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India Economic Growth Environmental Issues,भारत क्‍या चीन की ‘गंदगी’ बंटोर रहा है? एक्‍सपर्ट ने दी कीमत चुकाने की चेतावनी – china plus one dragons pollution in india through industries warning of development at the cost of environment

Byadmin

Jul 25, 2025


भारत को ‘चीन प्लस वन’ रणनीति से आर्थिक लाभ की उम्मीद है। लेक‍िन, सौरभ मुखर्जी ने चेतावनी दी है कि चीन से बाहर निकलने वाले कुछ उद्योग पर्यावरणीय समस्याएं ला सकते हैं। भारत को हाई-टेक सेक्टरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हालांक‍ि, नीति निर्माताओं को आर्थिक लाभ और पर्यावरणीय लागत के बीच संतुलन साधना होगा।

china plus one dragons pollution in india through industries warning of development at the cost of environment
नई दिल्‍ली: ‘ चीन प्‍लस वन ‘ से भारत को बड़ा आर्थिक फायदा होने की उम्‍मीद है। वह इसकी लहर पर सवार होकर खूब तेजी से बढ़ सकता है। लेकिन, यह पूरी तरह से तरक्‍की नहीं है। INDmoney के साथ पॉडकास्ट में मारसेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर सौरभ मुखर्जी ने इस लेकर चेतावनी दी है। उनके मुताबिक, भारत चीन से बाहर निकलने वाले उद्योगों से अरबों कमा सकता है। लेकिन, उनमें से कुछ ऐसे व्यवसाय हैं, जिनमें भारी पर्यावरणीय समस्याएं हैं। यानी ये कारोबार अपने साथ भारत में ‘गंदगी’ लेकर आ रहे हैं। इसकी भारत को कीमत चुकानी होगी।

मुखर्जी के अनुसार, चीन अब कुछ चीजें नहीं करना चाहता है। चीनी हाई-टेक में आगे बढ़ रहे हैं। औद्योगिक रसायनों जैसे कम मूल्य वाले, प्रदूषणकारी क्षेत्रों को वे छोड़ रहे हैं। भारत को इसका असर पहले से ही महसूस होने लगा है। दक्षिणी भारत और गुजरात के कुछ हिस्से रासायनिक उत्पादन के साथ फल-फूलने लगे हैं। यह जीडीपी और शेयर बाजारों के लिए अच्छा है। हालांकि, इसका पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।

40 साल तक दुन‍िया का कारखाना रहा है चीन

अमेरिका ने चीन से सोर्सिंग दूर की है। ऐसा करने से वियतनाम को बहुत फायदा हुआ है। कभी-कभी वे हल्के पॉलिश किए गए चीनी सामानों का फिर से एक्‍सपोर्ट भी करते हैं। अमेरिका इस पर नकेल कसने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, इससे निपट पाना आसान नहीं है।

सौरभ मुखर्जी ने बताया कि चीन 40 साल तक दुनिया का कारखाना बना रहा है। जैसे-जैसे यह कपड़ा जैसे श्रम आधारित उद्योगों को छोड़ेगा, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देश स्वाभाविक रूप से उस गतिविधि को पकड़ लेंगे। यह और बात है कि भारत के लिए असली रिवॉर्ड हाई-टेक सेक्‍टरों में है।

भारत को यहां बनानी चाह‍िए जगह

उन्होंने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, मेडिकल डिवाइस और फार्मा में अगर हम चीन से इनका 10% हिस्सा भी लेते हैं तो पांच सालों में हमारी जीडीपी में आधा ट्रिलियन डॉलर जुड़ जाएगा।’

भारत की स्थिति के बारे में आशावादी होते हुए भी मुखर्जी की बातों में एक संदेश छुपा है। हर विकास साफ नहीं होता है। नीति निर्माताओं को इसके फायदे और नुकसान के बारे में सोचना होगा। मुखर्जी का मैसेज साफ है। भले ही भारत के लिए विकास की संभावनाएं उज्ज्वल हैं। लेकिन, नीति निर्माताओं को आर्थिक लाभ और पर्यावरणीय लागत के बीच संतुलन साधना होगा।

क्‍या है ‘चीन प्‍लस वन’ स्‍ट्रैटेजी?

‘चीन प्लस वन’ एक कारोबारी स्‍ट्रैटेजी है। इसमें ग्‍लोबल कंपनियां अपनी मैन्‍यूफैक्‍चरिंग और सप्‍लाई चेन को सिर्फ चीन तक सीमित रखने के बजाय चीन के अलावा किसी एक या ज्‍यादा अन्य देशों में भी अपने परिचालन का विस्तार करती हैं। इसका मकसद रिस्‍क डायवर्सिफिकेशन यानी जोखिम विविधीकरण है। दरअसल, किसी एक देश पर बहुत ज्‍यादा निर्भरता भू-राजनीतिक तनाव, ट्रेड वॉर, प्राकृतिक आपदाओं (जैसे कोरोना महामारी) या चीन की आंतरिक नीतियों में बदलाव के कारण सप्‍लाई चेन में रुकावट पैदा कर सकती है। ‘चीन प्लस वन’ रणनीति कंपनियों को इस तरह के जोखिमों से बचाने में मदद करती है।

अमित शुक्‍ला

लेखक के बारे मेंअमित शुक्‍लापत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी की। टाइम्‍स इंटरनेट में रहते हुए नवभारतटाइम्‍स डॉट कॉम से पहले इकनॉमिकटाइम्‍स डॉट कॉम में सेवाएं दीं। पत्रकारिता में 15 साल से ज्‍यादा का अनुभव। फिलहाल नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर के रूप में कार्यरत। टीवी टुडे नेटवर्क, दैनिक जागरण, डीएलए जैसे मीडिया संस्‍थानों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के साथ भी काम किया। इनमें शिमला यूनिवर्सिटी- एजीयू, टेक वन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (नोएडा) शामिल हैं। लिंग्विस्‍ट के तौर पर भी पहचान बनाई। मार्वल कॉमिक्स ग्रुप, सौम्या ट्रांसलेटर्स, ब्रह्मम नेट सॉल्यूशन, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी और लिंगुअल कंसल्टेंसी सर्विसेज समेत कई अन्य भाषा समाधान प्रदान करने वाले संगठनों के साथ फ्रीलांस काम किया। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। देश-विदेश के साथ बिजनस खबरों में खास दिलचस्‍पी।और पढ़ें