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Digital Arrest,यूपी में पहली बार ‘डिजिटल अरेस्ट’ पर सजा, अदालत ने ठग को सुनाई लंबी कैद, जानें पूरा मामला – for first time in uttar pradesh punishment for digital arrest

Byadmin

Jul 17, 2025


लखनऊ में साइबर अपराधी को डिजिटल गिरफ्तारी के मामले में सजा मिली है। आरोपी ने फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर 85 लाख रुपये की ठगी की थी। डॉ. सौम्या गुप्ता ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

Digital Arrest
संदीप तिवारी, लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में फर्जी CBI अधिकारी बनकर डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर 85 लाख रुपये की ठगी करने वाले साइबर अपराधी को विशेष न्यायालय CJM कस्टम ने रिकॉर्ड समय में दोषी पाते हुए सजा सुनाई है। यह उत्तर प्रदेश में ” डिजिटल अरेस्ट ” के नाम पर हुई साइबर ठगी का पहला मामला है, जिसमें आरोपी को न्यायालय द्वारा सजा दी गई।

दरअसल, यह मामला 1 मई 2024 को सामने आया, जब डॉ. सौम्या गुप्ता ने थाना साइबर क्राइम, लखनऊ में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, ड्यूटी के दौरान उन्हें एक कॉल प्राप्त हुई, जिसमें कॉलर ने खुद को कस्टम अधिकारी बताया और दावा किया कि उनके नाम पर बुक कारगो में जाली पासपोर्ट, एटीएम कार्ड और 140 ग्राम MDMA मिला है। कॉल को बाद में एक अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर की गई, जिसने खुद को CBI अधिकारी बताया और उन्हें डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी दी। इस प्रकार उन्हें लगातार 10 दिनों तक मानसिक दबाव में रखकर कुल 85 लाख रुपये की ठगी कर ली गई।

डिजिटल अरेस्ट मामले में पहली सजा

विशेष न्यायालय CJM कस्टम, लखनऊ ने फर्जी CBI अधिकारी बनकर डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर 85 लाख रुपये की साइबर ठगी करने वाले आरोपी देवाशीष राय को दोषी पाते हुए 7 साल की सजा और 68 हजार का अर्थदंड सुनाया है। डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित के अनुसार, यह मामला उत्तर प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी के विरुद्ध दर्ज की गई पहली सजा है, जो अन्य साइबर अपराधियों के लिए सख्त संदेश है।

डीसीपी ने कहा कि देवाशीष राय जैसे साइबर अपराधी आम नागरिकों को कॉल कर स्वयं को CBI, कस्टम या प्रवर्तन निदेशालय का अधिकारी बताते हैं। वे झूठा दावा करते हैं कि उनके नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग, MDMA तस्करी या आतंकी फंडिंग जैसे संगीन अपराधों में इस्तेमाल हुआ है। इसके बाद पीड़ित को वीडियो कॉल (Skype या अन्य माध्यम) के जरिए “डिजिटल गिरफ्तारी” का भय दिखाकर उनसे पूछताछ का नाटक करते हैं और मानसिक दबाव डालकर बड़ी धनराशि वसूलते हैं। यह धनराशि क्रिप्टो करेंसी (USDT) में बदलकर अन्य खातों में ट्रांसफर की जाती है, जिससे ट्रेस करना कठिन हो जाता है।

पुलिस ने दिखाई तत्परता

पुलिस आयुक्त लखनऊ और अपराध शाखा के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में प्रभारी निरीक्षक साइबर क्राइम बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। टीम ने तकनीकी साक्ष्य, सर्विलांस और खुफिया सूचना तंत्र की मदद से मात्र 5 दिनों में आरोपी को लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार स्थित मंदाकिनी अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी ने फर्जी पहचान और दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते और सिम कार्ड प्राप्त कर अपराध को अंजाम दिया। इसके बाद साइबर क्राइम थाना द्वारा गहन विवेचना कर डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर 2 अगस्त 2024 को चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई। आरोपी की जमानत का विरोध करते हुए उसे जेल में रखा गया और ट्रायल की गति को बनाए रखते हुए अदालत में सभी गवाहों के बयान और बरामद माल का परीक्षण कराया गया।

विवेक मिश्रा

लेखक के बारे मेंविवेक मिश्राजन्मस्थली बाराबंकी है और कर्मस्थली तीन राज्य के कई शहर रहे हैं। 2013 में प्रिंट मीडिया से करियर की शुरुआत की। मप्र जनसंदेश, पत्रिका, हिंदुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण होते हुए नवभारत टाइम्स के साथ डिजिटल मीडिया में कदम रखा।और पढ़ें