भारत और ब्रिटेन के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौता हुआ है, जिस पर पीयूष गोयल और जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षर किए। इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 34 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। कीर स्टारमर ने इसे ऐतिहासिक डील बताते हुए कहा कि इससे ब्रिटेन में नौकरियां और कारोबार के अवसर बढ़ेंगे।

भारत और ब्रिटेन के बीच हुए ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से कई महत्वपूर्ण बदलाव आने वाले हैं। इसका सीधा असर व्हिस्की, वीजा और टैरिफ पर पड़ेगा। इस समझौते से जहां दोनों देशों को आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। वहीं, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों में कुछ चिंताएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
क्या-क्या बदल जाएगा?
इस समझौते का सबसे बड़ा पहलू टैरिफ में कमी है। भारत के लिए 99% भारतीय निर्यात पर ब्रिटेन में टैरिफ तुरंत कम हो जाएगा या शून्य हो जाएगा। इसमें कपड़ा, रत्न और आभूषण, ऑटो कंपोनेंट्स, जूते और मशीनरी जैसे प्रमुख उत्पाद शामिल हैं। वहीं, ब्रिटेन के लिए भारत 90% ब्रिटिश निर्यात पर शुल्क कम करेगा। विशेष रूप से, स्कॉच व्हिस्की और जिन पर शुल्क 150% से घटकर तुरंत 75% और फिर एक दशक में 40% तक हो जाएगा।
ब्रिटिश कारों पर आयात शुल्क 100% से अधिक से घटकर कोटा व्यवस्था के तहत 10% हो जाएगा। इसके अतिरिक्त, कोल्ड ड्रिंक, सौंदर्य प्रसाधन, चिकित्सा उपकरण और कुछ ऑटोमोबाइल जैसे उत्पादों पर टैरिफ 15% से घटकर 3% हो जाएगा। इससे ये भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अधिक किफायती हो जाएंगे।
सेवाओं के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण बदलाव होंगे, खासकर वीजा नियमों में आसानी। भारतीय आईटी, वित्तीय सेवाओं, शिक्षा, वास्तुकला और परामर्श फर्मों के लिए ब्रिटिश बाजार में प्रवेश आसान होगा। योग प्रशिक्षकों, शेफ और संगीतकारों जैसे पेशेवरों के लिए वीजा नियमों को सरल बनाया जाएगा। इससे उन्हें ब्रिटेन में काम करने के अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, ब्रिटेन में तैनात भारतीय पेशेवरों को तीन साल तक सामाजिक सुरक्षा भुगतान से छूट मिलेगी। इससे उन्हें सालाना हजारों पाउंड की बचत होगी।
इस समझौते का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 60 अरब डॉलर से दोगुना कर 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। इससे सालाना 25.5 अरब पाउंड का अतिरिक्त लाभ होने की संभावना है।
बांग्लादेश और चीन में क्यों मचेगी खलबली?
हालांकि, इस समझौते से बांग्लादेश और चीन में कुछ चिंताएं उत्पन्न हो सकती हैं। भारत को ब्रिटेन के बाजार में ड्यूटी-फ्री पहुंच मिल गई है, जबकि बांग्लादेश अभी भी कुछ प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, खासकर 2026 में कम विकसित देश (LDC) श्रेणी से बाहर निकलने के बाद। इससे बांग्लादेशी कपड़ा निर्माताओं को प्रतिस्पर्धा में मुश्किल हो सकती है। चीन के लिए भी यह समझौता एक चुनौती पेश कर सकता है। कारण है कि ब्रिटेन अपनी वैश्विक व्यापार रणनीति में चीन से दूर होकर भारत जैसे अन्य देशों के साथ संबंधों को मजबूत कर रहा है। यह चीन के भू-राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव को कम करने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा सकता है। खासकर तब जब चीन और कई पश्चिमी देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहे हैं।
कीर स्टारमर ने क्या कहा?
कीर स्टारमर ने ट्वीट करके इस FTA को ‘ऐतिहासिक डील’ बताया। उन्होंने कहा कि इससे ब्रिटेन में नौकरियां बढ़ेंगी और कारोबार के मौके मिलेंगे। उन्होंने लिखा, ‘भारत के साथ एक ऐतिहासिक डील का मतलब है ब्रिटेन में नौकरियां, निवेश और तरक्की। इससे हजारों ब्रिटिश नौकरियां पैदा होंगी, कारोबार के लिए नए मौके खुलेंगे और लोगों की जेब में पैसा आएगा।’
इस समझौते के तहत भारतीय कारोबारों को ब्रिटेन के बाजारों में आसानी से प्रवेश मिलेगा। उन्हें कम टैक्स और आसान नियमों का फायदा होगा। एफटीए से आर्थिक विकास और नौकरी के नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है, खासकर भारतीय युवाओं के लिए।