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NITI Aayog Proposal: चीन के लिए क्‍या दरवाजे खोलेगा भारत? सरकारी थिंक टैंक का प्रस्‍ताव, आर्थिक कूटनीति में बड़े ट्विस्‍ट का संकेत – niti aayog recommendations is india opening investment doors for china think tank proposes easing rules for chinese companies

Byadmin

Jul 18, 2025


नीति आयोग ने चीनी कंपनियों के निवेश नियमों को सरल बनाने का सुझाव दिया है। प्रस्ताव के अनुसार, चीनी कंपनियां बिना मंजूरी के 24% तक हिस्सेदारी खरीद सकती हैं। इसका उद्देश्य भारत में एफडीआई को बढ़ाना है। सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है। पहले सीमा विवाद के बाद निवेश नियम सख्त किए गए थे।

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नई दिल्‍ली: भारत की आर्थिक कूटनीति में बड़े ट्विस्‍ट का संकेत मिला है। नीति आयोग ने चीनी कंपनियों के निवेश नियमों को आसान बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह सरकार का मुख्य थिंक टैंक है। अभी चीनी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए गृह और विदेश मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी लेनी होती है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी सूत्रों का कहना है कि इन नियमों के कारण कई बड़े सौदे अटके हुए हैं। नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि चीनी कंपनियों को बिना किसी मंजूरी के भारतीय कंपनियों में 24% तक हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस प्रस्ताव का उद्देश्य भारत में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को बढ़ाना है। व्यापार मंत्रालय का उद्योग विभाग, वित्त और विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यालय इस प्रपोजल पर विचार कर रहे हैं। कुछ सरकारी विभाग, जैसे उद्योग विभाग, इन नियमों को आसान बनाने के पक्ष में हैं। लेकिन, अंतिम फैसला लेने में कुछ महीने लग सकते हैं।

भारत और चीन के बीच 2020 में सीमा पर हुए विवाद के बाद ये नियम लागू किए गए थे। इन नियमों का सबसे ज्यादा असर चीनी कंपनियों पर पड़ा है। इसकी वजह से BYD का इलेक्ट्रिक कार बनाने के लिए 2023 में किया जाने वाला 1 अरब डॉलर का निवेश रुक गया। रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक तनावों के कारण दुनिया भर में विदेशी निवेश कम हो गया है। भारत में भी एफडीआई में भारी गिरावट आई है। यह पिछले वित्तीय वर्ष में घटकर 35.3 करोड़ डॉलर रह गया, जबकि मार्च 2021 में यह 43.9 अरब डॉलर था।

संबंधों को सुधारने के प्रयास जारी

अक्टूबर में सैन्य तनाव कम होने के बाद से भारत और चीन के बीच संबंधों को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने और सीमा विवादों को हल करने की योजनाएं शामिल हैं।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में चीन का दौरा किया और सीमा मुद्दों को हल करने और व्यापार प्रतिबंधों को हटाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सीमा मुद्दों को हल करना और व्यापार प्रतिबंधों को हटाना जरूरी है।

नीति आयोग ने एफडीआई मंजूरी के लिए जिम्मेदार बोर्ड में बदलाव करने का भी सुझाव दिया है। इसका उद्देश्य निवेश प्रक्रिया को और आसान बनाना है।

निवेश करने के लिए बहुत सारी जांच

अभी, चीनी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए बहुत सारी जांच से गुजरना पड़ता है। नीति आयोग चाहता है कि यह प्रक्रिया आसान हो जाए। उनका मानना है कि इससे भारत में ज्यादा विदेशी निवेश आएगा।

न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, नीति आयोग का प्रस्ताव है कि चीनी कंपनियों को 24% तक हिस्सेदारी खरीदने के लिए सरकार से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। सरकार के कुछ विभाग इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन अंतिम फैसला अभी बाकी है।

एफडीआई भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे देश में नौकरियां पैदा होती हैं और विकास होता है। सरकार एफडीआई को आकर्षित करने के लिए कई कदम उठा रही है। नीति आयोग का प्रस्ताव एफडीआई को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह कदम भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों के अनुरूप है, जो घरेलू मैन्‍यूफैक्‍चरिंग और निवेश को बढ़ावा देना चाहती हैं। चीनी निवेश को अधिक सुलभ बनाकर भारत ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन में अपनी स्थिति मजबूत करने और अपनी आर्थिक तरक्‍की को रफ्तार देने की उम्मीद करता है, जबकि रणनीतिक हितों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। यह देखना होगा कि यह संतुलन कैसे हासिल किया जाता है, खासकर जब सुरक्षा चिंताएं अभी भी कुछ सरकारी हलकों में बनी हुई हैं।

अमित शुक्‍ला

लेखक के बारे मेंअमित शुक्‍लापत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी की। टाइम्‍स इंटरनेट में रहते हुए नवभारतटाइम्‍स डॉट कॉम से पहले इकनॉमिकटाइम्‍स डॉट कॉम में सेवाएं दीं। पत्रकारिता में 15 साल से ज्‍यादा का अनुभव। फिलहाल नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर के रूप में कार्यरत। टीवी टुडे नेटवर्क, दैनिक जागरण, डीएलए जैसे मीडिया संस्‍थानों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के साथ भी काम किया। इनमें शिमला यूनिवर्सिटी- एजीयू, टेक वन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (नोएडा) शामिल हैं। लिंग्विस्‍ट के तौर पर भी पहचान बनाई। मार्वल कॉमिक्स ग्रुप, सौम्या ट्रांसलेटर्स, ब्रह्मम नेट सॉल्यूशन, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी और लिंगुअल कंसल्टेंसी सर्विसेज समेत कई अन्य भाषा समाधान प्रदान करने वाले संगठनों के साथ फ्रीलांस काम किया। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। देश-विदेश के साथ बिजनस खबरों में खास दिलचस्‍पी।और पढ़ें