Bharat Bandh 9 July 2025 देश भर के ट्रेड यूनियनों और किसान समूहों ने 9 जुलाई 2025 को भारत बंद का ऐलान किया है। ये लोग सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों का विरोध कर रहे हैं जो उनके अनुसार बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाती हैं। हड़ताल से परिवहन बैंकिंग और औद्योगिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश भर के बड़े ट्रेड यूनियनों और किसान समूहों ने बुधवार (09 जुलाई, 2025) को भारत बंद की घोषणा की है। इन लोगों का कहना है कि वे सरकार की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉर्पोरेट-समर्थक नीतियों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये फैसले मजदूरों और किसानों के लिए अच्छे नहीं हैं और इसके बजाय बड़ी कंपनियों की मदद करते हैं।
इस देशव्यापी हड़ताल से देश के कई क्षेत्रों पर असर देखने को मिल सकता है। हालांकि हड़ताल को आधिकारिक तौर पर राज्य प्रशासनों से इजाजत नहीं दी गई है, लेकिन इसका असर कई इलाकों में महसूस होने की उम्मीद है, खासकर उन इलाकों में जहां हिस्सा लेने वाली यूनियनों की मजबूत उपस्थिति है।
किसके खिलाफ हो रहा भारत बंद
- उत्तर प्रदेश में सरकारी बिजली कंपनियों को बेचना (निजीकरण)।
- नए श्रम नियम जो श्रमिकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- ऐसी नीतियां जो आम लोगों की तुलना में व्यवसायों को तरजीह देती हैं।
क्या स्कूल और कॉलेज भी बंद रहेंगे?
अभी तक 9 जुलाई को शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने के बारे में कोई सरकारी अधिसूचना जारी नहीं की गई है। स्कूल, कॉलेज और निजी कार्यालय खुले रहने की उम्मीद है। हालांकि, यातायात अवरोधों और स्थानीय विरोध प्रदर्शनों के कारण व्यवधान की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। अभिभावकों और छात्रों को सलाह दी गई है कि वे स्कूल संचालन के बारे में ताजा जानकारी के लिए स्थानीय स्कूल प्रशासन या जिला प्राधिकारियों के संपर्क में रहें, विशेष रूप से उन शहरों या जिलों में जहां यूनियन गतिविधियां मजबूत हैं।
कौन सी सर्विस पर पड़ सकता है असर?
इसका असर कुछ इलाकों में सार्वजनिक परिवहन, बैंकिंग और औद्योगिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है। मेट्रो में ऐप-आधारित कैब सेवाएं और सिटी बसें सामान्य रूप से चलती रहेंगी, लेकिन चुनिंदा औद्योगिक क्षेत्रों और कस्बों में सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। बैंकिंग सेवाएं, खास तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और सहकारी संस्थाओं में कुछ व्यवधान देखने को मिल सकते हैं। हड़ताल में कर्मचारियों की भागीदारी के आधार पर प्रमुख वित्तीय कार्यों में देरी और व्यक्तिगत सेवाओं तक सीमित पहुंच हो सकती है।