भारत के स्टार तेज गेंदबाज आकाश दीप इंग्लैंड दौरे पर धमाल मचा रहे हैं। लीड्स में पहले टेस्ट में मौका नहीं मिलने के बाद एजबेस्टन में जसप्रीत बुमराह की जगह उन्हें मौका दिया गया। इंग्लैंड की सरजमीं पर अपने पहले ही मैच में आकाश छा गए। उन्होंने मैच में कुल 10 विकेट लिए। पहली पारी में चार और दूसरी पारी में छह विकेट लेकर उन्होंने इंग्लैंड की बल्लेबाजी को ध्वस्त कर दिया। बुमराह की गैरमौजूदगी में कहा जा रहा था कि भारतीय टीम कैसे कामयाब हो पाएगी, लेकिन आकाश ने सिराज के साथ मिलकर दिखा दिया कि वे किसी से कम नहीं हैं।
जिस तरह मैच के बाद फैंस उनसे ऑटोग्राफ लेते दिखे, इससे पता चलता है कि आकाश नाम के नए स्टार भारतीय क्रिकेट में उदय हो गया है। हालांकि, आकाश दीप के लिए यह सफर इतना आसा नहीं रहा है। इस मुश्किल सफर में उन्हें काफी कुछ खोना पड़ा, संघर्ष और अपनी कड़ी मेहनत के बलबूते वह इस मुकाम तक पहुंचे हैं। वो कहते हैं न भगवान के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं…आकाश की कहानी कुछ ऐसी ही है। एजबेस्टन में जीत के बाद आकाश ने कहा कि यह गेंदबाजी प्रदर्शन उनकी बहन के लिए है, जो पिछले दो साल से कैंसर से जूझ रही हैं। आकाश को आर्थिक तंगी भी झेलनी पड़ी। उन्होंने क्या कुछ नहीं सहा, लेकिन अब बिहार का यह लाल बुलंदियों को चूम रहा है। आइए उनके संघर्ष की कहानी जानते हैं…
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आकाश दीप
– फोटो : BCCI
इंग्लैंड के खिलाफ किया था डेब्यू
27 साल के आकाश दीप ने इंग्लैंड के खिलाफ साल 2024 के फरवरी-मार्च में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के चौथे मुकाबले में उतरते ही कमाल कर दिया था। उन्होंने इंग्लैंड की पहली पारी में शुरुआती तीन विकेट लेकर धमाल मचा दिया। आकाश को अनुभवी तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की जगह खेलने का मौका मिला था। आकाश ने कप्तान रोहित शर्मा के भरोसे को सही साबित किया और यादगार प्रदर्शन किया।
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आकाश दीप
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आकाश के लिए आसान नहीं रहा सफर
आकाश के लिए राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने का सफर आसान नहीं रहा। मूलरूप से बिहार के सासाराम के रहने वाले इस खिलाड़ी ने अपने जीवन में संघर्ष के कई दौर देखे हैं। कभी पिता-भाई के निधन ने तोड़ा तो कभी आर्थिक तंगी के कारण क्रिकेट छोड़ना पड़ा। आकाश के पिता उन्हें सरकारी नौकरी करते देखना चाहते थे। उन्होंने कई परीक्षाएं भी दीं, लेकिन उनके मन में हमेशा क्रिकेट चल रहा था। पढ़ाई में उतना मन नहीं लगता था। वह क्रिकेट के लिए ज्यादा समय निकालते थे।
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बचपन में लोग सुनाते थे ताने
आकाश ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था कि लोग बचपन में उन्हें ताने सुनाते थे। यहां तक के दोस्तों के घर वाले भी उनकी बुराई करते थे। अपने बच्चों को उनसे दूर रहने की सलाह देते थे। भारतीय तेज गेंदबाज ने बताया कि लोग यह कहते थे कि आकाश से दूर रहो। उसके संगत में रहकर बिगड़ जाओगे। हालांकि, आकाश अब किसी की आलोचना नहीं करते हैं। जब वह 23 साल के थे तो उनके पिता को लकवा मार दिया था। इसके बाद उन्होंने क्रिकेट से कुछ समय के लिए ब्रेक लिया था।
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सबसे कठिन रहा साल 2015
आकाश के लिए 2015 उनके जीवन का सबसे कठिन साल रहा। उन्होंने तीन महीने के अंदर अपने पिता और भाई दोनों को खो दिया था। पिता का निधन स्ट्रोक के कारण हुआ था। वहीं, दो महीने बाद उनके भाई ने भी दुनिया छोड़ दी। आकाश के घर में पैसे नहीं थे। उन्हें अपनी मां की देखभाल करनी थी। इस कारण उन्होंने क्रिकेट को तीन साल के लिए छोड़ दिया था। बाद में आकाश को लगा कि वह क्रिकेट से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकते हैं। इसके बाद दुर्गापुर चले गए। वहां से फिर कोलकाता पहुंचे। एक छोटे से कमरे में भाई के साथ रहने लगे। बिहार क्रिकेट संघ पर बैन ने उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं, इस वजह से भी उन्हें बंगाल का रुख करना पड़ा था।