दिल्ली की तिहाड़ जेल के अस्पताल में हत्या के आरोप में विचाराधीन कैदी रमेश कर्मकार ने खिड़की से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। रमेश 28 मई से अस्पताल में इलाज करा रहा था। इस घटना ने जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं।

जेल नंबर 3 के अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था
वहीं, सोमवार की सुबह जब जेल अधिकारियों को इस बारे में पता चला तो आनन-फानन में इसकी जांच शुरू कर दी गई है। वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि रमेश ने आत्महत्या क्यों की। जेल प्रशासन के मुताबिक, कैदी रमेश कर्मकार जेल नंबर 4 में बंद था। उसे इलाज के लिए जेल नंबर 3 के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रमेश कर्मकार ने खिड़की से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
अब प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर उठ रहा सवाल
इस घटना के बाद जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल उठ रहे हैं। पुलिस हर पहलू से मामले की जांच कर रही है। वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या आत्महत्या के पीछे कोई और कारण था।
तिहाड़ जेल में क्षमता से अधिक रहते हैं कैदी
दिल्ली की तिहाड़ जेल में 5 हजार कैदियों की क्षमता है, लेकिन यहां 13 हजार से अधिक कैदी को रखा जाता है। तिहाड़ जेल में जीवन बहुत ही ज्यादा कठिन है। यहां रहने की जगह कम है, सुरक्षा की चिंता हमेशा बनी रहती है और जीवन की स्थितियां अच्छी नहीं हैं। इससे पहले भी कई बार तिहाड़ जेल में संदिग्ध परिस्थिति में कैदियों की मौत हुई है। इस जेल में कई हाईप्रोफाइल कैदी भी रहते हैं।
कई हाई प्रोफाइल कैदी जेल में बंद
तहव्वुर राणा, छोटा राजन और नीरज बवाना जैसे गैंगस्टर और आरोपी तिहाड़ जेल परिसर में बंद हैं। जेल के अंदर से अवैध तरीके से बातचीत को रोकने के लिए मोबाइल सिग्नल जैमर्स को अपग्रेड किया जा रहा है। ताकि कोई भी बदमाश जेल में बैठकर बाहर क्राइम न करवा सके।