कंडेला खाप का कितना दबदबा
हर खाप का अपना एक प्रभाव क्षेत्र है। कंडेला खाप की बात करें तो जींद जिले में इसकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। गन्नौर, गोहाना, बरौदा, इसराना और सफीदो समेत करीब दर्जन भर विधानसभा सीटों पर गठवाला मलिक खाप का असर देखने को मिल जाता है। इस बार खाप से जुड़े बड़े चेहरे चुनावी रण में उतरकर अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
कभी डेरे और खाप पर टिकी होती थी हार-जीत
हरियाणा की राजनीति में 2014 से पहले डेरे और खाप के समर्थन को एक तरह से जीत की गारंटी माना जाता था, लेकिन 2014 में कई बड़े चेहरों की हार के बाद सवाल भी खड़े होने लगे थे। उस समय खापों ने कांग्रेस का समर्थन किया था, लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाई। उस समय गठवाला खाप के चौधरी बलजीत सिंह और दहिया खाप की नेता संतोष दहिया चुनाव हार गए थी। पिछले विधानसभा चुनाव में करीब आधा दर्जन सीटों पर इस खाप के समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
सर्वखाप का कितना असर?
सर्वखाप का असर नरवाना, टोहाना, उकलाना, बरवाला, कैथल और नारनौंद जैसी विधानसभा सीटों पर है, जबकि नरवाना और उकलाना सबसे अधिक बिनैन खाप के असर से अछूती नहीं हैं। इस बार विभिन्न खापों ने चार उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया है, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से करीब एक दर्जन सीटों पर खाप पंचायतें किसी भी राजनीतिक दल के उम्मीदवार के जीत के मंसूबों पर पानी फेरने की सामथ्र्य रखती हैं। रोहतक जिले की बेरी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक घमासान मचा है।
बीजेपी ने बेरी से संजय कबलाना को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि किसान मोर्चा के अध्यक्ष अमित अहलावत डीघल लंबे समय से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। बीजेपी ने अमित अहलावत का टिकट काटा तो वह निर्दलीय चुनावी रण में उतर गए और खाप नेताओं ने उन्हें अपना समर्थन दिया। कांग्रेस से यहां छह बार के विधायक रघुबीर कादियान चुनावी रण में हैं।
अहलावत खाप और पंचायत किसके साथ?
अहलावत खाप के साथ ही पंचायत ने अमित अहलावत को अपना समर्थन दिया है, जबकि पंचायती उम्मीदवार के रूप में खाप नेता रमेश दलाल बहादुरगढ़ में चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं। जींद जिले की उचाना कलां विधानसभा सीट पर जेजेपी के प्रत्याशी और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के सामने 66 गांवों के प्रतिनिधियों ने आजाद पालवा को अपना उम्मीदवार बनाया हुआ है।
बेरी में अमित अहलावत और सोनू अहलावत के साथ 360 महरौली के प्रमुख गोवर्धन सिंह भी चुनावी रण में बने हुए हैं। अमित अहलावत को मनाने के लिए बीजेपी ने काफी प्रयास किए, लेकिन खाप का समर्थन होने की वजह से वह चुनावी रण में मजबूती से डटे हैं। गन्नौर, गोहाना और बहादुरगढ़ के साथ महम इलाके में भी खाप इस बार के विधानसभा चुनाव में अपना असर दिखाने की पूरी तैयारी में जुटी हैं।
बता दें कि करीब साढ़े तीन दशक पहले हरियाणा में पहली बार खापों के राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद महम विधानसभा क्षेत्र में आनंद सिंह दांगी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को चुनाव में पराजित कर दिया था।