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Jaleb Chowk : जयपुर का जलेब चौक किसका? एक दिन पहले डिप्टी सीएम दीया कुमारी को लगा था झटका, अब मिली राहत – jaleb chowk of jaipur, eviction of trust of former royals stayed and now deputy cm diya kumari got relief

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Sep 20, 2024


जयपुर : राजस्थान के जयपुर शहर के बीचों बीच पूर्व राजपरिवार का निवास है सिटी पैलेस। इस सिटी पैलेस के ठीक बाहर का क्षेत्र जलेबी चौक है। इस जलेबी चौक का बड़ा हिस्सा खाली पड़ा है और कुछ हिस्से पर अस्थाई दुकानें बनी हुई है। खाली जमीन और अस्थाई दुकानों वाले हिस्से के स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा है। सवाई मानसिंह म्यूजियम ट्रस्ट इस जमीन पर अपना हक जता रहा है जबकि दूसरी ओर जयपुर नगर निगम इस पर अपना अधिकार जता रहा है।एसएमएस म्यूजियम ट्रस्ट पूर्व राजपरिवार की ओर से बनाया गया है। मालिकाना हक का विवाद पिछले 30 साल से चल रहा है। बुधवार 18 सितंबर को निचली अदालत ने एसएमएस म्युजियम ट्रस्ट के दावे को खारिज करते हुए पूर्व राजपरिवार को झटका दिया था लेकिन अगले ही दिन यानी गुरुवार 19 सितंबर को डीजे कोर्ट ने बड़ी राहत दे दी। डीजे कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर स्टे लगाते हुए यथास्थिति के आदेश दे दिए।
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डिप्टी सीएम दीया कुमारी से जुड़ा है मामला


राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी जयपुर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य हैं। उनका निवास स्थान भी सिटी पैलेस है। जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह के नाम से बने ट्रस्ट का संचालन भी उन्हीं के देखरेख में होता है। दीया कुमारी महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय ट्रस्ट और जयगढ़ फोर्ट चैरिटेबल ट्रस्ट की सचिव एवं ट्रस्टी हैं।
पूर्व राजपरिवार जयपुर को लगा झटका, कोर्ट ने कहा- ‘सिटी पैलेस के बाहर की संपत्ति पर राज्य सरकार का अधिकार’जलेबी चौक परिसर की जमीन के स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा है। ऐसे में यह मामला सीधे रूप से डिप्टी सीएम से भी जुड़ा हुआ माना जा रहा है। बुधवार को निचली कोर्ट के आदे को एसएमएस म्युजियम ट्रस्ट की ओर से चुनौती दी गई थी। ऐसे में गुरुवार 19 सितंबर को ही डीजे कोर्ट ने निचली कोर्ट के आदेश पर स्टे लगाते हुए यथास्थिति के आदेश दे दिए। इस मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर तय की गई है।

सही तरीके से नहीं सुना गया पक्ष – एसएमएस ट्रस्ट

बुधवार 18 सितंबर को जयपुर महानगर द्वितीय की न्यायिक मजिस्ट्रेट उत्तर ने जलेबी चौक की इस जमीन पर एसएमएस म्यूजियम ट्रस्ट के दावे को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इस विवादित जमीन पर सरकार का अधिकार बताया। नगर निगम के एडवोकेट मुकेश जोशी की ओर से दलील दी गई थी कि साल 1949 में भारत सरकार और महाराजा सवाई मानसिंह के बीच कोवेनेंट निष्पादित हुआ था।

उस कोवेनेंट में जलेब चौक सहित टाउन हॉल और राजेन्द्र हजारी गार्ड बिल्डिंग राज्य सरकार को उपयोग करने के लिए हैंडओवर कर दिया गया था। इसकी देखरेख का जिम्मा भी राज्य सरकार को दे दिया गया था। कोवेनेंट में उक्त संपत्तियों को पुनः लौटाने अथवा किसी और को हस्तानांतरण करने का जिक्र नहीं किया गया है। इस दलील के बाद निचली अदालत ने एसएमएस म्यूजियम के दावे को खारिज कर दिया था। ट्रस्ट की ओर से यह कहते हुए डीजे कोर्ट में चुनौती दी गई कि निचली अदालत में उनके पक्ष को सही तरीके से नहीं सुना गया।
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पुराने फैसले को देखते हुए डीजे कोर्ट ने दी राहत


चूंकि इस जमीन पर मालिकाना हक को लेकर पिछले 30 साल से विवाद कोर्ट में चल रहा है। 24 जुलाई 2018 को न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 5 ने ट्रस्ट के पक्ष में फैसला दिया था। नगर निगम की ओर से उस फैसले को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने 6 साल पुराने फैसले को रद्द करते हुए फिर से सुनवाई के आदेश दिए थे और फिर सुनवाई करते हुए ट्रस्ट के दावे को खारिज कर दिया।

6 साल पुराने फैसले की दलील देते हुए ट्रस्ट ने डीजे कोर्ट में याचिका लगाई। इस पर डीजे कोर्ट ने निकली कोर्ट के फैसले पर स्टे लगाते हुए यथा स्थिति के आदेश दिए और अगली सुनवाई 9 अक्टूबर तय की। डीजे कोर्ट के इस फैसले से डिप्टी सीए दीया कुमारी और पूर्व राजपरिवार के सदस्यों को बड़ी राहत मिली है।

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