब मांगा है और पुलिस को चार हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
बेंच ने सख्त लहजे में पूछे सवाल
बेंच ने सख्त लहजे में पूछा कि छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? संस्थान का प्रबंधन क्या कर रहा है? कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल पुलिस को भी कहा कि वे इन मामलों की पूरी जानकारी दें।
बता दें, शारदा यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडी की छात्रा ज्योति शर्मा जो BDS (डेंटल) की सेकेंड ईयर की छात्रा थी उसने हाल ही में हॉस्टल में आत्महत्या कर ली थी। इस पर कोर्ट को अमीकस क्यूरी अपर्णा भट्ट ने जानकारी दी कि छात्रा के पिता ने घटना के दो घंटे के भीतर FIR दर्ज कराई थी। घटनास्थल से सुसाइड नोट भी मिला है और दो लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
SC ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर उठाए सवाल
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने पूछा, “क्या छात्रों ने पिता को जानकारी दी थी? कॉलेज में पुलिस प्रशासन को तुरंत सूचना क्यों नहीं दी?” कोर्ट ने इसे प्रशासन की लापरवाही बताया और पहले दिए गए आदेशों का पालन करने पर नाराजगी जाहिर की।
IIT खड़गपुर के मेकेनिकल इंजीनियरिंग के चौथे वर्ष के छात्र ऋतम मंडल ने 18 जुलाई को आत्महत्या कर ली थी। वे कोलकाता के निवासी थे और पांच वर्षीय ड्यूल डिग्री प्रोग्राम में पढ़ रहे थे। इस साल की शुरुआत से अब तक संस्थान में ये चौथी आत्महत्या है।
जनवरी में भी छात्र ने की थी आत्महत्या
जनवरी में भी इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष के छात्र शॉन मलिक का शव हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका मिला था। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस द्वारा जानकारी न देने पर भी नाराजगी जताई और कोर्ट को बताया गया कि स्थानीय पुलिस ने अभी तक कोई ठोस अपडेट नहीं दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि छात्रों की आत्महत्या सिर्फ एक निजी मामला नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी संस्थाओं की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि संस्थानों को समय रहते पुलिस को सूचना देनी चाहिए ताकि जांच जल्द हो सके।
SC ने फैसले में क्या कहा?
इन मामलों में यदि FIR देर से दर्ज की जाती है या लापरवाही होती है, तो सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ऐसी स्थिति में संबंधित संस्थानों पर अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की जांच जारी है, इसलिए फिलहाल और कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी। लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे दुखद मामलों की पुनरावृत्ति न हो।