भारत ने यूरोपीय यूनियन के रूस पर लगाए प्रतिबंधों के बीच स्पष्ट किया है कि उसकी प्राथमिकता अपने नागरिकों को ऊर्जा प्रदान करना है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। उन्होंने दोहरे मापदंडों से बचने और वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्पष्ट दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन का दौरा करने वाले हैं। इससे पहले यूरोपीय यूनियन की ओर से रूस के तेल पर लगाए गए प्रतिबंधों पर भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है। भारत ने कहा है कि हम वही करेंगे, जो हमें करना है।
दरअसल, मंगलवार (22 जुलाई, 2025) को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर बढ़ रहे पश्चिमी दबाव के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब दिए। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि भारत की ऊर्जा जरूरतें सबसे पहले आती हैं। उन्होंने कहा, ‘जहां तक ऊर्जा का सवाल है तो हम इस बात पर बहुत स्पष्ट हैं कि भारत के लोगों को ऊर्जा देना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस संबंध में जो करने की जरूरत होगी, वही करेंगे।’
और क्या बोले विक्रम मिस्री?
विदेश सचिव ने कहा, ‘ऊर्जा से जुड़े मुद्दों पर भी, जैसा कि हमने पहले भी कहा है, दोहरे मापदंड न अपनाना और व्यापक ऊर्जा बाजार के संदर्भ में वैश्विक स्थिति के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखना जरूरी है। हम समझते हैं कि यूरोप एक महत्वपूर्ण और गंभीर समस्या से जूझ रहा है, लेकिन बाकी दुनिया भी इससे जूझ रही है। वह उन मुद्दों से भी जूझ रही है जो बाकी दुनिया के लिए अस्तित्वगत हैं और मुझे लगता है कि इन मुद्दों पर बात करते समय संतुलन और दृष्टिकोण बनाए रखना जरूरी है।’
यूरोपीय यूनियन ने लगा रखा है रूस पर प्रतिबंध
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के बाद यूरोपीय यूनियन ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इन प्रतिबंधों में रूसी कच्चे तेल से बने ईंधन पर प्रतिबंध लगाना और तेल की कीमतों की सीमा कम करना शामिल है। इसमें रोसनेफ्ट की भारतीय संयुक्त उद्यम रिफाइनरी को भी निशाना बनाया गया है और बैंकिंग सेक्टर में नए प्रतिबंध लगाए गए हैं।