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Karnataka Court Pakistan Comment,भारत के किसी हिस्से को पाकिस्तान नहीं बता सकते… सीजेआई की कर्नाटक हाईकोर्ट के जज को खरी-खरी – cji chandrachud objects to karnataka hc judge remark can not call any part of india as pakistan

Byadmin

Sep 25, 2024


नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जस्टिस की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर चलने वाली कार्रवाई को बंद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि भारत के किसी भी हिस्से को कोई भी पाकिस्तान की तरह नहीं बता सकता है। जजों को ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी से परहेज करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने कहा है कि आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस वी. श्रीशेषानंद ने अपनी टिप्पणियों के लिए ओपन कोर्ट में 21 सितंबर को माफी मांग ली थी और ऐसे में हम कार्यवाही बंद करते हैं।

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल अदालती कार्यवाही के दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जस्टिस ने कथित तौर पर एक महिला वकील के खिलाफ टिप्पणी और फिर एक अन्य मामले में कार्यवाही के दौरान बेंगलूर के एक मुस्लिम बाहुल इलाके को पाकिस्तान कहा था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर को खुद से संज्ञान लिया था। हाई कोर्ट के जस्टिस ने मकान मालिक-किरायेदार विवाद से जुड़े एक अन्य मामले में बेंगलुरु में मुस्लिम बहुल एक इलाके को ‘पाकिस्तान’ बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को न्यायिक प्रक्रिया के दौरा किसी भी ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी से बचना चाहिए। उन्हें ऐसी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए। ऐसी टिप्पणियां जिससे महिला के प्रति पूर्वाग्रह दिखे या फिर किसी समाज के किसी वर्ग के खिलाफ ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए को पूर्वाग्रह वाला हो।

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जजों को चीफ जस्टिस की नसीहत

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने देश भर के जजों से कहा है कि वह सुनवाई के दौरान किसी भी अवांछित टिप्पणी से बचें। ऐसी टिप्पणी जो किसी समुदाय विशेष के खिलाफ पूर्वाग्रह वाला हो या फिर महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह दिखाता है वैसी टिप्पणी जज न करें। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि आप भारत के किसी भी भूभाग को पाकिस्तान नहीं कह सकते हैं। चीफ जस्टिस ने मौखिक तौर पर यह टिप्पणी करते हुए कार्रवाई बंद कर दी। कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस ने बेंगलूर के एक इलाके विशेष को पाकिस्तान की संज्ञा दी थी।

मुस्लिम बहुल इलाके को ‘पाकिस्तान’ कहने पर विवाद

कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई के वीडियो में एक जगह जस्टिस ने बेंगलुरू के मुस्लिम बहुल एक इलाके को पाकिस्तान कहा था और एक अन्य विडियो में जस्टिस ने महिला वकील के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। वह मामला वैवाहिक विवाद से संबंधित था। शीर्ष अदालत ने कहा कि सुनवाई के दौरान लापरवाही से हुई कोई भी टिप्पणी पूर्वाग्रह वाली हो सकती है। अदालती कार्रवाई के दौरान जज को इस बात को लेकर सजग रहना होगा कि वह कोई भी ऐसा कॉमेंट ना करे जो महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रह वाला हो या फिर समाज के किसी वर्ग के खिलाफ पूर्वाग्रह वाला हो।

अदालतों में आपत्तिजनक टिप्पणी न हो- CJI

चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालतों में आपत्तिजनक टिप्पणी न हो और साथ ही कहा कि इस कारण जो विवाद उत्पन्न हुआ है उस कारण लाइव स्ट्रीमिंग को बंद नहीं किया जा सकता है। दिन के सनलाइट का जवाब ज्यादा सनलाइट ही हो सकता है। आपत्तिजनक कॉमेंट वाले विडियो सर्कुलेट होने भर से लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक नहीं लगाया जा सकता है। सनलाइट का जवाब सनलाइट होता है। कोर्ट में क्या होता है सुनवाई के दौरान इसे दबाया नहीं जा सकता है। यह सभी के लिए रिमांडर है कि कोर्ट में लाइव स्ट्रीमिंग नहीं रुकेगी और इस तरह की टिप्पणी होती है इसे आधार बनाकर लाइव स्ट्रीमिंग नहीं रोकी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की खरी-खरी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी ने टिप्पणियों के बारे में ‘एक्स’ पर आए कुछ संदेशों का उल्लेख किया और कहा कि तमाम मैसेज में कटुता वाली बात है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आपने क्या जज की टिप्पणी देखी है? कोई भी भारत के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान नहीं बुला सकता है। क्योंकि यह सब मौलिक तौर पर देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस दौरान कहा कि सोशल मीडिया पर कंट्रोल नहीं किया जा सकता है।

सोशल मीडिया पर कोर्ट कार्रवाई वायरल होने पर चीफ जस्टिस ने कहा- लाइव स्ट्रीमिंग जारी रहेगी

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आपको बता दें कि किसी भी गलत बात पर परदा डालना कोई समाधान भी नहीं है बल्कि उसका सामना किया जाना चाहिए। इस सब का जवाब कूप मंडूलता नहीं हो सकता है। सोशल मीडिया की पहुंच में अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग भी आ गई है। ज्यादातर हाई कोर्ट में अब लइव स्ट्रीमिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए नियम तय हैं। अदालती कार्यवाही में जज, वकील और वादियों व पक्षकारों सभी को हमेसा सजग रहना होगा। सुनवाई की पहुंच कोर्ट में मौजूद लोगों तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य लोगों तक इसकी पहुंच है।

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