Premanand Maharaj on Wife Illicit Relationship: प्रेमानंद महाराज ने पत्नी के अवैध संबंध को लेकर किए गए सवाल पर अलग ही जवाब दिया है। उनका जवाब इस समय सोशल मीडिया पर खूब चर्चित हो रहा है। दरअसल, पिछले दिनों लगातार इस प्रकार के मामले आए हैं।

क्या है पूरा मामला?
सोमन-मुस्कान जैसे मामले लगातार सामाजिक विमर्श को बढ़ावा दे रहे हैं। समाज में आ रहे बदलावों की तरफ लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। साथ ही, ये पारिवारिक व्यवस्था को भी हिला रहे हैं। समाज में एक प्रकार से अविश्वास और असुरक्षा का माहौल पैदा कर रहे हैं। इसी सामाजिक संकट पर मथुरा के वृंदावन धाम स्थित प्रेमानंद महाराज से एक श्रद्धालु ने सीधा सवाल किया। सवाल था कि अगर मेरे जीवनसाथी का किसी से अवैध संबंध है तो क्या करूं?प्रेमानंद महाराज ने सवाल पर गहराई से विचार व्यक्त करते हुए समाधान धर्म और प्रेम के रास्ते में खोजने की बात कही। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जीवनसाथी के भटकने के पीछे मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक कारण हो सकते हैं। ऐसे में जल्दबाज़ी या क्रोध में कोई कदम उठाने की जगह पहले इन कारणों को समझना चाहिए।
मर्ज के इलाज का उदाहरण
प्रेमानंद महाराज ने शरीर के मर्ज के इलाज का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे शरीर का कोई अंग सड़ जाए तो पहले दवा दी जाती है। इसके बाद जरूरी हो तो ऑपरेशन होता है। ऐसे ही रिश्तों को भी पहले सुधारने की कोशिश करें। पहले ऑपरेशन कर अंग को हटाने की कार्रवाई नहीं होती। ऐसे ही हमें रिश्तों को बचाने के लिए उपाय करना चाहिए।
प्रेम का रास्ता अपनाने की सलाह
संत प्रेमानंद महाराज ने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी हालत में हिंसा, अपमान या गाली-गलौज धर्म के विरुद्ध है। यह न केवल कानूनन अपराध है बल्कि आपके धर्म और आत्मिक स्तर को भी गिराता है। अगर जीवनसाथी को अपनी गलती का पछतावा हो और वह बदलना चाहे, तो उसे एक मौका दिया जाना चाहिए। ऐसे में पुराने दोषों को भूलकर उसे प्रेम और अपनत्व से आगे बढ़ाने की सलाह दी।
नाम जप, सत्संग से बनेगी बात
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति सच में पछतावे के साथ भविष्य को सुधारना चाहता है तो नाम-जप, भक्ति और सत्संग के माध्यम से वह पावन बन सकता है। धर्म के अनुसार, स्त्री और पुरुष दोनों के लिए यह बातें समान रूप से लागू होती हैं। धोखा केवल एक व्यक्ति के साथ नहीं, बल्कि पूरे रिश्ते, धर्म और समाज के साथ होता है।
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जब सारे प्रयास विफल हो जाएं। जीवनसाथी बार-बार विश्वासघात करे, तब व्यक्ति को धार्मिक मर्यादा के अनुसार सरकार की ओर से निर्धारित कानूनी मार्ग अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा कदम भी शांति और धर्म के मार्ग पर चलकर ही उठाया जाना चाहिए, न कि बदले की भावना से।
सबसे बड़ा उपाय प्रेम
प्रेमानंद महाराज ने अंत में कहा कि प्रेम में इतनी शक्ति है कि वह पतित को भी पावन बना सकता है। जब वह भगवत मर्यादा से बंधा हो, तभी जीवन को सफल बना सकता है। यह संदेश उन सभी विवाहित लोगों के लिए है जो रिश्तों में ठोकर खाकर भी जीवन को धर्म और प्रेम के रास्ते पर आगे बढ़ाना चाहते हैं। हमें गलतियों को पीछे छोड़कर जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।