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Speculations Rife Over Leadership In Karnataka Mallikarjun Kharge Recalls Losing Chief Minister Post In 1999 – Amar Ujala Hindi News Live

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Jul 29, 2025


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में 1999 में मुख्यमंत्री न बन पाने की पुरानी बात को याद किया, जिससे कर्नाटक की राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या राज्य में नेतृत्व बदला जाएगा और क्या कांग्रेस अब किसी दलित नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है।

दरअसल, खरगे ने रविवार को विजयपुरा में एक कार्यक्रम को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैंने 1999 में सीएलपी नेता के रूप में पार्टी को सत्ता में लाने के लिए खूब मेहनत की थी। पार्टी ने सरकार बनाई और एसएम कृष्णा मुख्यमंत्री बने। वह केपीसीसी अध्यक्ष के रूप में चुनावों से चार महीने पहले पार्टी में सक्रिय हुए थे। उन्होंने कहा कि मेरी सारी मेहनत बेकार चली गई। मुझे लगता है कि मैंने पांच साल मेहनत की, लेकिन जो व्यक्ति चार महीने पहले आया उसे मुख्यमंत्री बना दिया गया। 

हमें बिना किसी लालच के काम करते रहना चाहिए

खरगे ने आगे कहा, ‘मैं यह कहना चाह रहा हूं कि हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन हमें बिना किसी लालच के काम करते रहना चाहिए। अगर आप लालची हैं, तो आपको कुछ नहीं मिलेगा। साथ ही, आप अपने मन की बात नहीं कर पाएंगे। इन सब परिस्थितियों से गुजरते हुए, एक ब्लॉक अध्यक्ष से मैं आज एआईसीसी अध्यक्ष बन गया हूं। मैं पदों के पीछे नहीं भागा।’

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दलित मुख्यमंत्री की मांग फिर उठी

खरगे के इस बयान के बाद जगलुर के कांग्रेस विधायक बी. देवेंद्रप्पा ने कहा कि अब कर्नाटक में किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। देवेंद्रप्पा के इस कथित बयान ने नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को और बढ़ा दिया है।

वहीं, समाज कल्याण मंत्री एचसी महादेवप्पा ने कहा, ‘खरगे देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और उनमें किसी भी सांविधानिक पद पर आसीन होने के सभी आवश्यक गुण मौजूद हैं, और हमारी इच्छा है कि जब भी मौका मिले, उन्हें अवसर मिले।’ महादेवप्पा ने कांग्रेस के उन दलित नेताओं का नाम लिया, जिन्होंने अन्य राज्यों में मुख्यमंत्री पद संभाला है। जैसे- दामोदरम संजीवय्या, सुशील कुमार शिंदे, जगन्नाथ पहाड़िया और राम सुंदर दास। महादेवप्पा ने कहा कि समय आने पर पार्टी निर्णय लेगी और सभी उसका पालन करेंगे। 

प्रियांक ने अटकलों को कम करने की कोशिश की

हालांकि, खरगे के बेटे और आईटी/बीटी मंत्री प्रियांक खरगे ने अटकलों को कम करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उनके पिता केवल अपने राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव के बारे में बता रहे थे। उनके भाषण को समग्रता में देखा जाना चाहिए, न कि चुनिंदा रूप से। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें कोई पछतावा नहीं है।

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प्रियांक ने कहा, ‘कलबुर्गी और कर्नाटक की जनता, सभी के आशीर्वाद से, वह उस पद पर हैं जिस पर सुभाष चंद्र बोस और गांधीजी थे। अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में उन्होंने जो भी फैसला किया है, वह खुद तय करेंगे। उन्होंने यह सम्मान और प्रतिष्ठा अर्जित की है। आलाकमान के साथ उनके अच्छे संबंध हैं। वह जो भी फैसला करेंगे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी उसे स्वतः स्वीकार करेंगे।’

खरगे की टिप्पणियों ने गांधी परिवार के अन्याय को उजागर किया: विजयेंद्र

इस बीच, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि खरगे ने राज्य की जनता के साथ अपनी पीड़ा और निराशा खुलकर साझा की है। उन्होंने यह बता दिया कि कांग्रेस पार्टी में 40-50 साल तक काम करने के बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा कि खरगे की टिप्पणियों ने अप्रत्यक्ष रूप से यह उजागर कर दिया है कि गांधी परिवार, कांग्रेस पार्टी और सिद्धारमैया अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ कैसे अन्याय करते रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस पार्टी खरगे की टिप्पणियों को गंभीरता से ले रही है? उन्होंने कहा कि समय ही इस सवाल का जवाब देगा।

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