• Fri. Sep 20th, 2024

24×7 Live News

Apdin News

स्वच्छ शहरों की प्रतियोगिता में बनी नई कैटेगरी, इंदौर और सूरत जैसे शहरों का अलग से होगा मुकाबला

Byadmin

Sep 13, 2024


केंद्र सरकार ने स्वच्छता अभियान के तहत शहरों के बीच प्रतियोगिता को और व्यावहारिक बनाने के लिए टॉप शहरों के लिए अलग कैटेगरी बनाने की घोषणा की है। इसके तहत इंदौर और सूरत जैसे शहर जो अक्सर टॉप में ही रहते हैं उनका अलग श्रेणी में मुकाबला होगा। इसके अलावा इस बार स्वच्छता पखवाड़े में 2.60 लाख स्थानों को चयनित कर साफ करने का लक्ष्य रखा गया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में स्वच्छता के लिए शहरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को नई दिशा देते हुए शहरी कार्य मंत्रालय ने गोल्डन सिटी क्लब के रूप में मुकाबले की एक नई श्रेणी बनाने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य स्वच्छता की रैंकिंग में लगातार शीर्ष स्थान पर आ रहे शहरों का एक अलग समूह बनाकर बाकी शहरों के बीच बराबरी का मुकाबला कराना है।

गौरतलब है कि इंदौर और सूरत जैसे शहर वर्षों से स्वच्छता रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल कर रहे हैं और उनका दबदबा इस कदर है कि शहरों के बीच साफ-सफाई की प्रतियोगिता का नतीजा एक तरह से पहले से तय हो जाता है। इस स्थिति को दूर करने के लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को बताया कि गोल्डन सिटी क्लब कैटेगरी सभी वर्गों में होगी और इसमें केवल वे शहर शामिल होंगे, जो शीर्ष स्थान पर रहते रहे हैं।

स्वच्छता पखवाड़े में 2.60 लाख स्थानों की सफाई

17 सितंबर से दो अक्टूबर तक चलने वाले स्वच्छता पखवाड़े से जुड़े आयोजनों की जानकारी देते हुए मनोहर लाल ने कहा कि नई प्रणाली में शहरों के लिए गोल्डन सिटी क्लब में आने का और पहले से इस श्रेणी में शामिल शहर को खराब प्रदर्शन पर सामान्य श्रेणी में जाने का प्रविधान होगा। मनोहर लाल ने यह भी बताया कि इस बार स्वच्छता पखवाड़े में 2.60 लाख स्थानों को चयनित कर साफ करने का लक्ष्य रखा गया है।

इन स्थानों की साफ-सफाई इस तरह से की जाएगी कि एक निश्चित समय-सीमा के भीतर उनमें स्वच्छता नजर आने लगे। इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि चार लाख गांवों में घरों से कूड़ा उठाने के लिए पांच लाख वाहन संचालित किए जा रहे हैं और जल्द ही सभी छह लाख गांवों तक यह सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी।

दस साल में 3.4 करोड़ घर बने ओडीएफ प्लस

पाटिल ने कहा कि स्वच्छता अभियान के दस सालों में गांवों में 3.4 करोड़ घर ओडीएफ प्लस बन गए हैं। ओडीएफ और ओडीएफ प्लस गांवों में परिवारों ने हर साल औसतन पचास हजार रुपये स्वास्थ्य खर्चों में बचाए हैं। डब्लूएचओ ने माना है कि 2019 में 2014 के मुकाबले डायरिया के कारण मरने वाले लोगों में तीन लाख की कमी वास्तव में स्वच्छता अभियान की देन है।

By admin