अमेरिका में फलस्तीन कार्यकर्ता महमूद खलील ने अपनी गिरफ्तारी को लेकर ट्रंप प्रशासन के खिलाफ 20 मिलियन डॉलर (करीब 1.71 अरब रुपये से अधिक) का दावा ठोक दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें गलत तरीके से जेल में रखा गया, झूठे आरोप लगाए गए और उन्हें बदनाम कर चुप कराने की कोशिश की गई, क्योंकि वे अमेरिका में फलस्तीन के समर्थन में आवाज उठा रहे थे।
हालांकि खलील के इस दावे के बाद होमलैंड सिक्योरिटी ने इसे बिलकुल गलत बताया। साथ ही खलील पर यहूदी छात्रों को डराने और नफरत फैलाने का आरोप लगाया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि खलील के खिलाफ की गई कार्रवाई कानून के अनुसार थी। वहीं व्हाइट हाउस और आईसीई ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है।
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खलील ने सुनाई अपनी गिरफ्तारी की कहानी
जेल से रिहा होने के बाद खलील ने अपनी गिरफ्तारी को याद कर भावुक होते हुए बताया कि कैसे वे लुइसियाना की एक ठंडी जेल में बंद थे और अपने बेटे के जन्म की खबर का इंतजार कर रहे थे। खलील ने कहा कि उस रात का दर्द मैं कभी नहीं भूल सकता। वहीं खलील के वकीलों ने यह दावा होमलैंड सिक्योरिटी विभाग, इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (आईसीई) और विदेश मंत्रालय के खिलाफ किया है।
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कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र हैं खलील
बता दें कि खलील कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र हैं और हाल ही में पढ़ाई पूरी की है। उनका कहना है कि यह मामला सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए है जो बोलने की आजादी के लिए खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार को अपनी गलती का अहसास नहीं होगा, ऐसे मामले चलते रहेंगे। खलील ने यह भी कहा कि अगर उन्हें मुआवजा मिलता है, तो वह रकम उन लोगों के साथ साझा करेंगे जो प्रो-फिलिस्तीन बोलने की वजह से निशाना बनाए गए। अगर मुआवजा नहीं मिलता, तो वे सरकारी माफी और नीतियों में बदलाव की मांग करेंगे।