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Maharashtra Cm Fadnavis On Bombay Hc Acquitting All 12 People In Relation To 2006 Mumbai Train Bombings – Amar Ujala Hindi News Live

Byadmin

Jul 21, 2025


महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले पर हैरानी जताई, जिसमें 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों के 12 आरोपियों को बरी किया गया। फडणवीस ने कहा, हाईकोर्ट का फैसला चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा, हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। 

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हाईकोर्ट के दो जजों की पीठ ने आज अभियोजन पक्ष को फटकार लगाते हुए गवाही से लेकर पहचान परेड की प्रक्रिया तक पर सवाल उठाए। इसके साथ कोर्ट ने हर एक दोषी को बरी करते हुए 25 हजार रुपये के निजी बॉन्ड पर रिहा करने का आदेश दिया।  

2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में 187 लोगों की मौत हुई थी। वहीं 800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। अब बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद इन धमाकों का कोई जिम्मेदार नहीं रह गया। निचली अदालत ने 12 दोषियों में से पांच को मौत की सजा और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मामले में एक व्यक्ति को बरी कर दिया गया था।

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इस घटना की बाद में जो विस्तृत जानकारी सामने आई थी, उसके मुताबिक 11 जुलाई को शाम करीब 6.24 बजे जब लोग मुंबई लोकल से अपने घरों को लौट रहे थे तो सात जगहों पर हुए धमाकों ने पूरे सिस्टम को हिला दिया। जांचकर्ताओं को बाद में पता चला कि उच्च क्षमता वाले आरडीएक्स और अमोनियम नाइट्रेट को प्रेशर कुकरों में भर कर ट्रेन में ले जाया गया। इन बमों में बकायदा टाइमर लगाए गए थे। मुंबई की अलग-अलग रेल लाइनों में यह धमाके 6.35 तक हुए यानी 11 मिनट तक पूरी मुंबई दहलती रही। 

कौन थे सजा पाने वाले लोग?

इस मामले में कुल 13 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिन 12 लोगों को सजा हुई, उनमें एक की 2021 में मौत हो गई। बाकी लोगों के केस हाईकोर्ट में चल रहे थे। जिन पांच लोगों को मामले में विशेष अदालत की तरफ से मौत की सजा सुनाई गई थी, उनमें कमाल अंसारी, मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख, एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, नावीद हुसैन खान और आसिफ खान शामिल थे। इन्हें मकोका कानून की धाराओं के तहत हत्या, आपराधिक साजिश और आतंकवाद फैलाने के मामले में दोषी पाया गया था।

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वहीं, जिन सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी गई उनमें तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद माजिद मोहम्मद शफी, शेख मोहम्मद अली आलम शेख, मोहम्मद साजिद मरगुब अंसारी, मुजम्मिल अताउर रहमान शेख, सुहैल महमूद शेख और जमीन अहमद लतीउर रहमान शेख के नाम थे। कोर्ट ने वाहिद शेख नाम के एक व्यक्ति को बरी कर दिया। हालांकि, मामले में गिरफ्तारी के बाद से ही वह नौ साल तक जेल में रहा।

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