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What I Lost In 19 Years Was Priceless Mumbai Man Acquitted In Train Blast Case – Amar Ujala Hindi News Live

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Jul 23, 2025


मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा बरी किए गए 12 लोगों में से एक मोहम्मद अली शेख ने मंगलवार को कहा कि पिछले 19 वर्षों में मैंने जो खोया, वह अनमोल था। उन्होंने निचली अदालत के फैसले को ‘एकतरफा और आंखें मूंदकर दिया गया’ करार दिया और कहा कि सच्चाई को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है। नागपुर केंद्रीय कारागार में बंद शेख मंगलवार शाम मुंबई अपने घर लौट आए।

मुंबई में 11 जुलाई 2006 में सात लोकल ट्रेनों में बम विस्फोट हुआ था, जिसमें 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। घटना के 19 साल बाद हाईकोर्ट ने सोमवार को सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा और ‘यह विश्वास करना मुश्किल है कि आरोपी ने अपराध किया है।’

19 वर्षों में पिता और भाई को खोया

घर लौटने के बाद शेख ने एक मराठी समाचार चैनल को साक्षात्कार दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह लगभग 19 वर्षों के बाद पहली बार घर लौटे हैं। इन 19 वर्षों में मैंने अपने पिता और भाई को खोया है। मैं उनके जनाजे और नमाज में शामिल नहीं हो सका। यह बहुत दुखद है। इन वर्षों में बड़ी बेटी की शादी भी हुई, लेकिन उसमें भी मैं नहीं आ सका। 

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पिता की मौत के बाद हाईकोर्ट ने दी थी पैरोल, नहीं जमा कर पाया पैसे

शेख ने बताया कि उनके पिता की मृत्यु के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें चार दिन की पैरोल दी थी और दो लाख रुपये जमा करने को कहा था, लेकिन पैसे न होने के कारण वह घर नहीं आ सके। शेख ने बताया कि बेटी की शादी के समय भी उन्होंने पैरोल की मांग नहीं की। शेख ने कहा, जेल में रहते हुए मैंने जो खोया वह अनमोल था। 

सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा, वहां से भी मिलेगा न्याय

शेख ने कहा कि वह अभी किसी मुआवजे की मांग नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ने के बाद वह इस बारे में सोचेंगे। राज्य सरकार पहले ही हाईकोर्ट के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे चुकी है। इस बारे में पूछे जाने पर, शेख ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है और उन्हें यकीन है कि उन्हें वहां भी न्याय मिलेगा, क्योंकि वे सभी निर्दोष थे और बम विस्फोटों में शामिल नहीं थे। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि सत्र न्यायालय ने एकतरफा फैसला सुनाया है।

शेख के पिता का 14 साल पहले इसी गम में हुआ था देहांत

शेख के घर लौटने पर उनकी मां हुस्ना बानो बशीर खान ने खुशी जताई। उन्होंने कहा कि हमें बहुत खुशी हुई कि शेख को बाइज्जत रिहा कर दिया गया। उसे न्याय मिला, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। मेरा बेटा निर्दोष था। उन्होंने कहा कि पिछले 19 साल बहुत दर्द में बीते। शेख के पिता का 14 साल पहले इसी गम में देहांत हो गया था। 

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झूठे आरोपों में जबदस्ती फंसाया गया: शेख की पत्नी

शेख की पत्नी निशात आसिफ खान कहती हैं, ‘मैं बेहद खुश हूं। न्याय तो मिला, लेकिन देर से। हमारी आधी से ज्यादा जिंदगी चली गई। इसकी भरपाई कौन करेगा? हमें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जब वे उसे ले गए, तब छोटी बेटी सिर्फ दो साल की थी, दूसरी बेटी चार साल की और बड़ा बेटा आठ साल का था। एक पिता की कमी कोई नहीं भर सकता। जब धमाका हुआ, तो हमारे बेटे ने उसे फोन किया था और उसने कहा था, मैं अभी घर आ रहा हूं।  उस समय, हम सभी मुंबई में साथ रहते थे। उसे झूठे आरोपों में जबरदस्ती फंसाया गया था।’



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