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Hospitals Inflated Bills,अस्पताल अब लूट नहीं पाएंगे… सरकार कर रही है तगड़ा इंतजाम, पूरा प्‍लान क्‍या है? – governments nhcx plan to curb arbitrary hospital billing making health insurance cheaper

Byadmin

Jul 10, 2025


अस्पतालों द्वारा बढ़ाए गए बिलों पर लगाम लगाने के लिए सरकार बीमा क्लेम पोर्टल को वित्त मंत्रालय के अंतर्गत लाने की तैयारी कर रही है। इस कदम से इंश्योरेंस कंपनियों को मोलभाव करने की शक्ति मिलेगी और इलाज की दरों को नियंत्रित किया जा सकेगा। परिणामस्वरूप, आम लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस सस्ता होने की संभावना है।

Hospital Billing
नई दिल्ली: अस्पताल के बढ़े बिलों पर सरकार शिकंजा कसने वाली है। उसने बीमा कंपनियों के नाम पर की जा रही अस्‍पतालों की मनमानी बिलिंग को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाए की तैयारी कर ली है। यह कदम खासकर बीमा कवर वाले मरीजों से वसूले जाने वाले बढ़े हुए बिलों को रोकेगा। सरकार मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम पोर्टल को वित्त मंत्रालय और इंश्योरेंस रेगुलेटर (IRDAI) के अंतर्गत लाने की योजना बना रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अस्पतालों की ओर से इलाज के खर्च को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा है। यह इंश्योरेंस कंपनियों को प्रीमियम बढ़ाने पर मजबूर करता है। इससे आम लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना मुश्किल हो रहा है। सरकार का मानना है कि इस कदम से इंश्योरेंस कंपनियों की मोलभाव करने की ताकत बढ़ेगी। इलाज की दरों को कंट्रोल किया जा सकेगा।

प्रोफेशनल सर्विसेज फर्म एओन की ग्लोबल मेडिकल ट्रेंड रेट्स रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हेल्थकेयर का खर्च 2025 में 13% तक बढ़ने का अनुमान है। यह वैश्विक औसत 10% से ज्‍यादा है। पिछले साल यह आंकड़ा 12% था।

मरीजों के लिए इलाज की लागत बढ़ा रहे हैं अस्‍पताल

सरकार और इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI के एक विश्लेषण में पाया गया कि अस्पताल मरीजों के लिए इलाज की लागत बढ़ा रहे हैं। वे उन लोगों से ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं जिनके पास महंगा इंश्योरेंस कवर है। एक सरकारी सूत्र ने इस सप्ताह की शुरुआत में यह जानकारी दी।

न्‍यूज एजेंसी रायटर्स ने सूत्र के हवाले से बताया कि इस वजह से इंश्योरेंस कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ा रही हैं। इससे कई लोगों के लिए इंश्योरेंस लेना मुश्किल हो गया है। वित्त और स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की।

NHCX वाली चाल से क्‍या होगा फायदा?

सूत्र ने कहा कि नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज (NHCX) की ‘सख्त निगरानी’ से इंश्योरेंस कंपनियों की ‘सामूहिक सौदेबाजी की शक्ति’ में सुधार होगा। यह प्लेटफॉर्म इंश्योरेंस कंपनियों, हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स और मरीजों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करता है। इससे इलाज की दरों को तय करने में मदद मिलेगी।

फिलहाल, इस एक्सचेंज की देखरेख स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की ओर से की जाती है। अथॉरिटी की वेबसाइट के अनुसार, इसे इंश्योरेंस रेगुलेटर के ‘परामर्श’ से विकसित किया गया था। IRDAI हेल्थ एक्सचेंज को रेगुलेट नहीं करता है। लेकिन, वह प्लेटफॉर्म पर इंश्योरेंस कंपनियों को रेगुलेट करता है।

उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम आय में वार्षिक बढ़ोतरी 2024-25 में घटकर 9% रह गई है। एक साल पहले यह 20% से ज्‍यादा थी। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि प्रीमियम कई लोगों के लिए महंगा हो गया है। इससे पॉलिसी रिन्यूअल कम हो रहे हैं।

सीधे शब्दों में कहें तो सरकार अस्पतालों की मनमानी बिलिंग पर लगाम लगाने के लिए इंश्योरेंस क्लेम पोर्टल को वित्त मंत्रालय के अधीन लाने जा रही है। इससे इंश्योरेंस कंपनियों को इलाज की दरों पर मोलभाव करने में मदद मिलेगी। आम लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस सस्ता हो सकेगा।

अमित शुक्‍ला

लेखक के बारे मेंअमित शुक्‍लापत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी की। टाइम्‍स इंटरनेट में रहते हुए नवभारतटाइम्‍स डॉट कॉम से पहले इकनॉमिकटाइम्‍स डॉट कॉम में सेवाएं दीं। पत्रकारिता में 15 साल से ज्‍यादा का अनुभव। फिलहाल नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर के रूप में कार्यरत। टीवी टुडे नेटवर्क, दैनिक जागरण, डीएलए जैसे मीडिया संस्‍थानों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के साथ भी काम किया। इनमें शिमला यूनिवर्सिटी- एजीयू, टेक वन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (नोएडा) शामिल हैं। लिंग्विस्‍ट के तौर पर भी पहचान बनाई। मार्वल कॉमिक्स ग्रुप, सौम्या ट्रांसलेटर्स, ब्रह्मम नेट सॉल्यूशन, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी और लिंगुअल कंसल्टेंसी सर्विसेज समेत कई अन्य भाषा समाधान प्रदान करने वाले संगठनों के साथ फ्रीलांस काम किया। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। देश-विदेश के साथ बिजनस खबरों में खास दिलचस्‍पी।और पढ़ें