पुणे की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उद्धृत पुस्तक दिखाने की मांग की थी, जिसमें उन्होंने सावरकर के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी की थी। सांसदों और विधायकों के लिए विशेष अदालत के न्यायाधीश अमोल शिंदे ने कहा कि कांग्रेस नेता को पुस्तक पेश करने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।
इस मामले में सावरकर के पोते सत्यकी ने मानहानि का केस किया था। उन्होंने दावा किया था कि गांधी द्वारा उद्धृत ऐसी कोई पुस्तक मौजूद नहीं है, और अगर ऐसी कोई पुस्तक है, तो उन्हें इसे पेश करने के लिए कहा जाना चाहिए।
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आरोपी को मुकदमा शुरू होने से पहले बचाव का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते
इस पर अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी को मुकदमा शुरू होने से पहले अपने बचाव का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी अपने बचाव साक्ष्य प्रस्तुत करने के दौरान कोई भी प्रासंगिक दस्तावेज प्रस्तुत कर सकता है। यदि आरोपी को समय से पहले ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए बाध्य किया जाता है, तो यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 20(3) के तहत गारंटीकृत उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा, जो आत्म-दोषी ठहराए जाने से सुरक्षा प्रदान करता है।’
न्यायाधीश ने आगे कहा कि अनुच्छेद 20(3) यह कहता है कि किसी भी अपराध के आरोपी व्यक्ति को अपने खिलाफ गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। इसलिए अदालत की राय यह है कि आरोपी को दोषसिद्ध दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश देना वाला आदेश पारित नहीं किया जा सकता।
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गांधी ने लंदन में दिए भाषण में किया था यह दावा
गौरतलब है कि मार्च 2023 में राहुल गांधी ने लंदन में एक भाषण में दावा किया था कि वीडी सावरकर ने एक किताब में लिखा था कि उन्होंने और उनके पांच से छह दोस्तों ने एक बार एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी, और उन्हें इससे खुशी हुई थी। इस भाषण का हवाला देते हुए सत्यकी सावरकर ने गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया है।
सत्यकी ने कहा- ऐसी कोई घटना कभी हुई ही नहीं
सत्यकी सावरकर ने अपनी शिकायत में कहा कि ऐसी कोई घटना कभी हुई ही नहीं, और न ही सावरकर ने ऐसा कुछ लिखा है। उन्होंने कहा कि यह बयान झूठा और अपमानजनक है।
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